जालौन: विशेष संचारी रोग नियन्त्रण एवं दस्तक अभियान के अन्तर्गत डेगूं तथा अन्य संचारी रोगों की रोकथाम अभियान

जिला कृषि रक्षा अधिकारी जालौन स्थान उरई ने बताया है कि 01 मार्च से 31 मार्च 2021 तक आयोजित विशेष संचारी रोग नियन्त्रण एवं दस्तक अभियान के अन्तर्गत डेगूं तथा अन्य संचारी रोगों की रोकथाम, बचाव एवं दिमागी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण हेतु वेक्टर जनित संचारी रोगों जैसे डेगूं, चिकन गुनिया, मलेरिया, फाइलेरिया, कालाजार आदि के नियन्त्रण के लिए मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए नालियों में जल भराव न होने देने एवं कूलरों का पानी बदलते रहने, फ्रीज के पीछे ट्रे में भरे पानी को निकालने आदि उपाय अपनाने से पानी में डेगू के लार्वा को फैलने से रोका जा सकता है। डेगू का मच्छर साफ एवं स्थिर पानी में अण्डे देने के साथ ही दिन में काटता है इसके साथ ही अपने घरों में तथा घरों के आस-पास साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें, नालियों में पानी एक जगह इकट्ठा न होने दे तथा मच्छरों से उचित बचाव करें एवं शौचालयों का प्रयोग करने से मच्छरों एवं मक्खियों द्वारा फैलने वाली बीमारियों का प्रभावी नियन्त्रण किया जा सकता है। कार्यवाही हेतु कृषि विभाग के उत्तरदायित्वों में किसानों को अपने गाँव के आवासीय क्षेत्र में अनावश्यक जल भराव न होने देने के साथ ही फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले कृन्तकों (चूहों) जो कि घरों में एवं खेतों पर झाड़ियों में छिपे रहते हैं का प्रभावी नियन्त्रण आवश्यक है। फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले कृन्तकों में मुख्य रूप से चूहों का नियन्त्रण किया जाता है। चूहों के द्वारा फसलों को लगभग 6-7 प्रतिशत तक नुकसान होता है। चूहों से मनुष्यों में स्क्रब टाइफस बीमारी(जीवाणु रिक्टीसिया सुसुगामुशी) लेप्टो स्पायरोसिस बीमारी(लेप्टोस्पिरा जीनस), प्लेग(यूरेसीनिया पैस्टिस) आदि प्रकार की बीमारियाँ होती हैं। ये बीमारियाँ कृषकों को अपने खेत पर या किसी अन्य जगह खुले पैर घास पर चलने के कारण चूहों के सम्पर्क में आने पर हो सकती है। अतः कृषक भाई खेत पर काम करते समय जूते अवश्य पहनें। चूहों के नियन्त्रण के लिए जिंक फास्फाइड की 10 ग्राम मात्रा 250-300 ग्राम दलिया में मिलाकर या 500 ग्राम आटा में मिलाकर गोलियाँ बनाकर खेत में चूहों के बिलों के पास रख दें। इन गोलियों को खाने से निश्चित रूप से चूहे मर जायेगें। इसके अलावा यान्त्रिक रूप से चूहों के नियन्त्रण के लिए चूहों को पकड़ने के लिए पिंजरे का प्रयोग भी किया जा सकता है। अतः कृषक भाईयों को सलाह दी जाती है कि उपरोक्त कृन्तकों को भी नियन्त्रित करने के लिए आवश्यक उपाय करें, जिससे फसलों को नुकसान न पहुंचे साथ ही सभी कीटनाशक विक्रेताओं को सूचित किया जाता है कि उक्त अभियान का व्यापक प्रचार-प्रसार कर कृषकों को साफ-सफाई, संचारी रोगों से फैलने वाली बीमारियों तथा उनके नियन्त्रण एवं चूहों के नियं़त्रण की जानकारी प्रदान करें। तथा सभी कीटनाशक विक्रेता अपनी दुकान के बाहर रेट सूची, स्टाक बोर्ड अवश्य ही लगाए प्रत्येक कृषक को कैश मैमो जारी करें। कृषकों को कृषि रक्षा रसायनों के प्रयोग के सम्बन्ध में आवश्यक प्रयोग विधि निर्देशों की जानकारी से भी अवगत कराये एवं कीटनाशी अधिनियम 1968 के अन्तर्गत सुसंगत नियमों का आवश्यक रूप से पालन करें।