बच्ची को ट्रेन से बचाने ट्रैक पर कूदा, मैं अपने दोनों हाथ-एक पैर कटते देख रहा था, सरकार नौकरी का वादा कर मुकर गई

लखनऊ का रियाज पैर से लिखता है। उसके दोनों हाथ और एक पैर नहीं है। रेलवे ट्रैक पर एक बच्ची को बचाने के चक्कर में उसने अपने हाथ और पैर गंवा दिए। सीएम-पीएम से लेकर राष्ट्रपति तक ने सम्मान दिया। इस बहादुरी के लिए उसे दुनिया के तमाम देशों में अवार्ड्स दिए गए।
सरकार ने वादा किया कि रियाज जब 12वीं पास कर लेगा तो उसे नौकरी दी जाएगी। अब उसे 12वीं पास किए 4 साल बीत चुके हैं। लेकिन आज तक नौकरी नहीं मिली।
9 साल की उम्र में रियाज ने एक चार साल की बच्ची को ट्रेन से कटने से बचाया। वो बच्ची तो बच गई लेकिन रियाज ने अपने दोनों हाथ और एक पैर खो दिए।
साल 2003. नौ साल का रियाज लखनऊ के डालीगंज के एक पार्क में खेल रहा था। सामने रेल की पटरी थी। तभी करीब 5 साल की एक बच्ची रेलवे ट्रैक को क्रॉस करने लगी। बच्ची के साथ उसके पिता भी थे। पिता आगे और बच्ची पीछे चल रही थी। रियाज ने देखा कि जिस ट्रैक पर वो बच्ची आने वाली है वहां ट्रेन आ रही है।

जोर से चीखा, बच्ची के पिता को कई बार आवाज लगाई लेकिन उन्होंने नहीं सुना। रियाज दौड़ा और बच्ची को बचाने के लिए रेलवे ट्रैक पर कूद गया। उसने बच्ची के पिता को धक्का दिया और वो लड़की को गोद में उठाकर ट्रैक से हटने लगा। जैसे ही वो आगे बढ़ा उसका पैर रेलवे ट्रैक में फंस गया। उसने तुरंत बच्ची को बाहर ढकेला। वो खुद निकल पाता इससे पहले ट्रेन उसके एक पैर के ऊपर से गुजरी। उसका पैर कटकर अलग हो गया।

रियाज खुद को बचा पाता इससे पहले ही उसके दोनों हाथ भी शरीर से कट गए। उस बच्ची की जान बचाने में रियाज ने अपने दोनों हाथ और एक पैर खो दिया। वो कहता है कि मैं अपने हाथ और पैर कटते देख रहा था लेकिन ट्रेन के नीचे ऐसे फंस गया था कि निकल नहीं पाया।
वहां आस-पास मौजूद लोगों की भीड़ इकठ्ठा हो गई। लोगों ने रियाज को अस्पताल पहुंचाया। उसके मां-बाप को जब ये खबर मिली तो वो दौड़े-दौड़े अपने बेटे के पास पहुंचे। रियाज को इस हालत में देखकर उसकी मां बेहोश हो गई। रियाज का इलाज चला और डॉक्टरों ने उसकी जान बचा ली।
रियाज की जान तो बच गई लेकिन उसने अपने दोनों हाथ और एक पैर खो दिए थे। वो पढ़ाई करना चाहता था लेकिन बिना हाथ के वो अपनी पढाई कैसे करेगा, परीक्षा कैसे देगा उसे समझ नहीं आ रहा था। तभी लखनऊ के एक स्कूल ने रियाज को गोद लिया। रियाज ने अपने एक पैर से लिखना सीखा। वो पैर से लिखकर ही सभी एग्जाम देता। उसने 89% मार्क्स के साथ 12वीं पास की।
12वीं पास होने के बाद ग्रेजुएशन करने के लिए रियाज ने एक कॉलेज में एडमिशन लिया। लेकिन पैसों की कमी की वजह से वो ग्रेजुएशन नहीं कर पाया और उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी। साल 2022 में 3 लाख का लोन लेकर रियाज ने एक 4 बाई 3 की दुकान खोली। दुकान ने टॉफी, बिस्कुट, नमकीन और मसाले बेचने लगे। लेकिन 3 दिन बाद ही उसकी दुकान में डेढ़ लाख का सामान चोरी हो गया।
रियाज ने फिर से 20 हजार रुपए उधार लेकर दुकान का सामान खरीदा। अब वो व्हीलचेयर से हर सुबह दुकान आते और दिन-भर वहीं सामान बेचते हैं। वो बताते हैं कि महीने में 6 से 7 हजार तक की कमाई हो जाती है। लेकिन इससे घर चला पाना बहुत मुश्किल है।
रियाज कहते हैं कि मेरी शादी हो चुकी है और ढाई साल का बच्चा है। साथ ही घर में मां और भाई बहन समेत 8 लोगों का परिवार है। इतनी कमाई से जैसे-तैसे घर खर्च चल पाता है। वो कहते हैं कि पहले पिता घर खर्च में थोड़ी मदद कर देते थे। पर साल 2022 में उनका निधन हो गया। इसके बाद पूरी परिवार की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गई।
रियाज बताते हैं कि इस बीच उन्हें कई जगह सम्मानित किया गया। 24 जनवरी 2003 को तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेई ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया। 26 जनवरी 2003 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने संजय चोपड़ा वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके बाद कई सारेगामापा जैसे टीवी शोज में बुलाया गया। रियाज की बहादुरी से प्रभावित होकर बॉलीवुड की कई बड़ी हस्तियों ने उससे मुलाकात की।
सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी रिजवान की चर्चा हुई। साल 2010 में ब्रेवरी अवार्ड के लिए उसे मॉरीशस और सिंगापुर बुलाया गया। रियाज कहते हैं कि सबने मुझे सम्मान दिया मेरी तारीफें की। मुझे अच्छा लगता था कि मेरे काम की सराहना की गई लेकिन पैसों से किसी ने मदद नहीं की। अब सम्मान से तो मैं अपने परिवार का पेट नहीं भर सकता ना।
रियाज बताते हैं कि इस घटना को 20 साल हो गए। तब से 3 सरकारें आईं लेकिन आर्थिक रूप से किसी ने मेरी मदद नहीं की। घटना के बाद मुझे वादा किया गया था कि जब मैं 12वीं पास कर लूंगा तो सरकार नौकरी देंगे। मैंने साल 2017 में 12वीं पास कर ली। इसके बाद मुख्यमंत्री के जनता दरबार में गया। नौकरी की मांग की पर अब तक कोई मदद नहीं मिली है।