पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने कश्मीर का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की साजिश रची है। खासकर उसने इस मसले को अमेरिका के ही सामने उठाने की कोशिश की है। इसके लिए थिंक टैंक पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज (पीआईसीएसएस) की ओर से एक सेमिनार रखा गया है। इसके वक्ताओं में अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत मसूद खान के साथ अमेरिकी दूत और पाकिस्तान के पूर्व कानून मंत्री एडवोकेट अहमर बिलाल सूफी जैसे लोग शामिल थे।
सेमिनार का आयोजक पीआईसीएसएस का अब्दुल्ला खान है, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा रहा है। वह अमेरिका की प्रतिबंधित लोगों की सूची में शामिल है। इसका पता लगते ही अमेरिकी दूत माइकल और अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत मसूद ने सेमिनार में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया।
अब्दुल्ला जिहादी प्रकाशन में शामिल रहा है। ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल वेबसाइट के मुताबिक अब्दुल्ला खान को अब्दुल्ला मुंतजिर के नाम से जाना जाता है। अमेरिकी ट्रेजरी रिपोर्ट के मुताबिक अब्दुल्ला मुंतजिर 1999 से लश्कर का मीडिया अधिकारी रहा है।
वह खुद को स्वतंत्र पत्रकार बताता रहा है, जबकि हकीकत में वह आतंकवाद को बढ़ाने में लगा हुआ था। 2010 के बीच तक मुंतजिर लश्कर की मीडिया और अनुसंधान संगठन का निदेशक था।
इसका मकसद मीडिया के साथ लश्कर से वार्ता का समन्वय बनाना और लश्कर के कंटेंट की निगरानी करना और लश्कर के एजेंडे को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक उठाना था। 2000 के अंत तक मुंतजिर लश्कर की राजनीतिक शाखा का सदस्य था।
पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के शासन के दौरान 12 जनवरी 2002 को लश्कर-ए-तैयबा पर पाबंदी लगा दी गई। अमेरिका ने भी अगस्त 2012 में अब्दुल्ला सहित 8 लोगों को आतंकी सूची में डाल दिया था।पाक ऐंबैस्डर मसूद खान अब्दुल्ला को तब से जानते हैं, जब मसूद पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के प्रमुख थे। वह मुजफ्फराबाद में राष्ट्रपति भवन में सेमिनार करते थे। तब वह अब्दुल्ला को वक्ता के तौर पर बुलाते थे।
सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज के कार्यकारी निदेशक इम्तियाज गुल ने कहा कि मसूद अब ऐसे व्यक्ति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नहीं दिख सकते, जो अमेरिका की आतंकी सूची में हो। वैसे भी पाक की विदेश नीति चरमरा चुकी है। ऐसे में पाकिस्तान अमेरिका को नाराज करने वाला कदम नहीं उठा सकता। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार भी इस मामले में कठघरे में है।
उसकी जानकारी के बगैर इस थिंक टैंक को संचालित करने के लिए आतंकी सूची में शामिल व्यक्ति कैसे प्रबंध निदेशक बनाया जा सकता है। थिंक टैंक के अध्यक्ष मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) साद खट्टक हैं। यह थिंक टैंक शांति और स्थिरता के लिए अग्रणी नीतिगत विकास के लिए रक्षा और सुरक्षा से संबंधित विश्लेषण करती है।
थिंक टैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में आतंकी संगठन जमात उद दावा के लिए कहा कि उसे गतिविधियों के लिए समर्थन हासिल है। उसके खिलाफ कदम उठाने पर सरकार को परेशानी होगी।