मणिपुर में भाजपा एक बार फिर स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। चुनाव आयोग की वेबसाइट के रात 9:30 बजे के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 32 सीटों पर जीत मिली है। सबसे अचंभित करने वाला प्रदर्शन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) का रहा है। जदयू ने छह सीटों पर जीत मिली है। वहीं, कांग्रेस को सिर्फ पांच सीटों पर जीत मिल पाई है। कुकी पीपुल्स अलायंस को दो सीट मिली हैं और तीन सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुए हैं।
भाजपा को विजयी बनाने के लिए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राज्य की जनता का आभार जताया है। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के विकास कार्यों की जीत भी बताया है। बीरेन सिंह ने हींनगंग सीट पर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी तथा कांग्रेस उम्मीदवार पी शरतचंद्र सिंह को 18,271 मतों से हराया। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह ने थोउबल विधानसभा सीट पर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी तथा भाजपा उम्मीदवार एल बी सिंह को 2,543 मतों के अंतर से पराजित किया है। भाजपा ने मणिपुर में 2017 में सिर्फ 21 सीट जीतने के बावजूद, क्षेत्रीय दलों एनपीपी और एनपीएफ के साथ मिलाकर सरकार बनाई थी। विधानसभा में भगवा पार्टी की ताकत बाद में बढ़कर 28 हो गई थी।
मणिपुर में छह सीटों पर जीत के बाद जदयू पार्टी ने एक और राज्य में अपनी पैठ बना ली है। राज्य में अपने बूते पार्टी ने 36 सीटों पर चुनाव लड़ा। देर शाम तक सामने आए नतीजों में छह विधानसभा सीटों पर जदयू को जीत मिली है। एक सीट पर जदयू जीत के करीब था। चौंकाने वाली बात तो यह है कि जिन सीटों पर जदयू ने जीत हासिल की है, वहां उसने सीधे भाजपा को मात दी है।
नेता बनने से पहले नोंगथोम्बन बीरेन सिंह यानी एन बीरेन सिंह एक पत्रकार थे। वह फुटबाल खिलाड़ी भी रह चुके हैं। पिछले पांच साल के कार्यकाल में उग्रवाद प्रभावित मणिपुर में शांति लाने के साथ ही पर्वतीय क्षेत्र एवं घाटी के लोगों के बीच की दरार को कम करने का श्रेय 61 वर्षीय मुख्यमंत्री सिंह को जाता है।उनके द्वारा की गईं कई पहल जैसे ‘गो टू हिल्स’, ‘हिल लीडर्स डे’ और ‘मियाम्गी नुमित’ के जरिए दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपने जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों तक अपनी दिक्कतें बताना आसान हो पाया। 2002 में राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई बीरेन सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 2002 में डेमोक्रेटिक रिवाल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी से की थी और हीनगंग विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे।
वर्ष 2003 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए और तत्कालीन मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में सतर्कता राज्य मंत्री रहे। 2016 में कांग्रेस से अलग हुए थे इबोबी सिंह से मतभेदों के बाद उन्होंने इबोबी के खिलाफ बगावत कर दी। वर्ष 2016 में बीरेन सिंह ने भाजपा में शामिल होने के लिए मणिपुर विधानसभा की सदस्यता के साथ ही कांग्रेस की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। 2017 में पहली बार सीएम बने भाजपा ने सिंह को प्रदेश पार्टी प्रवक्ता और चुनाव प्रबंधन समिति का सह-समन्वयक बनाया। वह भाजपा के टिकट पर वर्ष 2017 में चौथी बार हीनगंग सीट से चुनाव जीते, जिसके बाद उनका मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया। उनके नेतृत्व में 15 मार्च, 2017 को राज्य में पहली बार भाजपा ने सरकार बनाई थी।