माचिस की तीलियों को देखकर डायलॉग बोलते थे जावेद जाफरी, फिल्म जजंतरम ममंतरम के 20 साल

30 मई 2003 को रिलीज हुई फिल्म ‘जजंतरम ममंतरम’ को आज 20 साल पूरे हो चुके हैं। यह फिल्म हैवी वीएफएक्स से भरपूर थी। एक इंटरव्यू में फिल्म के लीड एक्टर रहे जावेद जाफरी ने बताया कि फिल्म को शूट करना बहुत ही चैलेंजिंग था। कई सीन में उनके सामने कोई को-एक्टर नहीं होता था और उन्हें माचिस की तीलियों को देखकर अपने डायलॉग बोलने पड़ते थे।
जावेद ने फिल्म के बारे में बात की। उन्होंने बताया, ‘उस समय वीएफएक्स के लिए ग्रीन स्क्रीन भी नहीं हुआ करती थी। हमने इस फिल्म को ब्लू स्क्रीन पर शूट किया था। इसमें हैवी वीएफएक्स वर्क था क्योंकि इसमें बौने किरदार दिखाए गए थे। ऐसे में क्लाइमैक्स सीन को छोड़कर मेरे सारे सीन ब्लू स्क्रीन के सामने ही शूट हुए थे।’
जावेद ने आगे बताया, ‘बतौर एक्टर सबसे बड़ी मुश्किल यह थी कि मुझे अपने सीन बिना किसी को-एक्टर के करने पड़ते थे। मैं छोटी माचिस की तीलियों या फिर लकड़ी के टुकड़ों को क्यू के तौर पर इस्तेमाल करता था और उन्हें देखकर अपने डायलॉग्स डिलीवर करता था। सिर्फ क्लामैक्स सीन में जब मेरी झामुंडा से लड़ाई होती है तब मेरे सामने एक एक्टर था क्योंकि कहानी के मुताबिक मेरी और उसकी हाइट सेम थी।’
फिल्म के बारे में जावेद ने कहा, ‘जब मैंने इसकी स्क्रिप्ट पहली बार सुनी तभी से मैं इस आइडिया पर काम करने के लिए एक्साइटेड था। उस वक्त में बच्चों के फेवरेट शो ‘तकेशी कास्ल’ को भी होस्ट कर रहा था तो मैं इस फिल्म को करने के लिए तैयार हो गया। अच्छा लगता है जब आज भी बच्चे मुझे इस किरदार के लिए पहचानते हैं। आज भी कभी जब मैं सिग्नल पर रुकता हूं तो बच्चे देखकर चिल्लाते हैं ‘अरे झामुंडा…अरे आदित्या…।’
2003 में रिलीज हुई यह फिल्म जाेनाथन स्विफ्ट (Jonathan Swift) के नॉवेल गुलिवर्स ट्रेवल (Gulliver’s Travel) पर बेस्ड थी। यह वो दौर था जब सुपरहीरो जॉनर की फिल्में ज्यादातर हॉलीवुड में ही बनती थीं। ऐसे दौर में इस फिल्म ने इंडिया को अपना सुपरहीरो दिया था। जावेद जाफरी को भी बॉलीवुड इंडस्ट्री में इसी फिल्म से पहचान मिली थी।