छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री जोगी का 74 वर्ष की आयु में हुआ निधन , राजकीय सम्मान के साथ हुआ पूर्व मुख्यमंत्री का अंतिम संस्कार

छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री जोगी का शुक्रवार को 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया। शनिवार को उनका पार्थिव देह बिलासपुर के मरवाही सदन पहुंचा। यहां आमजन के दर्शन के लिए रखा गया था। इसके बाद पार्थिव शरीर को सड़क मार्ग से जोगी के पैतृक गांव जोगीसार ले जाया गया। इस दौरान उनके पुत्र व मरवाही के पूर्व विधायक अमित जोगी के साथ परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ही खाद्य मंत्री अमरजीत भगत,आबकारी मंत्री कवासी लखमा,नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ.शिव डहरिया,लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

गौरेला के जोगी निवास से उनकी अंतिम यात्रा प्रारंभ हुई। पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। पुलिस व जिला प्रशासन ने भी समर्थकों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए कड़ाई करना छोड़ दिया था। पूरे समय कोरोना संक्रमण को लेकर लोगों को सतर्कता बरतने की सलाह भी आला अफसर से लेकर पुलिस के जवान देते रहे।

ईसाई रीति रिवाज से राजकीय सम्मान के साथ जोगी का हुआ अंतिम संस्कार

शाम को गौरेला के ग्रेवी यार्ड में ईसाई रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार से पहले स्व जोगी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद उनके पार्थिव देह से लिपटा तिरंगा हटाया गया। तिरंगा हटाने के बाद अंतिम संस्कार की रस्म शुरू हुई।

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही राजनीतिक गलियारे में उनकी राजनीतिक विरासत को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि उनके परिवार के बाकी तीन सदस्य, पत्नी, पुत्र और बहू तीनों ही राजनीति में सक्रिय हैं। पत्नी डॉ. रेणु जोगी कोटा सीट से विधायक हैं। पुत्र अमित पिछली बार मरवाही से विधायक थे। बहू ऋचा ने इस बार बसपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव हार गईं। इन सबके बावजूद मरवाही विधानसभा सीट से उनकी राजनीतिक विरासत को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है।

मरवाही सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है और राज्य की उच्च स्तरीय छानबीन समिति जोगी को गैर आदिवासी घोषित कर चुकी है। ऐसे में अमित या ऋचा के इस सीट से चुनाव लड़ने की स्थिति नहीं बन रही है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से यह सीट जोगी परिवार के पास है। 1998 में भाजपा ने यह सीट जीती थी, लेकिन 2000 में राज्य बनने के बाद इस सीट के भाजपा विधायक ने जोगी के पक्ष में इस्तीफा दे दिया था। 2001 के उप चुनाव के बाद से जोगी परिवार लगातार इस सीट से जीत रहा है।