संविधान और मौलिक अधिकारों को जब कुचला जाए तो चुप रहना पाप : सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश की आजादी का 75वां वर्ष आरंभ होने के मौके पर सोमवार को लोगों से इसको लेकर आत्म अवलोकन करने का आह्वान किया कि आजादी के क्या मायने हैं और साथ ही उन्होंने कहा कि जब मौलिक अधिकारों और संविधान को कुचला जा रहा हो, तब चुप रहना पाप है। उन्होंने कहा कि देश के लोकतंत्र को फिर से सही स्थिति में लाने की जरूरत है।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित सोनिया गांधी के लेख का हवाला देते हुए कहा, जब हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा गारंटी के तौर पर दिए गए लोगों के मौलिक अधिकारों को कुचला जा रहा है, तब चुप रहना पाप है।उन्होंने कहा कि इस लेख में कांग्रेस अध्यक्ष ने इस बारे में बात की है कि लोगों के लिए आजादी के 75 साल के क्या मायने हैं। इस लेख में सोनिया गांधी ने कहा कि जब सरकार संसद पर ‘हमले करती है’ और परंपराओं को ‘कुचलती है’, लोकतंत्र को ‘गुलाम बना देती है’ और संविधान का ‘हनन करने’ का प्रयास करती है तो देश के लोगों को इस बारे में विचार करने की जरूरत है कि आजादी के क्या मायने हैं।उन्होंने कहा कि ये लोग गांधी का चश्मा उधार ले सकते हैं मगर उनकी दृष्टि गोडसे की ही रहेगी। सोनिया ने कहा कि कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को लेकर भारत की प्रतिक्रिया दुनिया के लिए निर्णायक होगी।
 
पत्रकारों-लेखकों को अभिव्यक्ति की आजादी नहीं
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि मौजूदा दौर में पत्रकारों को लिखने की और टीवी चैनलों को सच दिखाने की आजादी नहीं है। लेखक और विचारकों को अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है।

सांसदों को अपनी बात रखने की आजादी नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि आज के समय में सांसद भी अपनी बात नहीं रख पा रहे। ऑक्सीजन की कमी से प्रभावित लोगों को बोलने की आजादी नहीं है तथा राज्यों को केंद्र से अपने अधिकार मांगने की आजादी नहीं है।