मिस्टर सिक्योरिटी के नाम से प्रसिद्ध इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की परेशानियां कम होती नहीं दिख रही है। हमास के हमले के कारण बंद इजराइली कोर्ट दो माह बाद 4 दिसंबर से फिर से एक्शन में आ गई हैं। कोर्ट ने नेतन्याहू के खिलाफ चल रहे रिश्वत के एक और धोखाधड़ी के 3 केसों की सुनवाई फिर से शुरू कर दी है।
4 साल पहले शुरू हुए इन केसों को नेतन्याहू के वकील अब कोर्ट से सुनवाई स्थगित करने की मांग कर रहे हैं, उनका कहना है कि युद्ध चल रहा है, इसलिए उनके (नेतन्याहू) पास तैयारी करने का समय नहीं है। इजराइली PM गठबंधन, वॉर कैबिनेट और पार्टी सभी मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
एक सर्वे में सामने आया है कि इजराइली के 75% लोगों का कहना है कि PM नेतन्याहू को अभी या फिर एक बार युद्ध खत्म हो जाए तो इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं बंधकों के परिजन भी PM पर सवाल उठा रहे हैं।
वहीं, अधिकारियों का कहना है कि गाजा में सैन्य अभियान और संघर्ष विराम के फैसले में नेतन्याहू की भूमिका नहीं है।
इजराइली अधिकारियों का दावा है कि IDF से जुड़े हुए सारे फैसले रक्षा मंत्री योएव गैलेंट करते हैं। इजराइली सेना के दो पूर्व जनरल बेन्नी गेंज और गेडी आइसेनकोट शामिल होते हैं। वॉर कैबिनेट के 5 लोगों के कोर ग्रुप में नेतन्याहू दरकिनार हो गए हैं। गैलेंट को नेतन्याहू ने मार्च में बर्खास्त करने की कोशिश की थी। बेन्नी गेंज हालिया चुनावी सर्वे में नेतन्याहू से काफी आगे हैं।
इजराइल-हमास युद्ध को लेकर हाल में हुए 2 बड़े फैसलों में नेतन्याहू की भूमिका नहीं के बराबर रही है। पहला-गाजा में इजराइली सेना की कार्रवाई के समय का फैसला। दूसरा- 110 से ज्यादा बच्चों और महिला बंधकों की रिहाई के लिए हमास के साथ सप्ताहभर के संघर्ष विराम पर सहमति देना।
नेतन्याहू सरकार पर आरोप है कि वह फैसला नहीं ले पा रही है कि गाजा में युद्ध खत्म होने के बाद क्या होगा? गठबंधन के साथी चाहते हैं कि इजराइली सेना को स्थाई रूप से गाजा पट्टी में रहने दिया जाए। लेकिन, अमेरिका चाहता है कि सेना गाजा छोड़ दें और फिलिस्तीनी अथोरिटी को ताकतवर बनाएं ताकि वह सत्ता को संभाल सकें।
नेतन्याहू कट्टरपंथी गठबंधन में फंस गए हैं क्योंकि 18 महीने तक विपक्ष में रहने के बाद जब PM नेतन्याहू गठबंधन सरकार बनाने जा रहे थे, तो भ्रष्टाचार के आरोपों के मुख्य पार्टियों ने उनका साथ देने से इनकार कर दिया।
सरकार बनाने के लिए नेतन्याहू ने धुर दक्षिणपंथी पार्टियों के साथ गठबंधन बनाया। बजट आवंटन के सारे फैसले उनकी सहयोगी धार्मिक पार्टियां करती हैं, जिन्होंने अरबों रुपए वेस्ट बैंक में सेटलमेंट और धार्मिक स्कूलों को आवंटित किए।