जयलक्ष्मी 70-80 के दशक की टॉप तमिल-तेलुगु एक्ट्रेस थीं

सुपरस्टार रजनीकांत, जिनकी एक्टिंग का हर कोई मुरीद है, उन्होंने श्रीदेवी, अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय जैसी कई बड़ी हस्तियों के साथ काम किया है, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि उनकी सबसे पसंदीदा एक्ट्रेस कौन है, तो उन्होंने नाम लिया फटाफट जयलक्ष्मी का। नाम सुनने में अनोखा लगता है, हालांकि ये नाम उन्हें फटाफट डायलॉग बोलने पर मिला था। लेकिन आज भी कई लोगों के लिए ये नाम अनसुना ही है।
फटाफट जयलक्ष्मी 70-80 के दशक की टॉप तमिल-तेलुगु एक्ट्रेस थीं, जिन्होंने उस दौर के हर सुपरस्टार के साथ काम किया, चाहे वो रजनीकांत हों, शिवाजी गणेशन हों या कमल हासन। हुनर की बदौलत फटाफट जयलक्ष्मी ने महज 8 सालों में ही 66 फिल्में कर डालीं।
अनोखे नाम के अलावा वो अपनी बेहतरीन फिल्मों के लिए भी जानी गईं, हालांकि एक नाकाम रिश्ते का सदमा उनकी बर्दाश्त से बाहर हो गया। करियर के पीक पर जब उनके बास आधा दर्जन फिल्में थीं, तब उन्होंने अपने ही घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। तब उम्र थी महज 22 साल। जयलक्ष्मी की मौत सिनेमा प्रेमियों के लिए झकझोर देने वाली खबर साबित हुई।
1 नवंबर 1958 में जयलक्ष्मी का जन्म आंध्रप्रदेश में हुआ था। असली नाम था जयलक्ष्मी रेड्डी। हुनर की बदौलत उन्हें महज 14 साल की उम्र में ही पहली फिल्म इदारू अम्मायीलू मिली। 1972 की इस फिल्म में अक्किनैनी नागेश्वर राव (साउथ सुपरस्टार नागार्जुन के पिता) लीड हीरो थे। तेलुगु फिल्म में उन्होंने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया था।
सेट पर उनकी दमदार एक्टिंग देखकर साउथ के मशहूर फिल्ममेकर ए.विंसेंट ने उन्हें अपनी मलयाली फिल्म तीर्थयात्रा में जगह दी। फिल्म में उन्होंने पार्वती कुट्टी का रोल प्ले किया, जिसके लिए सुप्रिया नाम से क्रेडिट दिया गया था।
ये अपने तरीके का अनोखा साल था, जब तमिल फिल्म में 14 साल की जो चाइल्ड आर्टिस्ट बाल कलाकार थी, वही लड़की उसी साल मलयाली फिल्म में एडल्ट रोल कर रही थी। एक ही साल जयलक्ष्मी ने दो इंडस्ट्री में एक साथ डेब्यू किया। शुरुआती 2 फिल्मों से ही जयलक्ष्मी ने सुप्रिया नाम से पहचान बना ली और उन्हें लगातार फिल्मों में काम मिलने लगा। आगे उन्होंने 1973 की फिल्म इथु मनुष्यानो में काम किया।
1974 में जयलक्ष्मी ने के. बालाचंदर की फिल्म अवल ओरू थोडर काथी से तमिल सिनेमा में भी जगह बना ली। इस फिल्म में पहली बार उन्हें असली नाम जयलक्ष्मी का क्रेडिट दिया गया।
25 हफ्तों तक सिनेमाघरों में लगी रही इस सिल्वर जुबली फिल्म को के. बालाचंदर के करियर की सबसे बेहतरीन फिल्म माना जाता है। फिल्म में कमल हासन, सुजाता, विजयकुमार, जयगणेश जैसे कई अन्य एक्टर्स भी अहम किरदारों में थे।
फिल्म अवल ओरू थोडर काथी में जयलक्ष्मी ने एक ऐसी बेफिक्र लड़की का किरदार निभाया जो आए दिन अपने प्रेमियों को बदल देती है। इस किरदार को मजेदार बनाने के लिए जयलक्ष्मी का तकियाकलाम था, ‘फटाफट’। उन्होंने फिल्म में कई दफा इस शब्द का इस्तेमाल किया, तो फिल्म के बाद से ही उनका नाम फटाफट जयलक्ष्मी पड़ गया।
ये एक कल्ट क्लासिक फिल्म है, जिसे तमिल सिनेमा के लिए माइलस्टोन कहा गया। इस फिल्म का रीमेक तेलुगु में बनाया गया तो जयलक्ष्मी और श्रीप्रिया ही लीड रोल में रहीं। इसके अलावा फिल्म का बंगाली, हिंदी, कन्नड में भी रीमेक बनाया गया।
1973 के बाद से ही फटाफट जयलक्ष्मी साउथ में घर-घर पॉपुलर हो गईं। उन्होंने फिल्मों अंथुलेनी कथा, आरिलीरुंथ, अरुभातु वारई, मुल्लम, मालारुम जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में काम करते हुए खुद को साउथ की टॉप एक्ट्रेस के बीच ला खड़ा किया।
1977 में जब तमिल सिनेमा में हिंदी फिल्म अमर अकबर एंथोनी की रीमेक फिल्म राम रहीम रॉबर्ट बनी तो फिल्म में इसमें रजनीकांत ने राम का रोल निभाया। चंद्र मोहन और कृष्णा मूर्ती भी फिल्म के तीन हीरो में से थे। वहीं फीमेल लीड में श्रीदेवी, फटाफट जयलक्ष्मी और सुनीता थीं। इस फिल्म में जयलक्ष्मी ने पहली बार रजनीकांत के साथ स्क्रीन शेयर की थी।
इसी साल जयलक्ष्मी, रजनीकांत के साथ फिल्म कव्विकुयिल में दिखीं। इस फिल्म में पहली बार दोनों को बतौर कपल दिखाया गया था। आगे दोनों इराइवन कोधुता वरम, काली, मुल्लुम मलारुम और आरिलिरुंथ अरुभातु वारई में भी साथ नजर आए।
वैसे तो फटाफट जयलक्ष्मी ज्यादातर फिल्मों में सपोर्टिंग रोल में ही नजर आती थीं, हालांकि उनकी गिनती साउथ की टॉप लीडिंग एक्ट्रेसस में होती थी।
80 के दशक में जयलक्ष्मी के करियर का सुनहरा दौर था। इस दौरान उनकी मुलाकात साउथ में भगवान की तरह पूजे जाने वाले एम.जी.आर (मारुथुन गोपालन रामचंद्रन) के भतीजे से हुई। दोनों ने चंद दिनों की दोस्ती के बाद शादी करने का फैसला कर लिया। जयलक्ष्मी महज 22 साल की थीं और उनके सामने पूरा करियर था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने 1980 में शादी कर ली।
शादी के कुछ ही दिन बीते थे कि एम.जी.आर के भतीजे ने जयलक्ष्मी को अपनाने से इनकार कर दिया। जयलक्ष्मी ने जिस शख्स के लिए अपना करियर कुर्बान कर दिया, उसी शख्स ने उन्हें ठुकरा दिया तो वो ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकीं।
जयलक्ष्मी शादी टूटने के सदमे से डीप डिप्रेशन में चली गईं। इस दौरान उन्होंने नई फिल्में साइन करना भी बंद कर दिया। 21 नवंबर 1980 की बात है। जयलक्ष्मी अपने परिवार के साथ चेन्नई, तमिलनाडु स्थित अपने घर में थीं। जब वो कई घंटों बाद भी अपने कमरे से बाहर नहीं आईं तो उनके परिवार ने उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया।
जब कई कोशिशों के बावजूद कमरे से जयलक्ष्मी का कोई जवाब नहीं मिला तो परिवार चिंतित हो गया। अफरा-तफरी में जब दरवाजा तोड़कर परिवारवाले कमरे में दाखिल हुए तो घरवालों की चीखें निकल पड़ीं।
जयलक्ष्मी अपने कमरे की सीलिंग पर लगे पंखे पर एक फंदे के सहारे झूल रही थीं। परिवारवालों ने उन्हें फंदे से निकाला, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। जयलक्ष्मी के लिए चंद महीनों का रिश्ता टूटना इतना नागवार था कि वो सुनहरा भविष्य और परिवार को अलविदा कह गईं।
इस बड़े हादसे के बावजूद आज भी फिल्म इतिहास में कहीं भी फटाफट जयलक्ष्मी के पति और एम.जी.आर के भतीजे के नाम का कहीं जिक्र नहीं मिलता। उनके पति का नाम खोजने पर उनकी पहचान महज एम.जी.आर के भतीजे के रूप में लिखी और बताई गई है।
1972 की फिल्म इदारू अम्मायीलू से शुरू हुआ जयलक्ष्मी का करियर 1980 में थम गया। 1980 में हुई उनकी मौत के बाद उनकी 2 तेलुगू और 2 तमिल फिल्में न्यायम कावाली (1981), तिरुगु लेनी मनीशी (1981), थिरुप्पंगल (1981) और यामीरुक्का बायेमन (1983) रिलीज हुईं।
8 साल के फिल्मी सफर में जयलक्ष्मी ने तेलुगु, तमिल, मलयाली और कन्नड़ भाषा की 66 फिल्में की थीं। 1975 के बाद से ही हर साल उनकी 6-8 फिल्में रिलीज होती थीं। उन्होंने 70-80 के दशक के हर सुपरस्टार रजनीकांत, शिवाजी गणेशन, कमल हासन, एनटीआर, चिरंजीवी, कृष्णा, जेमिनी गणेशन, सरत बाबू के साथ काम किया। उन्होंने श्रीदेवी, जे. जयललिता, जया प्रदा जैसी बेहतरीन एक्ट्रेसेस के साथ भी स्क्रीन शेयर किया था।
रजनीकांत ने जयलक्ष्मी का जिक्र किया। सुपरस्टार रजनीकांत से पूछा गया था कि उनकी सबसे पसंदीदा एक्ट्रेस कौन हैं। तब रजनीकांत ने बिना किसी विचार के सीधे फटाफट जयलक्ष्मी का नाम लिया।
उन्होंने कहा था- फटाफट जयलक्ष्मी एक बेहतरीन एक्ट्रेस थीं। हमने साथ में महज चंद फिल्मों में ही काम किया था, लेकिन वो बेहतरीन थीं। वो बहुत अच्छी शख्सियत थीं।
इस ट्रेजिक स्टोरी के बावजूद हैरानी की बात ये रही कि 8 सालों के एक्टिंग करियर में कई अवॉर्ड विनिंग फिल्में देने वालीं फटाफट जयलक्ष्मी को कभी भी किसी भी फिल्म के लिए कोई अवॉर्ड या सम्मान नहीं दिया गया।
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