यूनेस्को ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के भारतीय हिस्से को अपनी वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में अस्थायी तौर पर शामिल कर लिया है। संस्कृति मंत्रालय के एक सूत्र ने रविवार को इस बात की पुष्टि की। सूत्र ने बताया कि मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) ने अप्रैल में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के जरिये एक प्रस्ताव यूनेस्को को भेजा था। इस प्रस्ताव में कैलाश मानसरोवर को प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर के तौर पर मिश्रित वर्ग में शामिल किए जाने का आग्रह किया गया था। भारत में करीब 6,836 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र कवर करते हुए कैलाश मानसरोवर का क्षेत्र पूर्व में नेपाल और उत्तर में चीन की सीमा से घिरा हुआ है। यह भारतीय हिस्सा 31 हजार किलोमीटर के उस वृहद क्षेत्र का हिस्सा है, जिसे चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के ‘पवित्र कैलाश प्रदेश’ के तौर पर जाना जाता है। इसका कुछ हिस्सा नेपाल के पश्चिमी हिस्से के चीन से जुड़े जिलों में भी फैला है।
उत्तराखंड को होगा बेहद लाभ
सूत्र के मुताबिक, चीन और नेपाल भी पवित्र कैलाश क्षेत्र को वर्ल्ड हेरिटेज साइट के तौर पर चिह्नित करने का प्रस्ताव यूनेस्को को दे चुके हैं। यदि यह प्रस्ताव कैलाश मानसरोवर यात्र के एक अहम ट्रांजिट प्वाइंट उत्तराखंड के जरिए चलने वाले रास्ते के तहत आता है, तो यात्रा मार्ग के आसपास रहने वाले समुदायों को इससे बेहद लाभ होगा, जिन्हें इस साइट के लिए स्थायी पर्यटन विकसित करने की योजना में शामिल किया जा सकता है। बता दें कि इस यात्रा के भारतीय हिस्से में उत्तराखंड राज्य में चार प्रमुख वाटरशेड (पनार-सरयू, सरयू-रामगंगा, गौरी-काली और धौली-काली) आते हैं, जिसके तहत आने वाले समुदायों को इस योजना का लाभ हो सकता है।