कोरबा। जिले के दो युवा चिकित्सकों ने अपनी योग्यता में निखार लाते हुए मेडिकल करियर में कदम आगे बढ़ा लिए हैं। इनमें एक ने मेडिकल रेडियो डायग्नोसिस में डिप्लोमा (डीएमआरडी) परीक्षा पास कर ली है, तो दूसरे ने एमडी मेडिसिन का ओहदा भी हासिल कर लिया है। इनमें कोरबा में मेडिकल ऑफिसर के रूप में पदस्थ रहे डॉ. अंकित पालीवाल अब रेडियोलॉजिस्ट बन गए हैं और डॉ. विशाल राजपूत अब एमडी मेडिसिन हैं। उम्मीद की जा रही है कि ऊंची पढ़ाई के लिए सेवा के दौरान यहां से गए दोनों चिकित्सक वापस कोरबा लौटकर जिला चिकित्सालय की कमान संभालेंगे।
जिले के सबसे बड़े चिकित्सालय व शासकीय जिला अस्पताल में सोनोग्राफी जांच की सुविधा पूर्व में काफी प्रभावित रही। अस्पताल में सोनाग्राफी मशीन तो थी पर रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने से सोनोग्राफी जांच के लिए मरीजों को निजी क्षेत्र की शरण लेनी पड़ती। निःशुल्क सुविधा के बावजूद मरीजों को सोनाग्राफी जांच के लिए भटकते या निजी लैब जाकर अतिरिक्त खर्च करने मजबूर होना पढ़ता है। पूर्व में पदस्थ रहे रेडियोलॉजिस्ट सेवानिवृत्त हो गए, जबकि इससे पूर्व अनुबंध पर आए चिकित्सक भी चले गए। इसके बाद से डीएमएफ की मदद से वर्तमान में एक रेडियोलॉजिस्ट कार्यरत हैं। अच्छी खबर ये है कि दो वर्ष पूर्व कोरबा से उच्च शिक्षा प्राप्त करने दो वर्ष के लिए मेकाहारा गए डॉ. अंकित पालीवाल डीएमआरडी की परीक्षा पास कर रेडियोलाजिस्ट बन गए हैं। डीएमआरडी रेडियोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स होता है, जो दो साल का होता है। इसी तरह मेडिकल ऑफिसर के रूप में पदस्थ रहे डॉ. विशाल राजपूत भी एमडी मेडिसिन हो गए हैं और इन दो युवा डॉक्टरों की सफलता से जिले के चिकित्सकों में खुशी ही लहर है। उम्मीद की जा रही है कि वे जल्द ही जिला अस्पताल लौटकर अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि अपग्रेड योग्यता प्राप्त कर चुके चिकित्सकों की पदस्थापना कहां होगी, इसका निर्णय तो शासन स्तर पर ही हो सकेगा।
डीएमएफ से डॉ. दिलीप संभाल रहे कमान
वर्तमान में जिला अस्पताल में सोनोग्राफी विभाग की कमान रेडियोलॉजिस्ट डॉ. दिलीप सिंह संभाल रहे हैं। एक नियमित डॉक्टर की तरह वे ओपीडी व भर्ती मरीजों की जांच कर रहे और आपात समय में भी पहुंचते हैं। डॉ. दिलीप की सेवा जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) मद से ली जा रही है। डॉ. दिलीप ने उस वक्त जिला चिकित्सालय की व्यवस्था को संभाला, जब यहां काफी जरूरत महसूस की जा रही थी। पूर्व में पदस्थ रहे रेडियोलॉजिस्ट डॉ. प्रिमीश वर्मा सेवानिवृत्त हो गए और उसके बाद शासकीय सुविधा का लाभ लेकर जांच कराने से वंचित हो रहे मरीजों को निजी संस्थाओं का रूख करने मजबूर होना पड़ रहा था। उनके आने के बाद ऐसे मरीजों को बड़ी राहत मिल सकी।
ये तो शासन स्तर पर तय होगा कि कोर्स पूरा करने वाले चिकित्सकों की पदस्थापना कहां की जाती है। अगर वे कोरबा लौटते हैं, तो इससे ज्यादा खुशी की बात क्या हो सकती है। उनके आने से जिला की स्वास्थ्य सेवाएं और बेहतर रूप से संचालित करने मदद मिलेगी। डॉ. अंकित पालीवाल के अलावा जिले से पढ़ाई करने गए डॉ. विशाल राजपूत भी हैं, जो अब एमडी मेडिसिन हो गए हैं। दोनों ही चिकित्सक एमबीबीएस के तौर पर जिले में मेडिकल ऑफिसर के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहे थे। यहीं से उन्होंने सर्विस के दौरान आगे की पढ़ाई के लिए आवेदन किया और बाहर गए। दोनों युवा चिकित्सकों की सफलता जिले के लिए खुशी व गर्व की बात है।
(ज़िला संवाददाता उत्सव यादव कोरबा छत्तीसगढ़)