KGMU ट्रॉमा सेंटर में 2 महिलाओं की वैंटिलेटर न मिलने से मौत हो गई। तीमारदारों का आरोप हैं कि वेंटिलेटर के लिए ट्रॉमा सेंटर में भटकते रहे, गुहार लगाते रहे पर सुनवाई नहीं हुई।चिकित्सा विश्वविद्यालय में ऐसे हालात तब हैं जब स्वास्थ्य मंत्री डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की तरफ से तमाम अवसरों पर गंभीर मरीजों के इलाज में किसी प्रकार की कोताही न बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
लखनऊ के इंदिरानगर निवासी 40 साल की मनभावती को किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित थीं। KGMU नेफ्रोलॉजी विभाग में उनका इलाज चल रहा था। सोमवार को मरीज की तबीयत गंभीर हो गई तो परिजन आनन- फानन में ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। डॉक्टरों ने मरीज को देखा और जरूरी जांच कराई। जांच में क्रिटिनिन का स्तर बढ़ा निकला। कुछ देर बाद मरीज की तबीयत लगातार गंभीर होती चली गई और वह बेहोश हो गई। ट्रॉमा एरिया में डॉक्टरों ने मरीज को वैंटिलेटर की जरूरत बताई। इस संबंध में रेफरल लेटर बनाकर वैंटिलेटर यूनिट में तीमारदारों को भेजा गया।
मरीज के पति अशोक के मुताबिक कई बार डॉक्टर और स्टॉफ के पास मरीज को वैंटिलेटर दिलाने के लिए गए लेकिन सुनवाई नहीं हुई। तीन दिन से मरीज ट्रॉयज एरिया में एम्बुबैग पर पड़ी रही, फिर भी बेड आवंटित नहीं किया गया। वैंटिलेटर न मिलने से गुरुवार देर रात मरीज की मौत हो गई।
लखीमपुर खीरी निवासी 45 साल की लज्जावती की अचानक तबियत बिगड़ने से झटके आने लगे। इस पर परिजन पहले उन्हें निजी अस्पताल ले गए। जहां जांच के बाद मरीज को ट्रॉमा रेफर कर दिया। बुधवार रात मरीज को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। डॉक्टरों ने मरीज को ट्रॉयज एरिया में भर्ती किया। ट्रॉयज एरिया से वैंटिलेटर के लिए रेफरल लेटर बनाया गया। भतीजे दिलीप का आरोप है कि स्टॉफ ने वैंटिलेटर बेड खाली न होने की बात कही। आठ बार अलग-अलग समय पर वैंटिलेटर के लिए गए, लेकिन बेड नहीं मिला। वैंटिलेटर न मिलने से शुक्रवार दोपहर महिला मरीज की जान चली गई।
KGMU के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नही हैं। यदि कोई शिकायत आई होगी तो जांच जरूर कराई जाएगी।