पिछले कुछ वक्त से बांग्लादेश में शेख़ हसीना सरकार के लिए सबकुछ अच्छा नहीं चल रहा था. घरेलू मोर्चे पर जहां उन्हें विपक्षी पार्टियों के दबाव और प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा. वहीं विदेश मोर्चे पर भी भारत और चीन के बीच संतुलन की सरकार की नीति सटीक नहीं बैठ रही थी. पिछले महीने चीन के दौरे पर गईं शेख़ हसीना तय समय से पहले ही वापस आ गई थीं. ऐसा माना गया कि शेख़ हसीना जो सोचकर चीन गई थीं, वो हासिल नहीं हुआ. बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीना सीकरी कहती हैं कि चीन में शेख़ हसीना को उचित सम्मान नहीं दिया गया, शी जिनपिंग के साथ वो जो बैठक चाहती थीं वो भी नहीं हो पाई.वीना कहती हैं, ”ये नहीं समझ आता कि चीन की सरकार ने आख़िर क्या सोचकर ऐसा किया. क्योंकि उस दिन तक चीन की सरकार, बांग्लादेश की सरकार के साथ दोस्ताना रिश्ते दिखा रही थी और ऐसे बयान भी दे रही थी.”
चीन से वापस आते ही शेख़ हसीना ने भारत के लिए एक बड़ा एलान कर दिया था. शेख़ हसीना का कहना था कि तीस्ता परियोजना में भारत और चीन दोनों की दिलचस्पी थी लेकिन वह चाहती हैं कि इस परियोजना को भारत पूरा करे. इस बीच भारत और चीन से हसीना सरकार के संबंधों को लेकर बांग्लादेश में ही सवाल उठ रहे थे. जिस पर हसीना ने कहा था, ”चीन से हमारे संबंध अच्छे हैं. इससे पहले मैं भारत दौरे पर गई थी, तब कहा गया कि मैंने देश भारत को बेच दिया है. मैं चीन गई तो कुछ हासिल नहीं हुआ. ये सब बयान आते रहते हैं. मुझे लगता है कि लोग मानसिक रूप से बीमार हैं.”
सियासत में उथल-पुथल
शेख़ हसीना के भारत और चीन पर दिए बयान को अभी एक महीने भी पूरे नहीं हुआ था कि शेख़ हसीना सत्ता से बेदखल हो गईं हैं. 5 अगस्त का दिन बांग्लादेश के लिए इतिहास बदलने वाला साबित हुआ.
आरक्षण पर चल रहे हिंसक प्रदर्शनों के राष्ट्रव्यापी आंदोलन में तब्दील हो जाने के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने देश छोड़ दिया.
वो एक सैन्य विमान से भारत पहुंचीं. जहां भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दिल्ली के पास गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर हसीना की अगवानी की. इस बीच बांग्लादेश में सेना प्रमुख जनरल वकार ने अंतरिम सरकार के गठन का एलान कर दिया.
विदेशी एंगल ?
बांग्लादेश में मची इस उथल-पुथल को लेकर अब सवाल ये भी है कि क्या ये पूरा घटनाक्रम महज़ आरक्षण को लेकर प्रदर्शन पर टिका था या इसके पीछे कई और कारण शामिल थे.
सोशल मीडिया पर कई लोग इस बारे में दावा करते हुए सवाल उठा रहे हैं कि बांग्लादेश में जो हुआ, उसके पीछे विदेशी ताकतें हो सकती हैं?
बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीना सीकरी विदेशी ताकतों के शामिल होने की बात से इनकार नहीं करतीं. वो कहती हैं कि ये देखना होगा कि आरक्षण में सुधार पर शुरू हुए आंदोलन का कैसे पूरा स्वरूप ही बदल गया है. ये बदलाव बहुत कुछ बताता है.
बांग्लादेश में भारत के पूर्व उच्चायुक्त हर्ष ऋंगला न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहते हैं, ”आप उन विदेशी ताकतों के शामिल होने की बात से इनकार नहीं कर सकते हैं, जो बांग्लादेश के हितों से और साफ़ तौर से हमारी सुरक्षा हितों के भी ख़िलाफ़ हैं.”
हालांकि, हर्ष ऋंगला इस पूरे घटनाक्रम के पीछे आर्थिक कारणों को भी ज़िम्मेदार मानते हैं. उनका कहना है कि कोरोना महामारी के बाद जिस तरह से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचा, उसके बाद यूक्रेन संकट की वजह से ज़रूरी चीज़ों के दाम में और इज़ाफ़ा हो गया. इससे ईंधन, भोजन, खाद और वो सभी चीज़ें जो बांग्लादेश आयात करता है उसकी कीमतें बढ़ गईं. ऋंगला का मानना है कि इन वजहों से भी ऐसी स्थिति पैदा हुई कि बांग्लादेश के लोग ख़ासकर युवा सड़कों पर उतर गए.