यूपी में दल-बदलुओं का का क्या हुआ एक बार जान लें

यूपी विधानसभा चुनाव से ऐन पहले सियासी पाला बदलकर दूसरी पार्टियां जॉइन करने वाले कई बड़े नेता चुनाव हार गए हैं. इनमें प्रदेश के जाने-माने ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं. मौर्य हाल ही में योगी सरकार से निकलकर सपा में शामिल हुए थे. हालांकि, कई दलबदलुओं को नई पार्टी की हवा रास आई है.

स्वामी प्रसाद मौर्य, फाजिलनगर : बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य फाजिलनगर विधानसभा सीट से हार गए हैं. बीजेपी के सुरेंद्र कुशवाहा ने उन्हें 26,000 से ज्यादा वोटों से हराया है. स्वामी प्रसाद मौर्य प्रदेश के बड़े गैर-यादव ओबीसी नेताओं में जाने जाते हैं. वह 2017 में बीएसपी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. योगी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मौर्य ने बीजेपी छोड़ सपा का दामन थामा था.

धर्म सिंह सैनी, नकुड़ : धर्म सिंह सैनी भी चुनावों से ठीक पहले मंत्री पद और भाजपा का साथ छोड़ सपा में शामिल हुए थे. वह सहारनपुर जिले की नकुड़ विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं. कांटे की टक्‍कर में भाजपा के मुकेश चौधरी ने उन्हें शिकस्त दी है. धर्म सिंह सैनी यूपी की बीजेपी सरकार में आयुष विभाग, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे हैं. 2002 से लगातार चार बार के विधायक हैं. 2002, 2007 और 2012 में बसपा के टिकट पर विधानसभा में पहुंचे थे, जबकि 2017 में बीजेपी के टिकट पर नकुड़ सीट से जीतकर विधायक बने थे.

दारा सिंह चौहान, घोसी: योगी सरकार में मंत्री रहे दारा सिंह चौहान भी पाला बदलकर साइकिल पर सवार हुए थे, लेकिन दूसरे दलबदलुओं के मुकाबले उनकी किस्मत अच्छी रही. मऊ जिले की घोसी विधानसभा पर उन्होंने जीत दर्ज की है. 2017 में दारा सिंह चौहान ने बीजेपी के टिकट पर मऊ जिले की घोसी विधानसभा से चुनाव जीता था. लेकिन इस बार चुनाव से ठीक पहले सपा में शामिल हो गए थे.

राम अचल राजभर, अकबरपुर: बहुजन समाज पार्टी से जुड़े रहे राम अचल राजभर ने इस बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर अकबरपुर सीट से चुनाव लड़ा था. आखिरी चरण की मतगणना तक उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों से बढ़त बनाए रखी थी और उनकी जीत सुनिश्चित मानी जा रही है. हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा देर शाम तक नहीं हुई थी. पांच बार के विधायक राजभर बीएसपी सुप्रीमो मायावती के करीबी नेताओं में रहे हैं. लेकिन बाद में दोनों में अनबन हो गई. मायावती ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बसपा से निष्कासित कर दिया था. 2022 के चुनाव से पहले राम अचल ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था.

लालजी वर्मा, कटेहरी: चुनावों से कुछ समय पहले ही नई पार्टी जॉइन करने वाले यूपी के दिग्गज नेताओं में लालजी वर्मा भी रहे हैं. वह कटेहरी सीट से सपा के टिकट पर लड़ रहे थे और देर शाम तक उनके अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से आगे होने की खबर थी. बहुजन समाज पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव और विधानमंडल दल के नेता रहे लालजी वर्मा 2017 में बीएसपी के टिकट पर अंबेडकर नगर की कटेहरी सीट से चुनाव जीते थे. लालजी वर्मा बसपा सरकार में मंत्री के अलावा पार्टी में भी अहम पदों पर निर्णायक भूमिका में थे.

अदिति सिंह, रायबरेली सदर : अदिति सिंह ने रायबरेली सदर सीट पर बीजेपी का झंडा लहरा दिया है. कांग्रेस की इस पारंपरिक सीट से ही वह पहले पंजे के निशान पर विधायक बनी थीं. लेकिन नवंबर 2021 में यूपी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में अदिति ने बीजेपी का दामन थामा था. 2017 में उन्होंने इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी.