ISIL लीडर ओसामा अल-मुजाहिर अमेरिका की स्ट्राइक में मारा गया

अमेरिकी सेना ने रविवार को दावा किया है कि पूर्वी सीरिया में एक टारगेट पर की गई स्ट्राइक में इस्लामिक स्टेट (ISIL)का लीडर ओसामा अल-मुहाजिर मारा गया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक US सेंट्रल कमांड (CENTCOM) ने बयान जारी कर बताया है कि इस ऑपरेशन को MQ-9 ड्रोन से अंजाम दिया गया था।
CENTCOM ने बताया 2019 में हुई हार के बावजूद ISIS न सिर्फ सीरिया बल्कि आस-पास के देशों के लिए भी बड़ा खतरा है। इस ऑपरेशन में कोई आम नागरिक नहीं मारा गया है। अमेरिकी सेना ने यह भी दावा किया है कि ISIL लीडर पर अटैक के लिए उसी ड्रोन का इस्तेमाल किया गया जिसका रूसी सेना ने रास्ता रोका था।
यह वीडियो ड्रोन में लगे कैमरे से ही कैप्चर हुआ। इसमें रूसी फाइटर जेट ड्रोन के करीब आता और फिर पैराशूट से शेल्स दागता नजर आ रहा है। वीडियो US सेंट्रल कमांड ने जारी किया है।
सीरिया में बुधवार यानी 5 जुलाई को अमेरिका ने दावा किया था कि रूस के 3 लड़ाकू विमानों ने उनके 3 MQ-9 ड्रोन्स का रास्ता रोक दिया। अमेरिकी एयरफोर्स के मुताबिक, रूस के सुखोई-35 फायटर जेट्स ने ड्रोन्स के सामने पैराशूट से फ्लेयर्स दागने शुरू कर दिए, जिससे उनका फ्रंट व्यू ब्लॉक होने लगा था।
इसके बाद उन्हें अपना रास्ता बदलना पड़ा। अमेरिका ने कहा है कि उनके ड्रोन्स सीरिया में ISIS के ठिकानों की निगरानी कर रहे थे। US सेंट्रल कमांड ने घटना का एक वीडियो भी रिलीज किया था।
इसे ड्रोन के अंदर से रिकॉर्ड किया गया था। वीडियो में नजर आ रहा है कि कैसे रूसी फाइटर जेट्स अमेरिका के MQ-9 ड्रोन्स के बेहद पास उड़ान भर रहे हैं।
अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक एयरोनॉटिकल के मुताबिक 2001 में MQ-9A ड्रोन ने पहली बार उड़ान भरी थी। इस ड्रोन का अपडेटेड वर्जन ही MQ-9B है। 2000 के बाद अमेरिकी सेना को चालक रहित एक ऐसे एयरक्राफ्ट की जरूरत हुई, जिसे रिमोट से कंट्रोल किया जा सके।

इसी के फलस्वरूप MQ-9A बना था। यह लगातार 27 घंटे तक उड़ान भर सकता था। इसके बाद इसी ड्रोन का अपडेटेड वर्जन MQ-9B SkyGuardian और MQ-9B SeaGuardian बना। मई 2021 तक अमेरिका के पास 300 से ज्यादा ऐसे ड्रोन थे। PM नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर दोनों देशों के बीच हुई डील के मुताबिक भारत को तीन बिलियन डॉलर में 30 MQ-9 ड्रोन मिलेंगे। आर्मी, एयरफोर्स को 8-8 और नेवी को 14 ड्रोन मिलेंगे।सीरिया में अमेरिका और रूस दोनों की आर्मी अक्सर ऑपरेशन चलाती रहती हैं। अमेरिका की करीब 900 फोर्सेज सीरिया में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों से लड़ने के लिए कुर्द नेतृत्व वाली सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्स के साथ काम करने के लिए तैनात हैं। वहीं रूस की सेना सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थन में वहां मौजूद है।