जानिए उल्कापिंड पृथ्वी पर पहुंचने से पहले ही क्यों फट जाते हैं

पृथ्वी पर उल्कापिंड के बारे में तो आपने सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते है कि ये उल्कापिंड पृथ्वी से पहुंचने से पहले ही क्या फट जाते हैं। पृथ्वी पर कभी—कभी तारों जैसी कोई वस्तु पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर पर जाती हुई दिखाई देती है ,जिन्हें उल्का और साधारण बोलचाल में ‘टूटते हुए तारे’ अथवा ‘लूका’ कहते हैं। ऐसे ही उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुँचता है उसे उल्कापिंड कहते हैं। इनके पृथ्वी पर पहुंचने से पहले वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि उन्होंने बताया कि रिसर्च से पता चलता है कि विस्फोट उल्कापिंड से पहले आकाश में खोजा जा सकता है। यह उच्च दबाव में होता है और उल्कापिंड के ‘छिद्र’ और दरार में प्रवेश कर जाता है, जिसे इस तरह दबाया जाता है और फट जाता है। इसी के संबंध में शोधकर्ता जे मेलोश ने कहा कि उच्च दबाव वाले उल्कापिंड हवा और उसके पीछे के वैक्यूम में बड़ा अंतर होता है।

यह उच्च दबाव में होता है और उल्कापिंड के ‘छिद्र’ और दरार में प्रवेश कर जाता है, जिसे इस तरह दबाया जाता है और फट जाता है। इसी के संबंध में शोधकर्ता जे मेलोश ने कहा कि उच्च दबाव वाले उल्कापिंड हवा और उसके पीछे के वैक्यूम में बड़ा अंतर होता है।

इस शोध के निष्कर्ष में पता चलता है कि हवा के वेग के कारण एक मजबूत उल्कापिंड भी फट सकता है।इसका वास्तव में अर्थ है कि जितना हमने सोचा था, पृथ्वी का वायुमंडल अंतरिक्ष मलबे से बेहतर तरीके से हमारी रक्षा करता है।

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