अमेरिका में भारतवंशियों की धाक जग-जाहिर है। करीब 34 करोड़ आबादी में से केवल 45 लाख भारतीय हैं। इसके बावजूद भारतीय समुदाय अमेरिकी मीडिया में छाया रहता है। अमेरिका के मुख्य मीडिया संस्थान और एक दर्जन से ज्यादा वेबसाइट्स भारतीयों से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से कवर करते हैं।
दूसरी ओर, भारतीयों को मीडिया में खासी कवरेज से अमेरिका का दक्षिणपंथी और वर्चस्ववादी तबका चिढ़ गया है। इसका एक धड़ा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर भारतीयों को स्पेशल ट्रीटमेंट देने का आरोप लगा रहे हैं।
बाइडेन ने कहा था कि भारतीय इतने अच्छे और कुशल हैं कि वे सभी बड़े काम कर रहे हैं। देश को संभाल रहे हैं। श्वेत वर्चस्ववादियों और नस्लीय समूहों ने इस बयान पर इतना बवाल किया कि व्हाइट हाउस को सफाई देनी पड़ी।
अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक अकेला समुदाय है, जिसे मेनस्ट्रीम के CNN, न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट जैसे बड़े मीडिया संस्थानों में कवरेज मिलती है। भारतीयों के खिलाफ होने वाले अपराधों के कवरेज को वे प्रमुखता देते हैं। ये भारतीय प्रवासियों की शक्ति, प्रभाव दर्शाता है।
अमेरिका में भारतीयों के लिए समर्पित वेबसाइट खासी लोकप्रिय हैं। ये भारतीयों को प्रभावित करने वाले फैसलों, घटनाओं और कार्यक्रमों को गहराई से कवर करती हैं। खास बात ये है कि इनमें दक्षिणपंथी और वामपंथी समेत सभी विचारधाराओं को प्रतिनिधित्व मिलता है। साथ ही प्रवासी भारतीयों की बदलती संस्कृति और जीवनशैली की भी रिपोर्टिंग की जाती है। हर महीने 20 लाख से ज्यादा लोग इन्हें पढ़ते हैं।
वॉशिंगटन की अमेरिकन यूनिवर्सिटी में मीडिया, डिजिटल संस्कृति पढ़ाने वाले सैफ शाहीन कहते हैं कि ये वेबसाइट प्रवासियों को उनकी मातृभूमि से जोड़ती हैं। अमेरिका में भारतीय इनसे बॉलीवुड, क्रिकेट, राजनीति से जुड़ी खबरों से अपडेट रहते हैं।
पिछले दिनों इन वेबसाइट में मध्यावधि चुनाव जीतने वाले भारतीयों के बारे में विस्तार से बताया गया। कैसे उनकी जीत से स्थानीय राजनीति प्रभावित होगी। बड़ी कंपनियों के सीईओ और संस्थाओं में अध्यक्ष जैसे उच्च पदों पर बैठे भारतीयों को अच्छे से कवर किया जाता है।