जापान अब अधिक समय तक क्षतिग्रस्त हुए फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट का रेडियोएक्टिव पानी जमा नहीं कर सकेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि जिस टैंक में वो अब तक इस पानी को जमा कर रहा था उसकी तय सीमा पूरी होने वाली है। इसके एक बार भर जाने के बाद जापान के लिए इसको छोड़ना एक बड़ी मजबूरी बन जाएगा। जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने साफ कर दिया है कि जापान अब इस पानी को अगले दो वर्षों के अंदर समुद्र में छोड़ देगा। इसको लेकर जापान ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में विरोध के सुर भी सुनाई दे रहे हैं। जापान के इस फैसले का विरोध करने वालों का कहना है कि इस दूषित पानी से समुद्र का जनजीवन नष्ट होने के कगार पर पहुंच जाएगा। साथ ही इसका प्रतिकूल प्रभाव समुद्र में अन्य चीजों पर भी पड़ सकता है। हालांकि जापान की सरकार का कहना है कि जो पानी वो समुद्र में छोड़ने की बात कर रही है वो रेडियोधर्मी शोधित है। इसलिए इसका प्रतिकूल प्रभाव समुद्री जन-जीवन पर नहीं पड़ने वाला है। वहीं वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि पानी में मौजूद रेडियोएक्टिव पदार्थ का स्तर जीरो नहीं किया जा सकता है। हालांकि वैज्ञानिक इस बात का दावा नहीं कर रहे हैं कि इस पानी के समुद्र में डालने के बाद वहां के जनजीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।