एच.एस. रवैल…ऐसे डायरेक्टर जिन्होंने 60 के दशक में फिल्मी इंडस्ट्री को बेहतरीन फिल्में दी थीं। 1963 में रिलीज हुई हिट फिल्म मेरे महबूब भी उन्हीं के डायरेक्शन में बनी थी। इसके बाद उन्होंने रोमियो और जूलियट की कहानी से इंस्पायर होकर फिल्म लैला मजनू बनाई। ये फिल्म ऋषि कपूर की हिट फिल्मों में से एक थी।
एच.एस. रवैल का जन्म लायलपुर, पंजाब, ब्रिटिश भारत में हुआ था। बचपन से ही वो फिल्म मेकर बनना चाहते थे इसलिए वो मुंबई चले गए थे। बाद में एच.एस. रवैल वहां से कोलकाता चले गए, जहां उन्होंने कई फिल्मों के लिए कहानियां लिखी थीं। 1940 में रिलीज हुई फिल्म दो रंगिया डाकू से उन्होंने बतौर डायरेक्टर करियर की शुरुआत की थी।
इसके बाद एच.एस. रवैल की लगातार 3 फिल्में, शुक्रिया (1944), जिद (1945) और झूठी कसमें (1948) बाॅक्स ऑफिस पर फ्लॉप रहीं। 1 साल बाद उन्होंने 1949 में रिलीज हुई फिल्म पतंग से कमबैक किया। ये फिल्म 1949 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी। इस फिल्म का गाना मेरे पिया गए रंगून, आज भी लोगों को याद है और इसे शमशाद बेगम ने गाया था।
1949 से 1956 तक, एच.एस. रवैल की लगातार 9 फिल्में बाॅक्स आफिस पर पिट गईं थीं। इसके बाद उन्होंने मार्च 1956 में दो और फिल्मों के प्रोजेक्ट को शुरू किया था जिसमें मीना कुमारी के साथ फिल्म चालबाज और वैजयंती माला के साथ फिल्म बाजीगर शामिल थी। हालांकि उन्हें इन दोनों को बाद में ड्राॅप करना पड़ा जिसे बाद में नानाभाई भट्ट ने निरूपा रॉय के साथ मिलकर बनाया था।
लगातार फ्लॉप फिल्मों के कारण एच.एस. रवैल ने सिनेमा जगत से 3 साल की ब्रेक ले लिया था। फिर 1959 में रिलीज हुई फिल्म शरारत से उन्होंने कमबैक किया था। इस फिल्म में किशोर कुमार, मीना कुमारी और राज कपूर नजर आए थे, पर ये फिल्म भी पिट गई थी।
एच.एस. रवैल को बड़ी सफलता 1963 में रिलीज हुई फिल्म मेरे महबूब से मिली थी। इसमें राजेंद्र कुमार और साधना शिवदासानी लीड रोल में नजर आए थे। उसके बाद उन्होंने राजेश खन्ना और लीना चंदावरकर के साथ मिलकर फिल्म महबूब की मेहंदी बनाई थी। ये फिल्म राजेश खन्ना के हिट फिल्मों से एक थी।
13 साल बाद एच.एस. रवैल ने फिल्म लैला मजनू बनाई थी। इस फिल्म में ऋषि कपूर और रंजीता कौर लीड रोल में थीं। इस फिल्म के लिए ऋषि कपूर ही उनके पहले और आखिरी पसंद थे। इसकी दो वजह थी। पहला ये कि राज कपूर और एच.एस.रवैल, एक दूसरे के पड़ोसी थे और दूसरा ये कि ऋषि उनके बेटे राहुल के दोस्त थे।
इसके बाद तलाश थी फिल्म की लैला की। इसके लिए बड़ी रकम खर्च की गई थी। कोलकाता सहित कई बड़े-बड़े शहर में विज्ञापन जारी किए गए थे पर एच.एस. रवैल की ये तलाश पुणे में जा कर पूरी हुई। पुणे फिल्म इंस्टिट्यूट में एक्टिंग का कोर्स कर रही रंजीता कौर को फिल्म के लिए सिलेक्ट किया गया। इस रोल के लिए रंजीता को वजन कम करने में काफी समय लगा था।
एच.एस. रवैल की आदत थी कि शाॅट कितना भी अच्छा क्यों ना हो, वो एक से अधिक रीटेक जरूर लेते थे। फिल्म लैला मजनू को बनने में 130 दिन लगे थे, क्योंकि यह एक पीरियड ड्रामा फिल्म थी और खर्चीली भी बहुत थी। कॉस्ट्यूम और भव्य सेट्स के अलावा इस फिल्म के सारे गाने भी हिट थे।
इस फिल्म ने सफलता के झंडे गाड़ दिए और बाॅबी के बाद ये ऋषि कपूर की ये सबसे बड़ी हिट फिल्म थी। फिल्म में ऋषि कपूर के फटे होंठ, खून से लथपथ शरीर को दिखाया गया था। उस समय ऐसा मेकअप करने के लिए ऋषि कपूर मेकअप का सामान लॉस एंजेल्स से खुद खरीद कर लाए थे।
दीदार-ए-यार (1982) के निर्देशक के रूप में एच.एस. रवैल की आखिरी फिल्म थी। ये फिल्म भी बाॅक्स आफिस पर पिट गई थी जिसके बाद उन्होंने सिनेमा जगत से विश्राम ले लिया। इसके बाद 83 साल की उम्र में 17 सितंबर 2004 को मुंबई में उनका निधन हो गया।