कानपुर के रहने वाले हैं जय विजय सचान, पढ़िए उनके संघर्षों के बारे में

शाहरुख खान की आवाज निकालते हुए तो आपने कई कलाकारों को देखा होगा। आज हम आपकी मुलाकात एक ऐसे कलाकार से करा रहे हैं जो हू-ब-हू शाहरुख की आवाज निकाल लेते हैं। खुद शाहरुख भी उनके इस हुनर के मुरीद हैं। इस कलाकार का नाम है जयविजय सचान। ये वो कलाकार है जो 350 लोगों की आवाजें निकाल लेता है। फिर चाहे शाहरुख खान हों या प्रधानमंत्री मोदी।

जयविजय बुंदेलखंड के हमीरपुर के हैं। पिता इन्हें अपने पारिवारिक बिजनेस में लगाना चाहते थे लेकिन इनके मन में कुछ अलग करने की लगन थी। अपने इन्हीं सपनों को पूरा करने के लिए घर छोड़ा। मुंबई पहुंचे और यहां अपना नया सफर शुरू किया। हालांकि, सबकुछ इतना आसान नहीं था। नौकरी दो-दो थी लेकिन सैलरी एक भी नहीं मिलती थी, रहने को घर नहीं था और कई बार भूखे भी रहना पड़ा।

जब किस्मत पलटी और शाहरुख की मिमिक्री से कमाने लगे तक इंटॉलरेंस पर शाहरुख के बयान से देशभर में नाराजी छा गई। लोगों ने शाहरुख की फिल्मों का तो बायकॉट किया ही, जयविजय को भी जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं। लोगों ने शो कैंसिल कर दिए क्योंकि उन शोज में शाहरुख की मिमिक्री होनी थी।

लेकिन, उस दौर से भी ये लड़े। हार नहीं मानी। अपने बुरे दौर में रिलेशनशिप में भी काफी दिक्कतें आईं। एक गर्लफ्रेंड थी जिसके लिए जयविजय खुद भूखे रहकर अपने हिस्से का खाना उसे देकर आते थे। करियर का कुछ हो नहीं पा रहा था तो वो उसने भी रिश्ता तोड़ लिया। आज जयविजय पहचाना हुआ नाम है। इंडिया गॉट टैलेंट से लेकर दी कपिल शर्मा शो तक ये कई जगह देखे और सराहे जा रहे हैं। कभी 4500 रुपए कमाने वाले सचान आज एक शो के करीब 5 लाख रुपए लेते हैं।
अपने सफर के बारे में जयविजय बताते हैं कि मैं हमेशा से ही शाहरुख खान की तरह जिंदगी जीना चाहता था। बचपन से ही उनको फॉलो करता आया हूं। जैसे वो एक आम आदमी होने बाद भी आज नायाब हीरा है, वैसे ही मैं भी बनना चाहता था। उनके बारे में आज तक जो कुछ भी छपा है, वो सब मैं पढ़ चुका हूं।

कई बार तो उनकी आवाज ऐसे निकालता था कि लोग धोखा खा जाते थे कि मैं हूं या खुद शाहरुख खान। जहां पर मैं रहता था, वहां पर मुझे शाहरुख की आवाज निकालने वाले आर्टिस्ट के तौर पर जाना जाता था।
मेरी जिंदगी में बदलाव भी उन्हीं के वजह से आए हैं। 2016 में शाहरुख खान से मेरी मुलाकात एक शो के दौरान हुई थी। शो का नाम था यादों की बारात। शो वालों ने मुझे बुलाया था। वो मेरा और शाहरुख का स्पेशल मोमेंट चाहते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि मैं उनका बहुत बड़ा फैन हूं। शो के दौरान मेरी मुलाकात हुई। उनसे गले मिला, उनके पैर छुए। इस मुलाकात के बाद ही मेरी लाइफ बदल सी गई थी।

2018 में जब शाहरुख खान को लेकर सोशल मीडिया पर बायकॉट चल रहा था, उसका असर मेरे काम पर भी पड़ा। लोगों ने मुझे भी बायकॉट करना शुरू कर दिया क्योंकि मैं शाहरुख की आवाज निकालता था। मुझे जान से मारने की धमकी दी गई है। एक बार अप्रैल में मुझे सोशल मीडिया के जरिए कॉल आई थी, जिसमें मुझे गद्दार (शाहरुख) की मिमिक्री करने के लिए जाने से मारने की बात कही गई थी। उसने कहा कि मेरी गर्दन काट देंगे। मैंने कहा कि काट दो यार। इसके बाद भी मैंने शाहरुख की मिमिक्री करना नहीं छोड़ा। समय लगा लेकिन धीरे-धीरे हालात बदल गए हैं।
मैं कानपुर के पास के हमीरपुर, बुंदेलखंड का रहने वाला हूं। परिवार में मम्मी, पापा और मैं हूं। मेरा एक भाई था लेकिन बदकिस्मती से कुछ साल पहले उसकी मौत हो गई। मैंने डबल MA किया है, पहला पाॅलिटिकल में और दूसरा मास काॅम जर्नलिज्म में। पापा मेरी इस पढ़ाई के खिलाफ थे, वो नहीं चाहते थे कि मैं इस फील्ड में काम करूं।
उनकी एक ऑप्टिकल की दुकान थी, वो चाहते थे कि मैं वही बिजनेस संभाल लूं और सामान्य आदमी की तरह अपना जीवन बिताऊं। उन्हें पता था कि मैं लोगों की आवाजें निकालता हूं, वो कहते थे- बेटा ऐसे तुम कुछ नहीं पाओगे। मुझे पता था कि मुझमें कुछ खास है इसलिए मैं इसी फील्ड में आया। पढ़ाई मीडिया में की थी, इसी वजह से मैंने रेडियो और न्यूज चैनल में काम किया।
मुझे पता था कि मीडिया में काम करना आसान नहीं है। इसके बावजूद मैंने इसमें काम करने की ठानी। लिखना, बोलना सीखा और इस फील्ड में काम कैसे होता है, वो भी सीखा। हालांकि, जब मैंने न्यूज चैनल में काम किया, तो मुझे पैसे नहीं मिलते थे। दौर ऐसा भी था कि मैं एक समय पर दो कंपनी में काम कर रहा था, उसके बावजूद भी मुझे सैलरी नहीं मिल रही थी। 9 घंटे की शिफ्ट करता था, कभी-कभी तो दिन भर काम करते हुए 12-13 घंटे हो जाते थे, लेकिन समय पर सैलरी नहीं मिलती थी। दिल्ली में, शुरुआत में मुझे इसी वजह से बहुत संघर्ष करना पड़ा।
दिल्ली में जो सहारा का ऑफिस है, उसके बगल में छोटा सा होटल था, वहां पर मैं रहता था। खर्च चलाने के लिए पापा से पैसे मांगता था। इस पर पापा बोलते थे-तुम्हें इतना पढ़ाया-लिखाया और तुम ये कर रहे हो।
ये दौर ऐसा था कि जब जेब में खाने का पैसे नहीं रहते थे, ढंग की नौकरी मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी। मैं शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह से टूट सा गया था। उस समय के बारे में सोच कर ही मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पैसे नहीं होने की वजह से मैं एक रात भूखा सोया था। तब समझ में आया कि पैसा ही सबकुछ होता है।
जब मैं रेडियो में काम कर रहा था तो दूसरे मीडिया प्लेटफार्म में भी काम के लिए अप्लाई किया लेकिन हर जगह से रिजेक्शन ही हाथ लगा। काम की इतनी सख्त जरुरत थी कि मैं कहता था कि मुझे किसी भी काम पर वो रख ले। किस्मत अच्छी रहती थी, तो नौकरी मिल जाती थी लेकिन पैसे नहीं मिलते थे।
जब खाने के लिए मेरे पास पैसे नहीं रहते थे, तो दोस्तों से उधार ले लेता था। इस वजह से लोगों ने गलत तरीके से बर्ताव भी किया। मैं एक दोस्त के साथ रहता था, लेकिन कुछ दिनों बाद उसने मुझ से कहा कि मैं अब उसके साथ नहीं रह सकता हूं। मैंने उससे कहा कि मैं कहां जाऊंगा, उसने कहा- मुझे पता नहीं लेकिन अब मैं तुम्हें अपने साथ नहीं रख सकता।
उसी कमरे के ऊपर फ्लोर पर एक लड़का रहता था, मैं वहां पर रहने लगा। वहां पर ना बिस्तर था और ना ही पानी का कोई सोर्स। एक गद्दे पर सोता था। मई की गर्मी इतनी भयानक थी कि मेरे पीठ पर छाले पड़ गए थे। इसके बावजूद मुझे वहीं सोना पड़ता था, क्योंकि उस समय मेरे पास कोई काम नहीं था। पूरी दोपहर मैं उसी कमरे में रहता था। सुबह-शाम काम की तलाश भटकता रहता था।
इतनी पढ़ाई करने के बावजूद मुझे एक कंपनी में सुपरवाइजर की नौकरी मिली थी। मेरा काम होता था लोगों को ये बताया कि खाना खाने का टाइम हो गया है, खाना मिलने लगा है। यहां तक कि मुझे लोग बाथरुम करके आए तो पानी डाला है या नहीं, ये जानकारी भी मुझे स्वीपर को देनी पड़ती थी। इस तरह से मैं अपनी लाइफ में अपमानित हो रहा था।
जब मैं छोटा था, तो रामायण देखता था। राम जी का चरित्र मुझे बहुत प्रभावित करता था और आगे चलकर मैं उन्हीं के जैसे बनना चाहता था। मैं एक अच्छा पति, बाप और बेटा बनना चाहता था। मुझे लगता था कि ये किरदार मेरी लाइफ से कितना मिलता-जुलता है।

करियर के इस पड़ाव पर मैं हूं कि जिस कंपनी ने मुझे रिजेक्ट किया था, वहां से मुझे परफॉर्मेंस के लिए बुलाया जाता है। एक बार मैं एक जगह गया था, जहां पर मेरी उनसे मुलाकात हुई, जिन्होंने मुझे इंटरव्यू के दौरान रिजेक्ट कर दिया था। वो बहुत प्यार से मुझ से मिले थे, बात की लेकिन उन्हें याद नहीं था कि उन्होंने मुझे रिजेक्ट किया गया।
कॉलेज के दिनों से मेरी गर्लफ्रेंड थी। वो मेरी जूनियर थी। मैं उससे बहुत प्यार था और शादी करना चाहता था। वजह ये थी कि मैं छोटी जगह से आता था, तो शुरुआत से ही सपना था कि एक ही लड़की से प्यार करूंगा और उसी से शादी करुंगा।

नौकरी के सिलसिले में वो भी दिल्ली में ही रहती थी। उस समय मैं मयूर विहार में एक चैनल में काम करता था। उसी ऑफिस के नीचे होटल था जहां पर मुझे सस्ते में खाना मिल जाता था। उस होटल का मालिक मुझे 40 रुपए में पनीर की सब्जी और दो रोटी दे देता था। लंच ब्रेक के दौरान ये खाना मैं अपनी गर्लफ्रेंड को देने चला जाता था। मेरे ऑफिस से कुछ देर पर उसका ऑफिस था। मुझे पता था कि उसे पनीर बहुत पसंद था। मैं खुद नहीं खाता था, बाइक से उसे जाकर दे दिया करता था।

प्यार में मिले रिजेक्शन ने आगे बढ़ने का हौसला दिया
एक दिन मैं मेट्रो से उसे छोड़ने जा रहा था। इसी दौरान मैंने उससे बोला कि मैं तुम्हारे साथ जिंदगी बिताना चाहता हूं। इस बात पर उसने बोला- क्या ये 40 रुपए का पनीर अपने बच्चे को भी खिलाओगे। उसकी इस लाइन को सुनकर मैं स्तब्ध रह गया। ये कह कर तो वो चली गई लेकिन घंटों वहां पर रुका रहा। सोचने लगा कि उसने ये क्या कह दिया। ऐसा लगा कि मुझे 40 रुपए में तौल दिया गया है। वो मेरे लिए बहुत बुरा दिन था। वहीं मैंने फैसला किया कि जिंदगी में बेशुमार पैसे कमाना है। प्यार में रिजेक्शन के बाद मैंने अपने हुनर को खूब निखारा।
ये किस्सा 2016 का है। इससे पहले मैं इंडिया गॉट टैलेंट में सिलेक्ट हो चुका था। जिसके बाद से मुझे छोटे-मोटे स्टेज परफॉर्मेंस के लिए कॉल आता रहता था। इसके बदले में अच्छे पैसे भी मिल जाते थे। मैं एक बार मुंबई में स्टेज परफॉर्मेंस दे रहा था। लगातार मेरे फोन पर कॉल आ रहा था। फोन वाइब्रेशन मोड पर था, पता चल रहा था कि कोई कॉल कर रहा है लेकिन शो के दौरान मैं कॉल उठा नहीं सकता था। पहला परफॉर्मेंस खत्म करने के बाद मैंने फोन चेक किया। मां के 40 फोन काॅल थे। इतने सारे काॅल देखकर मैं उनको कॉल करके बोलने लगा- मम्मी ये क्या है। कितनी बार कहा है जब शो करता हूं तो इसके बीच में आप मुझे कॉल मत किया करिए। मैं ये सारी बातें मां को बोल ही रहा था, तभी उन्होंने बोला- बेटा, शानू खत्म हो गया।
ये सुनते ही दंग रह गया। समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या हो गया। मैं पूरी तरह से शून्य हो गया था। इससे पहले मैं कुछ रिएक्ट भी कर पाता, तभी दूसरे परफॉर्मेंस के लिए मेरे नाम की अनाउंसमेंट हो गई। इसके बाद मैं परफॉर्म करने गया और अगले एक घंटे तक मैंने परफॉर्मेंस दी। इसके बाद मैं घर गया। ये पूरी सिचुएशन बहुत दर्दनाक थी। मैं अपने भाई को बहुत प्यार करता था। एक तरफ उसकी मौत हो गई थी, दूसरी तरफ शो कर रहा था। लोगों को हंसा रहा था, लेकिन अंदर से मैं पूरी तरह से टूट गया था। शो खत्म होने के बाद लोग आकर मेरे साथ फोटो भी क्लिक करा रहे थे, सबका फेक स्माइल के साथ अभिवादन कर रहा था लेकिन मेरे मन में क्या चल रहा था किसी को भी पता नहीं था।
भाई की मौत के बाद इस बात का मुझे बहुत मलाल था कि मैं उसके साथ बहुत ज्यादा वक्त नहीं बिता पाया। उसके चले जाने के बाद मैंने आज तक कोई त्यौहार नहीं मनाया। इसके बाद से हम लोगों की जिंदगी कभी नॉर्मल नहीं हो पाई है।
जब भी किसी शो में जाता हूं, तो सबसे यही कहता हूं कि हेलमेट पहन कर ही सबको गाड़ी चलानी चाहिए। अपने एक्ट से भी मैं लोगों को यही संदेश देना चाहता हूं।
जब सुनता हूं कि किसी का एक्सीडेंट हो गया, तो उसकी मदद करने के लिए पहुंच जाता हूं। जितना हो सकता है, उतना उस शख्स के लिए करता हूं। जब 5 फीट का लड़का 5 मीटर की पन्नी में भरा जाता है, तो उस वक्त मां-बाप पर क्या बीतती है, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता है।