देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और उत्तर प्रदेश भी उनमें से एक है.जहां एक ओर अदालतें चुनावी रैलियों में कोविड दिशानिर्देशों के पालन न होने को लेकर चुनाव आयोग को फटकार लगा रही हैं, वहीं यूपी के पंचायत चुनाव में बिना कोविड प्रोटोकॉल के चुनावी ड्यूटी करते हुए संक्रमित हो रहे कई सरकारी कर्मचारी अपनी जान गंवा रहे हैं.
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले राज्य के 135 शिक्षकों, शिक्षा मित्रों और अनुदेशक कोरोना संक्रमण के चलते जान गंवा चुके हैं. राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संक्रमित कर्मचारियों के मुफ्त इलाज व मृतकों के परिजनों को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता व अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की है.
संघ के प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्र ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि कोविड-19 की भयंकर महामारी के बीच प्रदेश में पंचायत चुनाव कराए जा रहे हैं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही हैं. पंचायत चुनाव से जुड़े अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक व सुरक्षाकर्मी प्रतिदिन संक्रमित हो रहे हैं और अनगिनत मौतों के साथ जनमानस सहमा हुआ है.
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 58,189 ग्राम पंचायत हैं, जहां ग्राम प्रधान के चुनाव होने हैं, जबकि ग्राम पंचायत सदस्यों के लिए 732, 563 पदों पर चुनाव होना है. इनके अलावा 75,855 क्षेत्र पंचायत सदस्य के पदों पर निर्वाचन होना है. राज्य के 75 ज़िलों में ज़िला पंचायत सदस्य के कुल 3,051 पदों पर चुनाव होने हैं.
मतदान चार चरणों- 15 अप्रैल, 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को होना था, जिनमें बस एक ही चरण बचा है. मतगणना दो मई को होगी.उनका कहना है कि जिन शिक्षकों की भी चुनाव में ड्यूटी लगी है, उनके परिजन डरे हुए हैं. साथ ही कोरोना के मौजूदा हालात देखते हुए कोई ड्यूटी के लिए जाना नहीं चाहता.
मिश्र के अनुसार, चुनाव में प्रथम चरण के प्रशिक्षण से लेकर तीसरे चरण के मतदान तक हजारों शिक्षक, शिक्षा मित्र व अनुदेशक संक्रमित हो चुके हैं. जहां-जहां चुनाव हुए हैं, वहां कोविड संक्रमण कई गुना बढ़ गया है.
मिश्र ने बताया, ‘चुनाव प्रशिक्षण व ड्यूटी के बाद अब तक हरदोई, लखीमपुर में 10-10, बुलंदशहर, हाथरस, सीतापुर, शाहजहांपुर में 8-8, भदोही, लखनऊ व प्रतापगढ़ में 7-7, सोनभद्र, गाजियाबाद व गोंडा में 6-6, कुशीनगर, जौनपुर, देवरिया, महाराजगंज व मथुरा में 5-5, गोरखपुर, बहराइच, उन्नाव व बलरामपुर में 4-4 तथा श्रावस्ती में तीन शिक्षक, शिक्षा मित्र या अनुदेशक की अकस्मात मृत्यु हुई है.
उन्होंने यह भी कहा कि महासंघ ने चुनाव से पहले शिक्षकों को टीका लगवाने की मांग की थी. मिश्र ने कहा, ‘केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में तैनात पोलिंग पार्टियों के टीकाकरण को अनुमति दी थी, इसी तरह पंचायत चुनाव में भी किया जा सकता था. लेकिन इस पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया.महासंघ ने मुख्यमंत्री के अलावा यह पत्र पर बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी व प्रमुख सचिव (बेसिक शिक्षा) रेणुका कुमार को भी भेजा है.
गौरतलब है कि पंचायत चुनाव में प्रदेश के सभी ज़िलों के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों की मतदान और मतगणना में ड्यूटी लगी है.बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें सर्वाधिक संख्या प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों की है, जहां लगभग 80 प्रतिशत परिषदीय शिक्षक चुनाव की ड्यूटी में लगे हुए हैं.
प्रदेश के बिजनौर जिले में पंचायत चुनाव ड्यूटी के बाद अब तक सात शिक्षा कर्मी दम तोड़ चुके हैं.
अमर उजाला के अनुसार, शिक्षकों ने मृतकों के परिजनों को 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग के साथ मतगणना के लिए कोविड संबंधी पुख्ता इंतजाम करने की भी बात कही है. और ऐसा न होने पर मतगणना का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है.
उत्तर प्रदेश जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने जिला अधिकारी को दिए मांग पत्र में कहा कि पंचायत चुनाव की ड्यूटी के बाद बड़ी संख्या में शिक्षक बीमार हैं. कई अस्पतालों में भर्ती हैं, तो कई घर पर ही क्वारंटीन हैं. अब तक जिले के सात शिक्षा कर्मी संक्रमण के कारण दम तोड़ चुके हैं.
शिक्षक संघ ने कहा कि मतगणना के लिए पुख्ता इंतजाम हों, मतगणना ड्यूटी से पहले इसमें शामिल होने वाले शिक्षकों समेत तमाम कर्मचारियों को कोरोना का टीका लगवाया जाए. उन्होंने चेताया है कि ऐसा न होने की स्थिति में वे इस ड्यूटी का बहिष्कार करने को विवश होंगे.
इससे पहले बीते हफ्ते तीसरे चरण के मतदान से पहले अलीगढ़ के शिक्षकों ने पंचायत चुनाव का विरोध करते हुए तीसरे और चौथे चरण के चुनाव स्थगित करने की मांग की थी.