छत्तीसगढ़ रायपुर -:तस्वीर रायपुर के अंबेडकर अस्पताल के बाहर की है। दवा न होने की सूरत में मेडिकल स्टोर बंद कर दी गई, सभी मरीज परेशान होते रहे।
प्रदेश के हर जिले में रेमडेसिविर नाम के इंजेक्शन की भारी क़िल्लत है। कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए ये दवा जान बचाने वाली मानी जा रही है। मगर रायपुर के किसी मेडिकल स्टोरी में ये दवा नहीं मिल रही। सरकार ने कालाबाजारी रोकने के लिए अंबेडकर अस्पताल की रेड क्रॉस दवा दुकान को इसे बेचने के लिए अधिकृत किया। 24 घंटे से दुकान में भी स्टॉक नहीं है। रातभर मरीज के परिजन बाहर खड़े मिन्नतें करते रहे, कहते रहे कि दवा दे दो वरना आदमी मर जाएगा, मगर न दवा मिली न किसी जिम्मेदार ने अब तक इनकी सुध ली। ये सभी उन मरीज के परिजन हैं जो अंबेडकर अस्पताल के कोविड वार्ड में इलाज के लिए भर्ती किए गए हैं।
9100 दवाएं आईं मगर कहां गईं
कांग्रेस ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने मंगलवार को मरीजों के लिए 9100 रेमडेसिविर इंजेक्शन मुहैया करवाए हैं। इसके बाद भी स्टॉक की समस्या बनी हुई है। रायपुर शहर में हर मेडिकल स्टोर और अस्पताल में लोग रेमडेसिविर के लिए भटक ही रहे हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 900 रुपए में मिलने वाली इस दवा के लिए मुनाफाखोर 15 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं। हालत ये हैं कि लोग मोटी रकम चुकाने को तैयार हैं मगर अब कालाबाजारी में भी दवा मिलना मुमकिन नहीं हो पा रहा।
क्या है रेमडेसिविर दवा?
रेमडेसिविर एक एंटी वायरल दवा है। इसका डेवलपमेंट हेपटाइटिस सी के इलाज के लिए हुआ था। लेकिन, बाद में इबोला वायरस के इलाज में इसका उपयोग किया गया। कोरोना वायरस के इलाज में प्रयुक्त शुरुआती दवाओं में रेमडेसिविर भी शामिल थी। इसकी वजह से यह दवा मीडिया की सुर्खियों में रही है। हालांकि 20 नवंबर 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि कोरोना मरीजों के इलाज में डॉक्टरों को रेमडेसिविर के इस्तेमाल से बचना चाहिए। केंद्र सरकार ने इस दवा के निर्यात पर भी रोक लगा दी है।