पाकिस्तान की पार्लियामेंट ने वो बिल पास कर दिया है जिसके तहत भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) मौत की सज़ा के खिलाफ अपील कर सकते हैं. बता दें कि पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई है. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत विधेयक, 2020 को पारित किया है. अब अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (ICJ) के फैसले के तहत जाधव को राजनयिक मदद दी जा सकेगी.
भारतीय नौसेना रिटायर्ड अधिकारी जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में अप्रैल 2017 को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी. भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच न देने और मौत की सजा को चुनौती देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ आईसीजे का रुख किया था.
आईसीजे ने जुलाई 2019 में फैसला दिया था कि पाकिस्तान को जाधव को दोषी ठहराने और सजा सुनाने संबंधी फैसले की समीक्षा करनी चाहिए. साथ ही आईसीजे ने कहा था कि बिना किसी देरी के भारत को जाधव के लिए राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराने देने का भी मौका देना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने 2019 के फैसले में पाकिस्तान को, जाधव को दी गई सजा के खिलाफ अपील करने के लिए उचित मंच उपलब्ध कराने को कहा था.
विधेयक पारित होने के बाद, कानून मंत्री फरोग नसीम ने कहा कि अगर उन्होंने विधेयक पारित नहीं किया होता तो भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद चला जाता और आईसीजे में पाकिस्तान के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर देता. नसीम ने कहा कि विधेयक आईसीजे के फैसले के मद्देनजर पारित किया गया है. उन्होंने कहा कि विधेयक पारित कर उन्होंने दुनिया को साबित कर दिया कि पाकिस्तान एक ‘जिम्मेदार राष्ट्र’ है. नेशनेल एसेंबली में बिल पेश होने के साथ ही विपक्षी दलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था. वे बेंच पर खड़े होकर इसका विरोध कर रहे थे और कह रहे थे कि भारत की मांगों के आगे यह सरकार का आत्मसमर्पण है
भारत लगातार ये कह रहा है कि जाधव एक पूर्व नौसेना अधिकारी हैं जिन्हें ईरान से किडनैप कर लिया गया था. वे उस दौरान बिजनेस के सिलसिले में वहां पहुंचे थे. किडनैप किए जाने के बाद उन्हें पाकिस्तान की सेना को सौंप दिया गया था. जबकि इस्लामाबाद आरोप लगाता रहा है कि जाधव एक भारतीय जासूस है, जो पाकिस्तान के अंदर आतंकी हमले कराने के लिए जिम्मेदार है.