खैबर पख्तूनख्वा सरकार पाकिस्तान में राज कपूर और दिलीप कुमार के पुश्तैनी घर खरीदेगी

 पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा की प्रांतीय सरकार ने बॉलीवुड के महान अभिनेताओं राज कपूर और दिलीप कुमार के पुश्तैनी घरों को खरीदने का फैसला किया है. केपी सरकार ने यह फैसला जर्जर हालत में पड़ीं इन ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण के लिए किया है जिन पर विध्वंस का खतरा भी मंडरा रहा है.

एक अधिकारी ने बताया कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पुरातत्व विभाग ने दोनों इमारतों की खरीद के लिए पर्याप्त राशि आवंटित करने का निर्णय किया है. अधिकारी ने कहा कि दोनों अभिनेताओं के पुश्तैनी मकानों को सरकार की ओर से राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जा चुका है और ये इमारतें पेशावर शहर के मध्य में स्थित हैं.

पुरात्तव विभाग के अध्यक्ष डॉ. अब्दुस समाद खान ने कहा कि पेशावर के डिप्टी कमिश्नर को इस संबंध में एक पत्र भेजा गया है. इस पत्र में दोनों ऐतिहासिक इमारतों की कीमत निर्धारित करने को कहा गया है, जहां भारतीय सिनेमा के दो सितारों का जन्म हुआ और विभाजन से पहले जहां उन्होंने अपना शुरुआती जीवन गुजारा.

अब्दुस समाद खान ने बताया कि दोनों इमारतों के मालिकों ने प्रमुख स्थान पर होने के चलते व्यावसायिक प्लाजा के निर्माण के लिए इमारतों को ढहाने के कई प्रयास किए. लेकिन इन इमारतों के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए पुरातत्व विभाग ने इनके संरक्षण का फैसला लिया और इन्हें ढहाने की कोशिशों पर रोक लगाई गई.

हालांकि, कपूर हवेली के वर्तमान मालिक अली कादर का कहना है कि वह इमारत को ढहाना नहीं चाहते थे. उन्होंने कहा कि ये इमारत देश का गौरव है. मैंने इसके संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से कई बार संपर्क किया था. मालिक ने केपी सरकार से इमारत बेचने के लिए 200 करोड़ रुपये की मांग की है.

राज कपूर के बेटे और दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर के अनुरोध पर साल 2018 में पाक सरकार ने कपूर हवेली को संग्रहालय में परिवर्तित करने का फैसला किया था. हालांकि, दो साल बाद भी यह फैसला अमल में नहीं आ पाया है. बता दें कि पेशावर में ऐसी करीब 1800 ऐतिहासिक इमारतें हैं जो 300 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं.

राज कपूर का पुश्तैनी घर कपूर हवेली प्रसिद्ध किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित है. इसका निर्माण दिग्गज अभिनेता के जदादा दीवान बशेस्वरनाथ कपूर ने साल 1918 से 1922 के बीच करवाया था. राज कपूर और उनके चाचा त्रिलोक कपूर का जन्म यहीं हुआ था. प्रांतीय सरकार ने इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था.