जानिए मणिपुर हिंसा का सच , 60 निर्दोष लोगों की जान चली गई, 231 लोगों को चोटें आईं

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर हिंसा के चलते विस्थापित हुए लोगों पर चिंता जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि यह मानवीय संकट है। विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। राहत कैंपों में दवाओं और खाने-पीने जैसी जरूरी चीजों का इंतजाम हो। साथ ही राज्य में धार्मिक स्थलों की हिफाजत के लिए भी कदम उठाए जाएं।

मणिपुर में 3 मई को दिन पहले एक रैली के दौरान मैतेई और नगा-कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई थी। हिंसा में 60 लोगों की जान चली गई। मणिपुर में अब तक 35 हजार 655 लोग विस्थापित किया जा चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर ट्राइबल फोरम और हिल एरिया कमेटी ने याचिकाएं दाखिल की हैं। इनमें हिंसा की SIT जांच और मैतेई समुदाय को ST लिस्ट में शामिल किए जाने के हाईकोर्ट के आदेश का विरोध किया गया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। अगली सुनवाई 17 मई को होगी।

सोमवार को कछार में फुलाली यूनियन हाई स्कूल राहत शिविर में मणिपुर हिंसा प्रभावित शरणार्थियों का इलाज करती हुई डॉक्टरों की टीम। यह शिविर असम सरकार ने बनवाया है
केंद्र ने कहा- 2 दिन में कोई हिंसक घटना नहीं हुई। केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, पिछले 2 दिन से कोई हिंसक घटना नहीं हुई है। रविवार को कर्फ्यू में भी ढील दी गई थी। राहत कैंप बनाए गए हैं। यहां खाने और दवाओं की व्यवस्था है। निगरानी हेलिकॉप्टर्स और ड्रोन से की जा रही है। शांति बैठकें करवा रहे हैं।

केवल धार्मिक स्थलों की ही नहीं, बल्कि लोगों और उनकी संपत्ति की भी सुरक्षा की जा रही है। CAPF की 35 टुकड़ियां तैनात की गई हैं। पैरामिलिट्री और सेना भी मौजूद है। हमारी अपील है कि अभी रिजर्वेशन के मसले पर सुनवाई ना की जाए।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि हिंसा में करीब 60 निर्दोष लोगों की जान चली गई, 231 लोगों को चोटें आईं और लगभग 1700 घर जल गए। मैं लोगों से राज्य में शांति लाने की अपील करता हूं। फंसे हुए लोगों को उनके संबंधित स्थानों तक पहुंचाने का काम शुरू हो गया है। लोगों को जरूरी सामान खरीदने के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई है। मृतकों के परिवार के लिए 5 लाख रुपए, गंभीर घायल लोगों के लिए 2 लाख और गैर-गंभीर चोट के लिए 25 हजार रुपए तथा जिनके घर जले हैं उन्हें 2 लाख तक का मुआवजा दिया जाएगा।

हिंसा भड़काने वाले व्यक्तियों/समूहों और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं करने वाले सरकारी सेवकों पर जिम्मेदारी तय करने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच की जाएगी। मैं सभी से अपील करता हूं कि वे अफवाहें न फैलाएं और न ही उन पर विश्वास करें। अब तक 1593 छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया
मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं। मणिपुर के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। हाल ही में मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने के लिए आदेश जारी किए हैं।
मैतेई क्यों आरक्षण मांग रहे: मैतेई समुदाय के लोगों का तर्क है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पूर्व उन्हें रियासतकाल में जनजाति का दर्जा प्राप्त था। पिछले 70 साल में मैतेई आबादी 62 फीसदी से घटकर लगभग 50 फीसदी के आसपास रह गई है। अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए मैतेई समुदाय आरक्षण मांग रहा है।
कौन हैं विरोध में: मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में है। राज्य के 90% क्षेत्र में रहने वाले नगा और कुकी राज्य की आबादी का 34% हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। राजनीतिक रूप से मैतेई समुदाय का पहले से ही मणिपुर में दबदबा है। नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि एसटी वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा। मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है।
हालिया हिंसा का कारण आरक्षण मुद्दा: मणिपुर में हालिया हिंसा का कारण मैतेई आरक्षण को माना जा सकता है, लेकिन पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने चूराचांदपुर के वनक्षेत्र में बसे नगा और कुकी जनजाति को घुसपैठिए बताते हुए वहां से निकालने के आदेश दिए थे। इससे नगा-कुकी नाराज चल रहे थे। मैतेई हिंदू धर्मावलंबी हैं, जबकि एसटी वर्ग के अधिकांश नगा और कुकी ईसाई धर्म को मानने वाले हैं।

मणिपुर में मैतेई आरक्षण विवाद को लेकर बुधवार से भड़की हिंसा में अब तक 54 लोगों की मौत हो चुकी है। 100 से ज्यादा लोग घायल हैं, जिनका इलाज RIMS इंफाल और जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में चल रहा है। राज्य के 11 सौ लोग असम में शरण लिए हुए हैं। वहीं, भारत-म्यांमार सीमा पर हवाई निगरानी भी की जा रही है। रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) ने शाम को राजधानी इंफाल में फ्लैग मार्च निकाला।