किसान आंदोलन : विदेशी नेताओं की बयानबाजी पर विदेश मंत्रालय का सख्त रुख , बंद करें आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप

विदेश मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन पर विदेशी नेताओं की बयानबाजी पर एक बार फिर सख्त एतराज जताया है। मंत्रालय ने कहा है कि विदेशी नेता गलत सूचना के आधार पर बयानबाजी कर रहे हैं जो पूरी तरह से अनुचित है। मंत्रालय ने एक दिन पहले ही कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया था और प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो के बयान पर आपत्ति पत्र सौंपा था। इसके बावजूद ट्रूडो बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे। संयुक्त राष्ट्र महासचिव और ब्रिटेन के कुछ नेताओं ने भी किसानों के प्रदर्शन का समर्थन किया है।
विदेशी नेताओं की बयानबाजी पर विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि भारत में किसानों के मामलों को लेकर अधूरी जानकारी के आधार पर कुछ विदेशी नेताओं ने टिप्पणियां की है, जो अनुचित है, खासकर तब जब यह एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से जुड़ा है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि राजनीतिक मकसद से राजनयिक वार्ताओं को गलत तरीके से नहीं पेश किया जाना चाहिए।
शुक्रवार को भारत ने कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया था और उन्हें ट्रूडो और उनके कुछ मंत्रियों के बयान पर आपत्ति जताई थी। मंत्रालय ने उच्चायुक्त को डिमार्श (आपत्ति पत्र) भी सौंपा था। विदेश मंत्रालय के विरोध के बावजूद कनाडाई पीएम ट्रूडो ने फिर बयान दिया है। उनका कहना है कि वह दुनिया के किसी भी देश में शांतिपूर्ण तरीके से किए जाने वाले विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करते हैं।
ब्रिटेन के लेबर पार्टी के सिख सांसद तनमनजीत सिंह धेसी ने विदेश मंत्री डोमिनिक रॉब को पत्र लिखकर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से किसानों के प्रदर्शन पर बात करने को कहा है। पत्र पर विभिन्न दलों के 36 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। हालांकि, ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रकुल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) ने कहा है कि उसे कोई पत्र नहीं मिला है। एफसीडीओ के प्रवक्ता ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस का व्यवहार भारत का मामला है।
मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस की तरफ से उनके प्रवक्ता ने कहा था कि लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने का अधिकार है और प्रशासन को उन्हें ऐसा करने देना चाहिए। गुतेरस के प्रवक्ता स्टेफन दुजारिक ने भारत में किसानों के प्रदर्शन के सवाल पर यह बात कही।

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आदर्श कुमार

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