हार्वर्ड विश्वविद्यालय (Harvard University) और मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (Massachusetts Institute of Technology) के बाद अब जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने भी ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा दर्ज करा दिया है. जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने विदेशी छात्रों के विश्वविद्यालयों द्वारा उनकी कक्षाओं को केवल ऑनलाइन कक्षाओं में बदल देने के कारण उनके अमेरिका में रूकने से जुड़े नए दिशानिर्देशों को लेकर होमलैंड सुरक्षा विभाग और फेडरल इमीग्रेशन एजेंसी पर मुकदमा दायर कर दिया है. इमीग्रेशन अधिकारियों द्वारा सोमवार को जारी नए दिशानिर्देशों के तहत अगर अंतरराष्ट्रीय छात्रों को उनके विश्वविद्यालय अगले सेमेस्टर में पूरी तरह से ऑनलाइन कक्षाएं प्रदान करते हैं तो छात्रों को अमेरिका छोड़ने या किसी अन्य कॉलेज में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया जाएगा. बाल्टीमोर निजी संस्था ने शुक्रवार को कोलंबिया के एक जिले की फेडरल कोर्ट में अमेरिका के आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन के खिलाफ मुकदमा दायर किया. इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि एजेंसी के फैसले ने आगामी सेमेस्टर के लिए विश्वविद्यालय के प्लान को फिर से शुरू करने जैसा है. अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने सोमवार को जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था, ‘अमेरिकी विदेश मंत्रालय उन छात्रों के लिए वीजा जारी नहीं करेगा जिनके स्कूल या पाठ्यक्रम शरदऋतु के सेमेस्टर में पूरी तरह ऑनालाइन कक्षाएं आयोजित कर रहे हैं और अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा इन छात्रों को अमेरिका में दाखिल होने की अनुमति भी नहीं देगी.’ इस सेमेस्टर की पढ़ाई सितम्बर से दिसम्बर के बीच होती है. अमेरिका के प्रमुख शिक्षाविदों और सांसदों ने इस फैसले की काफी आलोचना भी की है.
हार्वर्ड विश्वविद्यालय और मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान अमेरिका में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों के लिए जारी नए दिशा-निर्देशों को लेकर अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा चुके हैं. नए दिशा-निर्देशों के तहत विदेशी छात्र अमेरिका में तभी रह सकते हैं, जब उनकी कक्षाएं परिसर में आमने-सामने आयोजित की जा रही हों. बोस्टन की जिला अदालत में बुधवार को हार्वर्ड और एमआईटी ने मुकदमा दायर करते हुए होमलैंड सिक्योरिटी और आईसीई विभाग को संघीय दिशा-निर्देशों को लागू करने से राकने का एक अस्थायी आदेश देने या प्रारंभिक और स्थायी राहत की मांग की.एमआईटी के अध्यक्ष राफेल रीफ ने कहा, ‘हमने अदालत से आईसीई और डीएचएस को नए दिशा-निर्देशों को लागू करने से रोकने और उसे गैरकानूनी घोषित करने की मांग की है.’ उन्होंने कहा कि इस घोषणा से हमारे विदेशी छात्रों के जीवन पर काफी असर पड़ रहा है और उनकी शिक्षा भी खतरे में पड़ गई है. आईसीई सबसे मौलिक सवाल का जवाब देने में भी सक्षम नहीं है कि इसे लागू कैसे किया जाएगा. हार्वर्ड के अध्यक्ष लॉरेंस एस. बकॉउ ने कहा कि उन्हें विकल्प दिया गया है कि या तो वे ऐसे संस्थान में तबादला करला लें जहां परिसर में कक्षाएं हो रही हों या अपने देश वापस लौट जाएं. ऐसा नहीं करने वाले छात्रों को निर्वासित भी किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों पर परिसर में कक्षाएं कराने का दबाव बनान के लिए इसे लाया गया. छात्रों, प्रशिक्षकों और अन्य के स्वास्थ्य एवं उनकी सुरक्षा की चिंता किए बिना. अमेरिका में करीब 2,00,000 भारतीय छात्र हैं, जो अमेरिका की अर्थव्यवस्था में प्रति वर्ष सात अरब डॉलर का योगदान देते हैं