‘परिश्रम संकल्प यात्रा’ के जरिये उत्तर भारतीय समाज को जोड़ने निकले कृपाशंकर

मुंबई में प्रमुख उत्तर भारतीय नेता कृपाशंकर सिंह ने रविवार को ‘परिश्रम संकल्प यात्रा’ की शुरुआत की। उनका कहना है कि इस यात्रा के जरिये वह मुंबई के उत्तर भारतीय समाज को जोड़ना चाहते हैं ताकि अगले साल होने वाले बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव में उत्तर भारतीय समाज एकजुट होकर अपनी ताकत दिखा सके।

मुंबई के वाकोला क्षेत्र से यात्रा की शुरुआत करते हुए कृपाशंकर सिंह ने कहा कि मार्च 2020 में जब कोरोना के कारण लॉकडाउन की शुरुआत हुई तो मुंबई में उत्तर भारतीय समाज उसका सबसे बड़ा शिकार हुआ था। कई लोगों की नौकरी चली गई। व्यापार उजड़ गया। लोगों को आटो, ट्रक, मोटरसाइकिल या पैदल ही उत्तर प्रदेश, बिहार की ओर भागना पड़ा, लेकिन इस समाज को सिर्फ चुनाव के समय वोट बैंक के रूप में याद किया जाता है।

उन्होंने यह अहसास कराने का संकल्प किया है कि उत्तर भारतीय समाज सिर्फ वोट बैंक नहीं है। उसकी सबसे बड़ी पूंजी है- उसका परिश्रम। इस परिश्रम के माध्यम से ही उसने महाराष्ट्र में अपनी एक जगह बनाई है। उसके परिश्रम का सम्मान होना चाहिए।

बता दें कि कृपाशंकर सिंह मूलत: कांग्रेस के नेता रहे हैं। कांग्रेस से ही वह महाराष्ट्र विधान परिषद एवं महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रहे। मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के कार्यकाल में राज्य के गृह राज्यमंत्री भी रहे। मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। उनके अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान ही महाराष्ट्र विधानसभा में सर्वाधिक हिंदी भाषी नेता जीतकर पहुंचे थे। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले ही उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। माना जा रहा था कि चुनाव से पहले ही वह किसी और राजनीतिक दल का दामन थाम लेंगे, लेकिन वैसा नहीं हुआ। अब 2022 की शुरुआत में ही बीएमसी के चुनाव हैं। उससे पहले सिंह की परिश्रम संकल्प यात्रा कई नए संकेत दे रही है।

वह अपनी यात्रा के दौरान लोगों से बातचीत के क्रम में बार-बार बीएमसी में महापौर एवं उपमहापौर रह चुके हिंदी भाषी नेताओं का जिक्र करते हैं। वह यह बताना भी नहीं भूलते कि यह यात्रा वह किसी दल की तरफ से नहीं निकाल रहे हैं।

लेकिन माना जा रहा है कि बीएमसी चुनाव से पहले यह यात्रा निकालकर वह खुद को दल निरपेक्ष उत्तर भारतीय नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। ताकि समय आने पर मुंबई के 40 लाख उत्तर भारतीयों के वोट चाहने वाला कोई भी दल उन्हें नजरअंदाज न कर सके।