फिलिस्तीन का कहना है कि इजराइल गाजा के अस्पतालों समेत रिहायशी इलाकों में हमला कर रहा है। यहां अल-अक्सा अस्पताल के एक डॉकटर ने कहा- शवों की संख्या बढ़ती जा रही है। इन्हें रखने की न तो जगह बची है और न ही इन्हें दफनाने के लिए कफन हैं।
दूसरी तरफ, इजराइल की तरफ से होने वाली बिजली-ईंधन की सप्लाई रोक दी गई। इससे अस्पतालों में बिजली नहीं है। डॉक्टर टॉर्च की रोशनी में इलाज करने को मजबूर हैं। यहां फ्यूल की कमी भी है, जिस वजह से जनरेटर नहीं चल रहे हैं।
गाजा में तेल अल-हावा शहर के अल-कुद्स अस्पताल में 23 डॉक्टर करीब 500 लोगों का इलाज कर रहे हैं। एक डॉक्टर ने कहा- 10 से ज्यादा घायल ICU में भर्ती हैं। 120 लोगों की हालत गंभीर है। 400 घायलों को भी जल्द इलाज की जरूरत है। हम बिना सोए एक पेशेंट से दूसरे पेशेंट के पास दौड़ लगा रहे हैं। हम जान बचाना चाहते हैं, लेकिन इस काम में मुश्किल हो रही है।
इमरजेंसी टीम के एक डॉक्टर ने कहा- जान बचाकर भागने के लिए जगह नहीं है। कई नागरिकों ने अस्पतालों में शरण ली है। लगातार घायलों की भीड़ अस्पताल आ रही है। हम समझ नहीं पा रहे हैं कि किसका इलाज पहले किया जाए। सभी लोगों को गंभीर चोटें आई हैं। कई घायलों की सर्जरी नहीं हो पा रही है। हमारा पूरा दिन फर्स्ट एड देने में निकल रहा है।
अस्पताल लाए गए बच्चे अपने माता-पिता को ढूंढ रहे हैं।
डॉक्टरों को बुजुर्गों का इलाज करने में परेशानी हो रही है क्योंकि अस्पतालों में बेड ऑक्यूपेंसी 150 फीसदी तक पहुंच गई है। ऐसे में बीमार बुजुर्गों को समय पर इलाज नहीं मिल रहा है।
इजराइल के हमले में एक हजार से ज्यादा बच्चों की मौत हुई है। हजारों घायल हैं। इन्हें भी अस्पताल लाया जा रहा है। बच्चों का इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने कहा- हमें बच्चों की आंखों में सिर्फ डर दिखाई दे रहा है। वो सिर्फ अपने माता-पिता को ढूंढ रहे हैं। रो रहे हैं। उन्हें चुप कराना मुश्किल है। कुछ बच्चे ऐसे हैं जिन्हें बम की आवाज से सदमा तक लग गया है। वो न तो कुछ बोल रहे हैं और न ही किसी बात पर रिएक्ट कर रहे हैं।
गाजा सिटी हॉस्पिटल के सर्जन ने कहा- इजराइल के हमले के बाद हालात इतने खराब हो गए हैं कि अब अस्पतालों में दवाएं और जरूरी मेडिकल सप्लाई तक नहीं बची है। एनेस्थीसिया तक नहीं उपलब्ध है। इसके बिना सर्जरी करना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि इसका इस्तेमाल सर्जरी वाले अंग पर किया जाता है जिससे मरीज को किसी तरह का सेंसेशन या दर्द न हो, लेकिन अब बिना एनेस्थीसिया हम मरीजों की चीखें सुन रहे हैं।