पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती की पूर्व संध्या पर शनिवार को एक कवि सम्मेलन हुआ। इसमें मशहूर कवि कुमार विश्वास ने सीएम योगी आदित्यनाथ की चुटकी ली। सीएम के सामने कुमार ने कहा, ”आज कई कवि बहुत घबराए हुए हैं। आधे कवि तो बाहर देखने पहुंच गए कि महाराज जी गाड़ी से आए हैं या बुलडोजर से आए हैं। वह हमसे आने से पहले पूछ रहे थे कि महाराज जी कैसे आते हैं।”
कुमार विश्वास ने कहा, ”यहां तो रोमियो एस्कॉर्ट लग गया है। महाराज जी ने ऐसी हालत कर दी है कि पहले लड़की लेट आती थी, तो मां-बाप चिंतित होते थे कि कहां रह गई। अब लड़का लेट आता है, तो मां-बाप फोन करते हैं तो बेटा कहीं पिट तो नहीं रहा है।”
कुमार ने कहा, ”महाराज जी मुझे सब चिढ़ाते हैं। कहते हैं कि तुम क्या प्रेम के कवि हो? तुम्हारे मुख्यमंत्री ने प्रेम के अंकुश लगा दिया। मैंने कहा कि खबरदार अगर हमारे सीएम के बारे में गलत बोला। हर आदमी का अपना एजेंडा होता है। प्रधानमंत्री जी का अपना एजेंडा है, ‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा’। यह बात अलग है कि कुछ लोग पैक कराकर ले जा रहे हैं। प्रेम को लेकर मुख्यमंत्री जी का एजेंडा है। हमारे मुख्यमंत्री ने न प्रेम किया, न करने देते हैं।”’
कुमार विश्वास ने कहा, ”भाजपा के नेता बैठे हुए हैं। अध्यक्ष जी चले गए। क्योंकि, कल गाजियाबाद में जेपी नड्डा जी आ रहे हैं। और भी पार्टी के नेता हैं, उनको भी चुनाव लड़ने और जीतने दीजिए।”
कुमार ने कहा, ”मैं परसों जयपुर गया था। हालात यह हैं कि अशोक गहलोत के विधायक बाथरूम चले जाएं, तो बाहर आदमी खड़े रहते हैं। डर है कि कहीं अमित भाई पीछे से न ले जाएं।”
कुमार विश्वास ने कहा, ”अभी मैं इंदौर गया था तो वहां देखा राहुल गांधी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। इंदौर में मुझे किसी ने बताया कि दिग्विजय सिंह की वजह से यह यात्रा हो रही है। मैंने उससे कहा कि दिग्विजय सिंह की वजह से राहुल गांधी सड़क पर हैं। विपक्ष में हों तो मेहनत करें और सत्ता में हो तो सेवा करें।”
इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी लोगों को संबोधित किया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, लखनऊ का प्रतिनिधित्व आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे हैं। रक्षा मंत्री के नेतृत्व में भारत चीन को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। अभी आपने तवांग में देखा भारत ने कैसा जवाब दिया।”
सीएम ने आगे कहा, ”अभी उत्तर प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम और मंत्री विदेश गए थे। दुनिया मे भारत की छवि के बदलने का परिणाम है कि एक यात्रा में सवा 7 लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव ले आए। ये श्रद्धेय अटल जी की सोच का परिणाम है। आज इस कन्वेंशन सेंटर के माध्यम से अटल जी को याद किया जा रहा है।”
सीएम ने कहा, ”अटल जी जिस भी पद पर रहे हों, मूल्यों की राजनीति की। अटल जी ने कहा था कि मूल्य विहीन राजनीति मौत का फंदा है। उन्होंने विकास की नई सोच देश के सामने रख दी थी। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना अटल जी की देन थी। जिस संकल्प को अटल जी ने लिया था, उस संकल्प को आज प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पूरा किया जा रहा है।”
सीएम ने कहा, ”कोरोना काल में देश और दुनिया इसे देख रहा है। हर गरीब को शासन की योजनाओं से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। दिव्यांग और वृद्धजन एक करोड़ परिवारों को पेंशन दी जा रही है। जब संवेदनशील सरकार बनती है तो कार्य बिना भेदभाव होता है।”
योगी ने कहा, ”आज आत्मगौरव की अनुभूति होती है। जब गुलामी के चिह्नों की समाप्ति की जा रही है। विरासत का सम्मान हो रहा है। विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर के कार्य हो रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने तमाम उतार चढ़ाव देखे, अटल जी ने कहा था एक सपना टूटे तो अगला सपना गढ़े।”
सीएम ने कहा, ”अटल जी ने ही कहा था कि आदमी न ऊंचा होता है, न नीचा होता है, न बड़ा होता है, न छोटा होता है, आदमी सिर्फ आदमी होता है। अटल जी की पूर्व संध्या पर ये कार्यक्रम प्रतिवर्ष होता है। कवि सम्मेलन के माध्यम से अटल जी को सम्मान दिया जाता रहा है। अटल जी कवि भी थे। राजनेता भी थे। अटल जी सबके थे।”
कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्य के अलावा कवि कुमार विश्वास, सर्वेश अस्थाना और हेमंत पांडे भी मौजूद रहे।
राज्य सरकार ने 25 दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री की 98वीं जयंती को यादगार बनाने के लिए एक दिन में सर्वाधिक नल कनेक्शन देने का लक्ष्य अफसरों को दिया है। इस मौके पर जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की उत्कृष्ट परंपराओं के प्रबल संवाहक, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेई जी ने ग्रामीण विकास का जो सपना देखा था उसको राज्य की योगी सरकार पूरा कर रही है।
योगी सरकार भारतरत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेई जी की 98वीं जयंती को सबसे खास अंदाज में मनाने जा रही है। पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेई की जयंती की पूर्व संध्या 24 दिसम्बर से ‘संकल्प अटल हर घर जल’ अभियान का आगाज किया जा रहा है।
इस दौरान ब्लाक, गांव, स्कूलों, आंगनबाड़ी और पंचायतों में सप्ताह भर जल जागरूकता कार्यक्रम होंगे। इतना ही नहीं 25 दिसम्बर को हजारों ग्रामीणों को नल कनेक्शन का तोहफा भी दिया जाएगा। एक दिन में 98 हजार से अधिक नल कनेक्शन देने का लक्ष्य तय किया गया है। इस बारे में राज्य सरकार की ओर से दिशा-निर्देश भी जारी कर दिये गये हैं।
ग्वालियर में हुआ जन्म : अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ. वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर के ही विक्टोरिया (अब लक्ष्मीबाई) कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई।
पत्रकारिता से शुरू किया करियर : राजनीतिक विज्ञान में पढ़ाई करने के बाद वाजपेयी ने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था। उन्होंने राष्ट्र धर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया। हालांकि 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी। 1951 में वो भारतीय जन संघ के संस्थापक सदस्य थे।
वाजपेयी अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राष्ट्रवादी राजनीति में तब आए जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। उनकी यह रुचि सालों तक बनी रही और विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने अपने इस कौशल का परिचय दिया।
पहले चुनाव में मिली हार : उन्होंने पहली बार लखनऊ से लोकसभा उप-चुनाव में दावेदारी प्रस्तुत की और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। साल 1957 में उन्होंने लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ा और वो बलरामपुर से जीत हासिल करने में सफल हुए। उसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी दस बार लोकसभा के लिए चुने गए और 1962 से 1967 और 1986 में वो राज्यसभा के सदस्य भी रहे। हालांकि अपने राजनीतिक करियर में उन्हें हार भी मिली। साथ ही वे 1968 से 1973 तक वो भारतीय जन संघ के अध्यक्ष रहे।
1996 में पहली बार बने पीएम : 16 मई, 1996 को वो पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन लोकसभा में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 31 मई 1996 को उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा। इसके बाद 1998 तक वो लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे। 1998 के आम चुनावों में अन्य पार्टियों की मदद से वे एक बार फिर प्रधानमंत्री बने। हालांकि कुछ दिनों बाद ही उनकी सरकार गिर गई और फिर चुनाव हुए।
मिले कई सम्मान : उन्हें भारत के प्रति उनके निस्वार्थ समर्पण और पचास से अधिक सालों तक देश और समाज की सेवा करने के लिए भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया। 1994 में उन्हें भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुना गया। उसके बाद 27 मार्च, 2015 को उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।