रील-टू-रियल में महंगी दिखने वाली फिल्मी कारों की कहानी जानिए

रॉकेट बॉयज और जुबली जैसी हिस्टोरिकल वेब सीरीज तो आपको याद होंगी ही। इनमें चमचमाती विंटेज कारें देख कर मन में सवाल आता ही होगा कि ये गाड़ियां अब कहां मिलती हैं, कौन है वो जो इतनी पुरानी गाड़ियों को संभाल कर रख रहा है। ये पता लगाने हम मुंबई के बांद्रा इलाके के एक वर्कशॉप पहुंचे।

इस वर्कशॉप में पता चला कि वास्तव में ये कारें ओरिजिनल विंटेज कारें नहीं होती हैं, बल्कि मॉडिफाइड होती हैं। यहां हमारी मुलाकात वर्कशॉप के ऑनर्स साजिद और अकबर से हुई। दोनों कजन हैं। साजिद और अकबर दोनों पुरानी कारों को खरीदते हैं, उन्हें मॉडिफाई करते हैं और फिर उन्हें फिल्मों में शूटिंग के लिए सप्लाय करते हैं। दोनों अब तक 100 से ज्यादा कारें मॉडिफाइड कर चुके हैं। कई फिल्मों और वेब सीरीज में इनकी कारें यूज की गई हैं। सलमान खान से लेकर जैकी श्राॅफ तक इनकी मॉडिफाई की गई कारों के फैन हैं।
ये गाड़ियां हम जगह-जगह से खरीदते हैं। मान लीजिए, कोई पुरानी गाड़ी कहीं रास्तें में कई दिनों से खड़ी है। तो पहले हम उस गाड़ी का नंबर निकालते हैं, फिर उसके मालिक से गाड़ी खरीदने की बात करके उसे खरीद कर लेते हैं। ऐसा करके हम एक-एक गाड़ी को इक्ट्ठा करते हैं और उन्हें अलग-अलग लुक देते हैं।
किसी गाड़ी में उसके कुछ पार्ट्स की जरूरत नहीं होती, तो हम उसे दूसरी गाड़ियों में इस्तेमाल करने के लिए प्रिजर्व करके रखते हैं। किसी भी सामना को हम फेंकते नहीं है। क्या पता कब किसकी जरूरत पड़ जाए।
साजिद और अकबर गाड़ी सप्लायर के साथ ही मैकेनिक भी हैं। गाड़ी को माॅडिफाई करने की जिम्मेदारी इन्हीं दोनों की होती है। गाड़ियों की माॅडिफिकेशन के बारे में वो दोनों बताते हैं, ये काम बिल्कुल आसान नहीं है। इसे बनाने में समय और पैसा दोनों ही ज्यादा लगते हैं।

जब गाड़ियों को माॅडिफाई किया जाता है, तो कई बार कार के कुछ पार्ट्स मार्केट में नहीं मिलते, तो उसे हमें ही बनाना पड़ता है। जब हम उसे बनाते हैं, तो ज्यादा क्वांटिटी में बनाते हैं क्योंकि आगे भी इनकी जरूरत पड़ जाती है। कई बार हमें कुछ पार्ट्स विदेशों से भी मंगाने पड़ते हैं।
हम अपने गैरेज में एक-दो गाड़ियों पर ही काम करते हैं। हम दोनों भाई मिलकर ही इस पर काम करते हैं, ज्यादा किसी पर विश्वास नहीं करते। हम दोनों ही गाड़ियों का ऐसा लुक क्रिएट करते हैं कि वो कहीं दूसरी जगह मिले ही नहीं।

जब गाड़ी तैयार हो जाती है तो हम इसे BMC पार्किंग में रख देते हैं क्योंकि वहां सिक्योरिटी होती है, जिस वजह से गाड़ियां वहां सेफ होती हैं। ये गाड़ियां हमारे लिए बच्चों की तरह हैं, जिनका देखभाल प्यार से ही करना पड़ता है।
किस दौर की कार चाहिए, उसका लुक कैसा होगा, मॉडल क्या होगा, कितनी गाड़ियां लगेंगी और कितने दिन शूटिंग होगी। ये सभी बातें पहले डिस्कस होती है।
एक तरह से वर्बली कॉन्ट्रैक्ट होता है। जिसके साथ हमें एक फिक्स एडवांस मिल जाता है।
ये बुकिंग शूटिंग शुरू होने से काफी पहले ही कर ली जाती है, ताकि समय पर गाड़ी मिल सके।
अगर शूटिंग कहीं लोकल इलाके में है तो गाड़ी चलाकर ले जाते हैं। अगर आउटडोर शूट है तो दूसरे ट्रांसपोर्टेशन साधनों से पहुंचाते हैं।
गाड़ी के साथ हमेशा हम मौजूद होते हैं, ताकि अगर कोई खराबी आ जाए तो उसे फौरन ठीक किया जा सके।
सुबह 7 बजे के शूट के लिए हमें गाड़ी लेकर सुबह 4 बजे ही निकलना पड़ता है, ताकि गाड़ी के कारण शूटिंग में देरी ना हो।
जब तक एक फिल्म या वेब सीरीज की शूटिंग पूरी नहीं होती, हम उस गाड़ी को दूसरे प्रोजेक्ट की शूटिंग में नहीं लगाते हैं।
शूटिंग खत्म होने के बाद ही गाड़ी का बकाया पेमेंट मिलता है।
गाड़ियों की पेमेंट किस हिसाब से होती है?
6 लाख से लेकर 12 लाख तक कार बनाने की कास्टिंग जाती हैं। इसी हिसाब से एक दिन की फीस 10 हजार से लेकर 50 हजार तक होती हैं।
ज्यादा गाड़ियों की सप्लाई कैसे होती है?
अकबर बताते हैं कि कई बार ऐसा हुआ है कि हमने एक दिन की शूटिंग के लिए 25-30 गाड़ियां दी हैं। हमारा पूरा ग्रुप है। जब जिसको ज्यादा गाड़ियों की जरूरत पड़ती है तो उनसे मांग लेते हैं। ऐसे ही हमारा काम चलता रहता है।
साजिद ने बताया- एक बार गोवा में सलमान खान ने मेरी गाड़ी चलाई। वो उन्हें बहुत पसंद आई। उन्होंने कहा- घर आकर इसका पैसा लेकर जाओ। ये गाड़ी मुझे चाहिए। वो गाड़ी मैंने सलमान को नहीं दी थी क्योंकि उस गाड़ी को मैं बेचना ही नहीं चाहता था। हालांकि, कुछ समय मेरे कजन ने एक बड़े बिजनेसमैन को वो गाड़ी दुगुनी कीमत में बेच दी। शुरुआत में हमने उस बिजनेसमैन को बहुत मनाया कि वो उस गाड़ी को ना खरीदे लेकिन वो नहीं माना। वो इतना अड़ गया कि कजन को उसे गाड़ी देनी ही पड़ी। इस घटना के पहले सलमान की सारी गाड़ियां हम ही हैंडल किया करते थे।
फिल्म चैंपियन में हमने 2-3 बाइक्स दी थी। फिल्म के लीड एक्टर सनी देओल थे। उन्हें ही ये बाइक्स चलानी थी। एक शूटिंग के दौरान क्राउड इतना था कि वे थोड़ा डिस्टर्ब हो गए।शूट खत्म होने के बाद उन्होंने बाइक साइड में पार्क की लेकिन स्टैंड सही से नहीं लगा, जिससे बाइक डेमेज हो गई। बाद में प्रोडक्शन वालों ने हमारे नुकसान की भरपाई की।
अकबर ने बताया- मेरे बड़े बड़े भाई फिल्मों में बतौर स्टंट मैन काम करते थे। सलमान खान की फिल्म तेरे नाम में एक सीन है, जहां पर बाइक पर बैठे सलमान कार से जा टकराते हैं। उस सीन को मेरे भाई ने ही सलमान खान का बाॅडी डबल बन कर किया था। इसी सीन को करने के दौरान उनके पेट में बाइक का हैंडल लग गया था। फिर सर्जरी के बाद ही वो सही हो पाए।
एक एड हमने की जिसमें अक्षय कुमार और रणवीर सिंह थे। इस एड में एक आर्मी बैकग्राउंड का सेट लगा हुआ था जिसमें रणवीर और अक्षय का चेसिंग सीन था। इस एड के लिए हमने 4 गाड़ियां दी थी।
जैकी दादा को कार्स का बहुत शौक है। वो भी हमारे गैरेज में गाड़ियों के लिए आते हैं। उनकी कई गाड़ियां हैं, जो हमने बनाई है। एक बार गैरेज के पास के सिग्नल पर उनकी गाड़ी खराब हुई थी, वो उसे ठीक करवाने यहीं आए थे। कई बार उन्होंने हमे काॅल किया था कि उन्हें घूमने के लिए गाड़ी चाहिए।

ऐसा कई बार हुआ कि सेलेब्स के काॅल आए हैं और उन्होंने घूमने के लिए गाड़ी मांगी है। कभी-कभार हम घूमने के लिए उनको गाड़ियां दे देते हैं लेकिन कई बार काम की वजह से ऐसा करना नामुमकिन होता है।
जॉन अब्राहम के साथ हमने फिल्म ‘आई, मी एंड माइसेल्फ’ में काम किया था। फिल्म के गाने के लिए हमने उन्हें पुरानी मर्सिडीज, फिएट जैसी गाड़ियां दी थी। उन्हें बाइक का भी बहुत शौक हैं। उनकी बाइक की भी सर्विसिंग हमने की है
कुछ साल पहले 1952 मॉडल की जीप हमने खरीदी थी। इसमें इंडियन आर्मी का ओरिजिनल टूल बॉक्स हैं। हमने ऐसी कई चीजों को खरीद कर रखा है। डिमांड के हिसाब से हम इसका कलर चेंज करते रहते हैं।
साजिद इस बिजनेस के बारे में बताते हैं, इस बिजनेस की शुरुआत मेरे पापा ने की थी। अब हम उसे आगे बढ़ा रहे हैं। जहां हम विंटेज कार को बनाते हैं वो गराज अकबर का है।
सबसे पहले इस गैरेज में फिल्म कर्म योगी के लिए गाड़ी बनी थी। फिल्म में जो डबल डेकर बस थी वो मेरे पापा अब्दुल मजीद ने ही बनाई थी। मेरे पापा वो कार बनाते थे, जो कोई नहीं बना सकता था।
मौजूदा समय पर साजिद और अकबर इस गाड़ी पर काम कर रहे हैं। इस गाड़ी के बारे में साजिद बताते हैं, इस गाड़ी को मेरे भाई ने खरीदा था। दरअसल, एक लड़का था, जिसने ये गाड़ी पिछले 10-12 साल से अपने पास रखी थी। वो इस गाड़ी को माॅडिफाई करना चाहता था लेकिन दुर्भाग्यवश उसकी मौत हो गई। भाई ने ये गाड़ी उसके माता-पिता से ली थी। वैसे, इसे मॉडिफाई करने में बहुत पैसे लगे। ये हमारा पैशन है, इस वजह से हम ये कर रहे हैं।