कल हो ना हो, सलाम ए इश्क, चांदनी चौक टू चाइना और बाटला हाउस जैसी फिल्म बनाने वाले फिल्ममेकर निखिल आडवाणी एक वक्त पर करण जौहर के बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों ने साथ मिलकर कई फिल्में बनाईं। हालांकि कल हो ना हो के बाद दोनों के बीच मतभेद हो गए। इसके बाद निखिल को फिल्में मिलनी बंद हो गईं।
तीन साल बाद सलमान ने उन्हें फिल्म ‘सलाम ए इश्क’ डायरेक्ट करने का मौका दिया जिससे निखिल की गाड़ी फिर पटरी पर आ सकी। निखिल ने फिर अक्षय कुमार के साथ काम करना शुरू किया। अक्षय ने निखिल को लाइफ में एक खास मंत्र दिया जो वे आज तक नहीं भूल पाते हैं।
निखिल आडवाणी और करण जौहर स्कूल फ्रेंड थे। निखिल ने करण की कई फिल्मों में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया। 2003 में करण ने निखिल को पहली बार फुल फ्लेज्ड फिल्म डायरेक्ट करने का मौका दिया।
ये फिल्म थी शाहरुख खान, सैफ अली खान और प्रीति जिंटा स्टारर ‘कल हो ना हो’। रिलीज होने के बाद फिल्म बहुत बड़ी हिट साबित हुई। फिल्म को दो नेशनल अवॉर्ड और कई फिल्म फेयर अवॉर्ड मिले थे। ये उस साल की सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाली फिल्म थी। हालांकि इसके बाद करण जौहर और निखिल के बीच किसी बात को लेकर इगो क्लैश हो गया। निखिल की धर्मा प्रोडक्शन से राहें जुदा हो गईं। इसकी वजह से तीन साल तक निखिल के पास काम नहीं था।
करण जौहर ने अपनी किताब An Unsuitable Boy (एन अनसुटेबल बॉय) में लिखा था कि उन्हें जिंदगी भर इस बात का अफसोस रहेगा कि उन्होंने ‘कल हो ना हो’ जैसी फिल्म डायरेक्ट क्यों नहीं की।
निखिल ने कहा, ‘कल हो ना बनाने के बाद मेरे और करण जौहर के बीच विवाद हो गया है। मुझे फिल्में मिलनी बंद हो गई थीं। उस वक्त सलमान खान ने मेरे ऊपर अपना हाथ रखा। उन्होंने मुझे सलाम ए इश्क डायरेक्ट करने का मौका दिया।
कुछ-कुछ होता है के टाइम पर हम लोगों ने साथ काम किया था। हम दोनों एक दूसरे से काफी हद तक परिचित थे। सलमान खान की वजह से सलाम ए इश्क में अनिल कपूर, प्रियंका चोपड़ा और गोविंदा जैसे बड़े स्टार ने काम किया था। सलमान ने अगर किसी फिल्म के लिए हां बोल दी, तो फिल्म की स्टारकास्ट अपने आप काम करने को तैयार हो जाती है।
सलाम ए इश्क के टाइम पर मेरे बारे में एक राय बना दी गई कि मैं लव स्टोरी नहीं बना सकता। मैं लोगों के सामने प्रूव करना चाहता था कि मैं एक नहीं बल्कि कई लव स्टोरी वाली फिल्में बना सकता हूं। सलाम ए इश्क करने के पीछे यही मंशा थी।’
निखिल आडवाणी के जीवन में अक्षय कुमार का क्या रोल है, इसका जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘अक्षय कुमार ने मुझसे एक बात कही थी। अक्षय ने कहा कि तुम्हारे फोन में कितने नंबर्स होंगे। मैं उन्हें सेठ जी कह कर बुलाता हूं। मैंने कहा कि सेठ जी, होंगे कोई 500 लोगों के नंबर्स
फिर अक्षय ने कहा कि उन 500 लोगों में से तुम हर महीने कितने लोगों से बात करते हो। मैंने कहा कि कम से कम 50 लोगों से बात करता ही हूं। फिर उन्होंने कहा कि एक हफ्ते में कितनों से बात कर लेते हो।
मैंने कहा कि करीब 10 लोगों से बात कर लेता हूं। फिर उन्होंने कहा कि एक दिन में कितने लोगों को फोन करते हो। मैंने कहा कि दो से तीन लोगों से बात कर लेता हूं। अक्षय ने कहा कि बस यही दो-तीन लोग तुम्हारे अपने हैं। बाकी लोगों को भूल जाओ। इन दो-तीन लोगों को कभी अपने से जुदा न होने देना।’
निखिल ने जितनी भी फिल्में बनाई हैं, उसमें से अधिकतर में बड़ी स्टारकास्ट देखने को मिली है। यह तस्वीर अक्षय कुमार की फिल्म पटियाला हाउस के प्रमोशन के समय की है।
कल हो ना हो के बाद जो ठहराव आया, शायद इसी ठहराव की वजह से निखिल आडवाणी इतना आगे बढ़ पाए। उन्होंने कहा, ‘अगर लाइफ में वो रुकावट नहीं आती तो शायद मैं आज यहां इस स्थिति में नहीं होता।
एक वक्त था, जब इंडस्ट्री वाले मेरा फोन नहीं उठाते थे। आज मैं किसी भी एक्टर या प्रोड्यूसर को फोन करूंगा तो वे जरूर रिसीव करेंगे। भले ही उसको मेरी बात समझ में न आए लेकिन वो मेरे से बात जरूर करेंगे। शायद पहले ऐसा नहीं था।’
निखिल ने आगे कहा, ‘प्रोड्यूसर-डायरेक्टर जो यह कहते हैं कि उन्हें बॉक्स ऑफिस नंबर्स से फर्क नहीं पड़ता तो वे झूठ बोलते हैं। फिल्म रिलीज के दिन जब आप सुबह रिव्यूज पढ़ते हैं, लोग जब आपकी फिल्म की धज्जियां उड़ाते हैं तो बहुत बुरा लगता है। इसलिए उस वक्त आपके पास अच्छे लोग होने चाहिए, ताकि उस स्थिति में वे आपका सपोर्ट सिस्टम बनकर
निखिल आडवाणी ने कहा कि उनके और करण जौहर के बीच जो मतभेद थे वो अब खत्म हो गए हैं। निखिल ने कहा, ‘हम दोनों अब आगे बढ़ चुके हैं। हम दोनों एक दूसरे के काम का सम्मान करते हैं। करण जब भी मेरा फोन उठाते हैं तो मैं इसकी जानकारी ट्विटर पर जरूर देता हूं।
उन्होंने धर्मा प्रोडक्शन को ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। उनके पिता यश जौहर जहां भी होंगे अपने बेटे पर जरूर गर्व कर रहे होंगे। मैं उम्मीद करता हूं कि करण भी हमारे प्रोडक्शन हाउस के बारे में अच्छा सोचते होंंगे।’
निखिल आडवाणी को शुरुआत से फिल्ममेकिंग करनी थी। कॉलेज जाने की बजाय वे फिल्में देखना पसंद करते थे। निखिल कहते हैं, ‘मैं पढ़ाई में बिल्कुल अच्छा नहीं था। मैं 12th में फेल हो गया था। इसी नाम से इन दिनों एक फिल्म भी आई है।
मैं कॉलेज नहीं जाता था, दिन भर फिल्में देखता था। उस वक्त मैंने सोच लिया था कि मुझे इसी फील्ड में काम करना है। फिर मेरी मुलाकात सईद मिर्जा (वेटरन डायरेक्टर) से हुई। मैंने उन्हें असिस्ट किया। फिर सुधीर मिश्रा से मिला और वहां से मेरे लिए दरवाजे खुलते गए।’
निखिल आडवाणी ने इंडस्ट्री में तीस साल पूरे कर लिए हैं। 10 साल तक उन्होंने बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया। इसके बाद अगले 20 साल तक उन्होंने प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के तौर पर फिल्में बनाईं। निखिल आडवाणी अब जल्द ही जॉन अब्राहम के साथ फिल्म ‘वेदा’ ला रहे हैं।