जैकी श्रॉफ की फिल्म लाइफ इज गुड रिलीज हो चुकी है। ये फिल्म ऐसे हताश-निराश व्यक्ति रामेश्वर (जैकी श्रॉफ) के जीवन की कहानी है, जो मां की मृत्यु के बाद डिप्रेस्ड हो जाता है। जीवन से निराश रामेश्वर गोलियां खाकर आत्महत्या करना ही चाहता है, तभी खिड़की का कांच टूटने की आवाज आती है और गोलियां फर्श पर गिर जाती हैं। नीचे से चुलबुली बच्ची मिष्ठी की आवाज आती है, जो अपनी बॉल मांगती है। रामेश्वर कुर्सी से उठकर मिष्ठी को बड़ी सहजता से बॉल लौटाता है, जिसे देख वह दंग रह जाती है। यहीं से दोनों के बीच जान-पहचान और दोस्ती शुरू होती है। दोनों घुल-मिल जाते हैं।
6 साल की मिष्ठी रांची से अपनी मौसी (सुनीता सेन गुप्ता) के साथ रामेश्वर के पड़ोस में शिफ्ट हुई है। वह अपने पापा के पास जाना नहीं चाहती, जिसमें रामेश्वर उसकी मदद करता है। वहीं रामेश्वर के जीवन में मिष्ठी इतना मिठास लाती है कि आत्महत्या करने जा रहे उसके जीवन का नजरिया बदल जाता है। देखते-देखते 15 साल कब बीत जाते हैं, उसे वक्त का एहसास तक नहीं होता। समय के साथ जीवन में आगे बढ़ती मिष्ठी पढ़-लिखकर शादी करके विदेश शिफ्ट हो जाती है। एक बार फिर मिष्ठी का साथ छूटने पर रामेश्वर किस तरह टूट जाता है? वह इस बार कैसे अपने आपको संभाल पाएगा, जीवन को पटरी पर कैसे लाकर लाइफ को गुड बनाएगा, यह न सिर्फ फिल्म का रोचक पहलू है, बल्कि लाइफ को गुड बनाने का सीख भी देता है।
पूरी फिल्म रामेश्वर के जीवन पर है, जिसे निर्देशक अनंत महादेवन ने बखूबी पर्दे पर उतारा है। फिल्म का लेखन-निर्देशन और अभिनय, तीनों बहुत बेहतरीन और मनोरंजक बन पड़ा है। समय के साथ पोस्ट ऑफिस से लेकर पासवर्ड चेंज करने की आधुनिकता को भी बड़े रोचक अंदाज में दर्शाया गया है। जीवन के साथ कहानी इतने शानदार ढंग से आगे बढ़ती है कि संवेदनशील बात होने के बावजूद कहीं बोर नहीं करती। जैकी श्रॉफ की यह अब तक की सबसे ज्यादा स्क्रीन स्पेस वाली फिल्म होगी, जिसमें वे ऑल टाइम अपनी अदायगी से मनोरंजन करते नजर आते हैं। वे जिस ठहराव के साथ डिप्रेशन से लेकर चेहरे पर मुस्कान लाते हैं, उसमें उनके अभिनय की विविधता देखने को मिलती है। ये जैकी श्रॉफ के करियर की अच्छी फिल्मों में से एक है। मंझे कलाकार रजित कपूर, दर्शन जरीवाला और सानंद वर्मा ने भी उम्दा काम किया है। पोस्ट मास्टर के किरदार में रजित कपूर बेहद प्रभावशाली लगते हैं। मिष्टी के किरदार में सानिया, अनन्या और अंकिता ने स्वाभाविक अभिनय किया है। मिष्टी की मौसी के किरदार में सुनीता सेन गुप्ता भी प्रभावशाली लगती हैं। पोस्ट ऑफिस में चपरासी का रोल निभाने वाले सानंद वर्मा ने भी अपने किरदार के जान डाला है। सुरम्य पहाड़ियों के बीच छोटे से कस्बे में बना पोस्ट ऑफिस हो या सड़क आदि का लोकेशन बहुत ही रोचक और कहानी से जुड़ा लगता है।
आखिरी में कहानी कुछ तेजी से बढ़ती नजर आती है। अगर इतनी-सी बात को छोड़ दिया जाए, तब फिल्म में कोई कमी नजर नहीं आती है। फिल्म लाइफ को गुड बनाने की सीख देती है, यह इसका सबसे सशक्त पहलू है। इसे हर आयु वर्ग के दर्शक देख सकते हैं। फिल्म को पांच में से साढ़े तीन स्टार दिया जा सकता है, क्योंकि यह मनोरंजन के साथ एक संदेश भी देती है।