एक्टर फारुख शेख की आज 75वीं बर्थ एनिवर्सरी पर उनके बारे में जानिए,

तुमको देखा तो ये ख्याल आया, ये गाना मंझे हुए कलाकार फारुख शेख पर फिल्माया गया है। फिल्ममेकर सत्यजीत रे से लेकर डायरेक्टर अयान मुखर्जी तक के साथ काम कर चुके एक्टर फारुख शेख की आज 75वीं बर्थ एनिवर्सरी है। फारुख का जन्म 25 मार्च 1948 को वडोदरा के जमींदार के घर हुआ था। फारुख ने पहले थिएटर में जगह बनाई और फिर फिल्मों में। गरम हवा (1973) से फारुख फिल्मों में आए, जिसके लिए उन्हें फीस तक नहीं मिली। फिर उनका फिल्मी सफर 2013 में हुई उनकी मौत तक जारी रहा। इतने मददगार थे कि कभी इन्होंने एक लाइटमैन के लिए महीनों तक अस्पताल के चक्कर काटे तो कभी बिना बताए 26/11 हमले में विक्टिम परिवार की चोरी-छिपे मदद करते रहे। आज इनकी बर्थ एनिवर्सरी पर पढ़िए कुछ अनसुने किस्से-
थिएटर में काम करते हुए 1973 में फारुख शेख को फिल्म गरम हवा से डेब्यू करने का मौका मिला। पहली फिल्म के लिए फारुख को फीस नहीं मिली थी। फिल्ममेकर रमेश सथ्यू को ऐसे लड़के की जरुरत थी जो बिना फीस के काम करे। फारुख पहले ही थिएटर कर रहे थे, तो उन्होंने झट से हां कह दी। 5 साल बाद रमेश सथ्यू ने फारुख को उनकी मेहनत के लिए 750 रुपए फीस दी थी।
1981 में रिलीज हुई फिल्म चश्मे बद्दूर फारुख शेख के करियर की सबसे बेहतरीन फिल्मों में शुमार है। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान एक लाइटमैन छत से गिरकर बुरी तरह जख्मी हो गया था। लाइटमैन को अस्पताल पहुंचाने के बाद पूरी यूनिट अपने काम में लग गई। कुछ दिनों बाद पता चला कि फारुख शेख रोजाना न सिर्फ उस लाइटमैन से मिलने जाते थे, बल्कि उन्होंने इलाज का पूरा खर्च भी उठाया था।
मुंबई के ताज होटल में आतंकवादियों के हमले के बाद कई परिवार वालों ने अपनों को खोया था। इस हमले से कांबळे परिवार को भी खूब नुकसान हुआ। राजन कांबले नाम का एक आदमी ताज होटल में मेंटेनेंस का काम करता था, जो एक गेस्ट को बचाते हुए हमले में मारा गया। उसके पीछे पत्नी श्रुति कांबले और दो बच्चे अकेले पड़ गए। जब एक दिन फारुख शेख ने अखबार में ये खबर पढ़ी तो उन्हें बहुत दुख हुआ। उन्होंने सीधे अखबार में कॉल कर उनके परिवार की डिटेल्स ले लीं और कहा कि इस बात को राज रखा जाए। फारुख हर महीने श्रुति कांबले के घर पैसे भेजते थे और हर साल उनके बच्चों की फीस भरते थे। सालों तक श्रुति काम्बले इस बात से अनजान थीं कि उनकी आर्थिक मदद कौन करता है। जब 2013 में फारुख का निधन हुआ तो श्रुति को इस बात की जानकारी मिली कि उनकी मदद इतने बड़े स्टार करते थे।
फारुख शेख को हमेशा ही सफेद चिकनकारी कुर्ते में देखा जाता था। ये उनका आइकॉनिक लुक था। ये इतने जमीनी व्यक्ति थे कि इन्होंने 30 सालों तक सिर्फ एक ही जगह से एक ही तरह का कुर्ता खरीदा। फारुख शेख SEWA (सेल्फ एंप्लॉयड वुमन्स एसोसिएशन), लखनऊ से ही कुर्ते खरीदते थे, जिसे रूना बनर्जी चलाती थीं। 30 साल में कभी फारुख ने कुर्ते के लिए मोलभाव नहीं किया और असल रकम से हमेशा 500 रुपए ज्यादा दिए। कहते थे-ये 500 रुपए कारीगर को देना।

उनके हर कुर्ते की कीमत 2500-3000 तक की होती थी। ज्यादातर फारुख 70 हजार से 80 हजार की शॉपिंग करते थे वहीं कई बार बिल 1 लाख के पार होता था। फारुख शेख एक कुर्ते की धुलाई में ही साल में 20 हजार रुपए खर्च करते थे
एक बार फारुख दुबई जा रहे थे, उन्होंने जल्दबाजी में अपनेरिश्तेदारों के लिए भी कई कुर्ते खरीदे। उन्हें निकलने में देर हो रही थी तो उन्होंने जेब से ब्लैंक चेक निकाला और रूना जी को पकड़ा था। कहा, जो रकम हो भर लो। रूना ने जी ने कहा, अगर में ज्यादा रकम भर लूं तो। फारुख ने हंसते हुए जवाब दिया, ऊपर जवाब देना पड़ेगा रूना जी।
फारुख शेख खाने-पीने के बड़े शौकीन थे। वो जब भी कोलकाता जाते थे तो वहां की मशहूर मिष्टी दोई, फिल्म डायरेक्टर साई परांजपे के लिए ले आते थे। एक बार फारुख फ्लाइट से मुंबई लौट रहे थे। उन्होंने दही से भरा कंटेनर लगेज बॉक्स में डाल दिया, लेकिन ना जाने कैसे वो डिब्बा खुल गया और सारा दही नीचे बैठे पैसेंजर पर आ गिरा। पैसेंजर गुस्सा तो हुआ, लेकिन फारुख ने माफी मांग कर मामला संभाला था।
1981 की फिल्म चश्मे बद्दूर में फारुख शेख और दीप्ति नवल की जोड़ी पहली बार नजर आई। इनकी जोड़ी को खूब पसंद किया गया, जो 9 फिल्मों में दिखी। दोनों ऑनस्क्रीन के अलावा ऑफस्क्रीन भी अच्छे दोस्त रहे। जब चश्मे बद्दूर 2 फिल्म रिलीज हुई तो 2013 कुछ मीडियाकर्मी दीप्ति के घर इंटरव्यू लेने पहुंचे। वहीं फारुख शेख भी मौजूद थे। लगातार दीप्ति के घर लोग आते देख उनकी सोसाइटी के लोग भड़क गए। लोगों ने भीड़ देखकर आपत्ति जताई और कहा कि सोसाइटी में ये नाटक नहीं होगा। अगले ही दिन अखबारों में खबर छपी कि दीप्ति अपने घर में वेश्यावृत्ति करती हैं और लोगों का आना-जाना लगा रहता है। दीप्ति खबर पढ़कर खूब भड़कीं। उन्होंने ये खबर छापने वालों से खिलाफ कानूनी कार्यवाही की थी।
फारुख शेख ने सेंट जेवियर कॉलेज पढ़ाई की। उनकी मुलाकात कॉलेज के दिनों में रूपा जैन से हुई और दोनों को एक- दूसरे से प्यार हो गया। दोनों करीब 9 सालों तक रिलेशनशिप में रहे। दोनों के दोस्त और परिवार वाले भी इस रिश्ते से वाकिफ थे। फारुख शेख के परिवार को तो रिश्ते से एतराज नहीं था, लेकिन रूपा के घरवाले फारुख की कमाई को लेकर चिंतित रहते थे, क्योंकि वो उन दिनों सिर्फ थिएटर से ही मामूली कमाई करते थे। रूपा से शादी करने से पहले फारुख ने खुद को बतौर एक्टर स्थापित किया, जिसके बाद दोनों के परिवारवालों ने राजी खुशी उनकी शादी करवाई। इस शादी से फारुख को 2 बेटियां सना और शाइस्ता हैं।
फारुख शेख और शबाना आजमी कॉलेज के दिनों से दोस्त थे। फिल्मों में आए तब भी इनकी दोस्ती बरकरार रही। एक दिन फारुख, शबाना के साथ सैर करते हुए उन्हें एक भिखारी मिला। फारुख ने जेब से 50 पैसे निकालकर उसे दे दिए। जाते-जाते भिखारी ने दोनों को पति-पत्नी समझते हुए दुआ दी, खुदा आपकी जोड़ी हमेशा सलामत रखे। फारुख ने ये सुनते ही कहा, अगर ऐसी ही बद्दुआ देनी है तो मेरे पैसे वापस कर दो। खैर ये तो फारुख के मजाक करने का एक तरीका था, क्योंकि दोनों की दोस्ती 45 सालों तक सलामत रही
28 दिसंबर 2013 को फारुख शेख का हार्ट अटैक से निधन हो गया। फारुख स्वस्थ थे और अपने परिवार के साथ हॉलिडे मनाने गए थे। मौत के बाद उनके शव को मुंबई लाया गया था, जहां 30 दिसंबर को उनका अंतिम संस्कार हुआ। उनकी कब्र चार बंगला, अंधेरी वेस्ट में उनकी मां की कब्र के ठीक बाजू में बनाई गई थी।