इमरान खान की पार्टी ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार चुन लिया है। जेल में कैद खान ने गुरुवार को PTI से उमर अयूब को PM पद के लिए नॉमिनेट किया है। ये PTI के जनरल सेक्रेटरी और पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान के पोते हैं।
अयूब खान वही राष्ट्रपति हैं, जिनके कार्यकाल के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 की जंग हुई थी। उमर अयूब ने साल 2018 में PTI जॉइन की थी। इससे पहले वो PML-Q के सदस्य थे। ये पार्टी 2002 में PML (पाकिस्तान मुस्लिम लीग) से टूट कर बनी थी। एक तरफ नवाज शरीफ और उनके समर्थकों का गुट था, जिसे PML-N कहा गया। वहीं उनके विरोधियों के गुट को PML-Q नाम दिया गया था।
चुनाव से पहले ही इमरान की पार्टी से उनका चुनाव चिह्न छीन लिया गया था। इसके चलते उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को निर्दलीय चुनाव लड़ने पड़े थे। इसके बावजूद सबसे ज्यादा उन्हें 93 सीटें मिलीं। PTI के चेयरमैन गौहर खान ने कहा था कि वो प्रधानमंत्री और स्पीकर पद पर दावेदारी करेंगे। इसके बाद उन्होंने पीएम पद के लिए उमर अयूब को नॉमिनेट किया है।
जेल में बैठे इमरान खान ने अमेरिका के लिए संदेश भिजवाया है। खान ने कहा है कि अमेरिका ने हमेशा तानाशाहों और भ्रष्ट लोगों को समर्थन दिया है। अब उनके पास पाकिस्तान चुनाव में धांधली का विरोध कर अपनी गलतियां सुधारने का मौका है। अमेरिका को पहले ही पाकिस्तान चुनाव के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए थी, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया।
PTI ने केंद्र और पंजाब प्रांत में सरकार बनाने के लिए धार्मिक पार्टी मजलिस-ए-वहदत मुसलिमीन (MWM) का दामन थामा है। दरअसल, सरकार बनाने की दावेदारी पेश करने के लिए इमरान के निर्दलीयों को किसी पार्टी या गठबंधन का हिस्सा होना पड़ेगा।
पाकिस्तान में गठबंधन के लिए चल रही जद्दोजहद के बीच जियो न्यूज ने दावा किया था कि इमरान खान बिलावल की PPP के साथ सरकार बनाने को लेकर बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं। इसके लिए एक कमेटी बनाई जाएगी। हालांकि, बाद में PTI के नेताओं ने इस खबर के झूठे होने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि खान साहब का ऐलान है कि हमें विपक्ष में बैठना मंजूर है, पर हम PPP और PML-N से गठबंधन नहीं करेंगे।
इसके अलावा PTI दूसरी पार्टियों जैसे मौलाना फजल-उर-रहमान की JUI-F, अवामी नेशनल पार्टी, जमात-ए-इस्लामी के साथ भी संपर्क करने की तैयारी में है। ये सभी पार्टियां चुनाव में धांधली के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। बता दें कि 2 दिन पहले ही PPP के लीडर आसिफ अली जरदारी ने सरकार बनाने को लेकर PTI से बात करने की इच्छा जताई थी।
जरदारी ने कहा था- हम चाहते थे कि PTI भी सरकार बनाने के लिए इस सुलह प्रक्रिया का हिस्सा होती। पाकिस्तान में डिफेंस, इकोनॉमिक सेक्टर और दूसरे क्षेत्रों में विकास के लिए सभी को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। तभी मियां साहिब (नवाज शरीफ) और पूरा मुल्क सफल हो पाएगा।
कुछ दिन पहले ही PTI चेयरमैन गौहर खान ने दावा किया था कि उनकी पार्टी को आम चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं। गौहर ने कहा था- हम PM और स्पीकर पद के लिए जल्द ही पार्टी के नेताओं को नॉमिनेट करेंगे। हमारे पास बहुमत है और राष्ट्रपति PTI को ही सरकार बनाने के लिए न्योता देंगे।
दूसरी तरफ ‘जियो न्यूज लाइव’ की रिपोर्ट के मुताबिक इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) को छोड़कर कुछ पार्टियां मिलकर सरकार बना सकती हैं। इनकी संख्या 6 या इससे ज्यादा हो सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार को बाहर से समर्थन का ऐलान करने वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) सरकार में शामिल न होते हुए भी मोलभाव कर रही है। बिलावल की पार्टी चाहती है कि उनके पिता आसिफ अली जरदारी को प्रेसिडेंट बनाया जाए। इसके अलावा वो सीनेट का चेयरमैन और नेशनल असेंबली का स्पीकर पद भी मांग रही है।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 336 सीटें हैं। इनमें से 265 सीटों पर चुनाव हुए। एक सीट पर चुनाव टाल दिया गया, जबकि एक सीट NA-88 के नतीजों को खारिज कर दिया गया है। यहां 15 फरवरी को फिर से वोटिंग होगी। बाकी 70 सीटें रिजर्व हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (PML-N), आसिफ अली जरदारी और बिलावल भुट्टो की PPP अलांयस की मेन पार्टनर रहेंगी। इसके अलावा MQMP, PML-Q, IPP और BAP जैसी छोटी पार्टियां गठबंधन का हिस्सा बन सकती हैं। ये सभी पार्टियां मिलकर पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) बना सकती हैं।
इस मामले में खास बात यह है कि अप्रैल 2022 में इमरान की सरकार गिरने के बाद भी PDM बनाया गया था। उस वक्त इसमें 13 पार्टियां शामिल थीं और शाहबाज शरीफ की अगुआई में वो सरकार कुल 16 महीने चली थी। इसके बाद नेशनल असेंबली का कार्यकाल पूरा हो गया और केयरटेकर सरकार ने मुल्क चलाने की जिम्मेदारी संभाली। अनवार-उल-हक काकड़ प्रधानमंत्री बने और अब तक हैं।
PML-Q के चीफ चौधरी शुजात हुसैन और आसिफ अली जरदारी नई सरकार में अहम रोल निभा सकते हैं। इसके अलावा नवाज शरीफ भी होंगे, लेकिन वो सरकार में कोई पद नहीं लेंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक इसकी वजह बिल्कुल साफ है। दरअसल, PPP सरकार में न रहते हुए भी सरकार और संसद दोनों को कंट्रोल करना चाहती है। इसलिए वो सीनेट के चेयरमैन और नेशनल असेंबली के स्पीकर का पद मांग रही है। इस मामले में सबसे बड़ा दांव PPP ने बुधवार को खेला।
रिपोर्ट के मुताबिक PPP का कहना है कि आसिफ अली जरदारी को प्रेसिडेंट बनाया जाए। इस मामले में बाकी पार्टियां भी आसानी से तैयार हो जाएंगी। 68 साल के जरदारी 2008 से 2013 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं।
PPP का कहना है कि मुल्क इस वक्त इतिहास के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है और ऐसे में प्रेसिडेंट का रोल बहुत अहम हो जाता है। जरूरत इस बात की है कि किसी ऐसे व्यक्ति को प्रेसिडेंट बनाया जाए जो अनुभवी हो और जरदारी इस लिहाज से परफेक्ट चॉइस हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक सिंध और बलूचिस्तान के चीफ मिनिस्टर की पोस्ट भी PPP ही मांग रही है। वो केंद्र सरकार में तो शामिल नहीं हो रही है, लेकिन बाकी कुछ ऐसी मांगें कर रही है, जो साफ तौर पर बताती हैं कि सौदेबाजी के मामले में जरदारी और बिलावल पीछे नहीं रहना चाहते।
जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम के चीफ मौलान फजल-उर-रहमान भी सरकार का हिस्सा बन सकते हैं। इसका मुख्य मकसद अफगानिस्तान को साधना होगा, जो इस वक्त पाकिस्तान के लिए गले की हड्डी बना हुआ है।