क्या उत्तर प्रदेश में INDIA गठबंधन का सबसे मुख्य दल समाजवादी पार्टी ही है?

समाजवादी पार्टी गठबंधन में सीट मांग नहीं रही है, बल्कि सीट दे रही है। अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यालय पर यह बयान दिया और उसके बाद से ही यूपी की पॉलिटिक्स में इस बयान के सियासी मायने खोजे जाने लगे हैं। उत्तर प्रदेश में INDIA गठबंधन का सबसे मुख्य दल समाजवादी पार्टी ही है। अखिलेश यादव के इस बयान को गठबंधन में सीटों के बंटवारे में समाजवादी पार्टी की ही बड़ी भूमिका रहेगी साफ तौर पर इससे जोड़कर देखा जा रहा है।

इससे पहले अखिलेश यादव यही कहते रहे हैं कि सीटों पर सब मिल बैठकर फैसला लेंगे। लेकिन, जिस तरह घोसी में मिली जीत के बाद पार्टी कार्यालय पर वहां के कार्यकर्ताओं से मुलाकात के दौरान अखिलेश यादव ने ये बयान दिया है, अब इसे उनकी प्रेशर पॉलिटिक्स का भी हिस्सा माना जा रहा है।
जिसमें कांग्रेस को यूपी में उनके हिसाब से नहीं, बल्कि अपने हिसाब से सीट देने की तैयारी में वो हैं। यानी अखिलेश यादव ने अपने एक बयान से यह संदेश साफ तौर पर दे दिया है कि यूपी में INDIA गठबंधन के असली बॉस वही है
घोसी विधानसभा उपचुनाव में सपा की जीत हुई। इसके बाद विधायक बने सुधाकर सिंह रविवार को कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी कार्यालय पहुंचे। अखिलेश से मुलाकात कराई।
समाजवादी पार्टी कार्यालय पर कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में अखिलेश यादव ने ना केवल ये कहा कि समाजवादी पार्टी गठबंधन में सीट मांग नहीं, बल्कि सीट दे रही है। साफ तौर पर ये भी कहा कि समाजवादी पार्टी ने पहले बहुत त्याग किया है। अखिलेश यादव का ये बयान एक तरीके से माइंडगेम माना जा रहा है। क्योंकि चाहे 2017 का यूपी विधानसभा का चुनाव हो या फिर 2019 के लोकसभा चुनाव हो। समाजवादी पार्टी ने पहले कांग्रेस के साथ गठबंधन किया तो उसे काफी सीटें दी और जब 2019 में बसपा के साथ गठबंधन किया तो उसे भी अपने से ज्यादा सीट दी थी।
दोनों ही बार सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी का हुआ तो वह समाजवादी पार्टी का ही हुआ। 2017 में अखिलेश यादव यूपी की सत्ता से बाहर हो गए तो 2019 में बसपा को 10 सीट मिली और मायावती ने गठबंधन भी तोड़ दिया। जबकि सपा 5 सीट पर ही सिमट गई थी।
2017 में जब अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया, तब कांग्रेस को 105 सीट गठबंधन में दी थी। खुद समाजवादी पार्टी 298 सीट पर ही चुनाव लड़ी थी। उस वक्त भी यही पार्टी के नेताओं ने कहा था कि कांग्रेस को इतनी सीट देना सही फैसला नहीं है। जब नतीजे आए तो वही बात सही साबित हुई।
2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बसपा को 38 सीट दी और खुद 37 सीटों पर ही चुनाव लड़ा। अब जब 2024 के लिए INDIA गठबंधन में सीट बंटवारे की बात शुरू हुई है, तो अखिलेश यादव ने यह कहकर कि समाजवादी पार्टी पहले बहुत त्याग कर चुकी है… एक तरीके से अपना स्टैंड बिल्कुल साफ कर दिया है कि अब समाजवादी पार्टी त्याग नहीं करेगी।
समाजवादी पार्टी राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भी इस बार पूरी तैयारी के साथ उतरने जा रही है। मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी इस बार 2003 की रणनीति पर काम कर रही है। तब समाजवादी पार्टी ने मध्यप्रदेश में 7 सीटें जीती थीं। पार्टी के मध्य प्रदेश के प्रभारी व्यास जी गौंड लगातार मध्यप्रदेश में एक्टिव हैं।
अगस्त महीने में मध्यप्रदेश में विधायक रह चुके लक्ष्मण तिवारी ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। वहीं सतना के जिला कांग्रेस कमेटी के महासचिव संजय सिंह भी सपा में शामिल हुए थे। जाहिर-सी बात है कि मध्यप्रदेश में समाजवादी पार्टी का एक्टिव होना कहीं ना कहीं कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
सपा ने रविवार को ऐलान किया कि आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव में राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ विधानसभा से पूर्व विधायक सूरजभान धानका समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी होंगे।
वहीं, राजस्थान में भी समाजवादी पार्टी इस बार पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरने की बात कह रही है। रविवार को ही राजस्थान के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और जनता दल के राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष रहे अर्जुन देथा ने अखिलेश यादव से लखनऊ में मुलाकात की। चुनावी रणनीति पर चर्चा की। जबकि छत्तीसगढ़ में भी पार्टी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। इसे अखिलेश यादव के पॉलिटिकल स्ट्रेटजी भी माना जा रहा है क्योंकि अगर इन राज्यों में कांग्रेस समाजवादी पार्टी के साथ सीटों पर कोई तालमेल नहीं करती है तो उसका सीधा असर उत्तर प्रदेश में भी सीट बंटवारे पर पड़ेगा।
भले ही अभी तक INDIA गठबंधन में सीटों का बंटवारा नहीं हुआ हो, लेकिन सूत्रों की मानें तो इस बार समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में अकेले 55 से 58 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। ऐसा पहली बार हुआ है जब समाजवादी पार्टी ने लोकसभा सीटों पर अपने प्रभारी भी नियुक्त कर दिए हैं। कई ऐसी सीटें हैं जहां पार्टी ने जिन्हें चुनाव लड़ना है उन्हें मैसेज भी दे दिया है और वह क्षेत्र में लगातार अपनी जमीन भी तैयार कर रहे हैं।
जबकि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कम से कम उन 21 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, जो उसने 2009 में जीती थी। लेकिन, अखिलेश यादव का ये बयान सामने आने के बाद साफ है कि अब गठबंधन में अखिलेश यादव किसी की सुनेंगे नहीं, बल्कि अपनी सुनाएंगे।
इसीलिए चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि सपा 20-22 सीटें ही रालोद और कांग्रेस को यूपी में दे सकती है। अब चुनौती रालोद के भी सामने होगी, क्योंकि रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय का कहना है कि उनकी पार्टी यूपी में 12 सीटें अपने लिए चाहती है। ऐसे में क्या कांग्रेस महज 8 सीटों पर ही यूपी में चुनाव लड़ने के लिए तैयार होगी? ये बड़ा सवाल है।
अगर 2014 और 2019 के आंकड़ों पर गौर करें तो 2014 में कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली की सीट जीती और 6 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। वहीं 2019 में एक सीट कांग्रेस ने जीतीं और तीन सीटों पर वह नंबर दो की पोजिशन पर रही।
इन्हीं आंकड़ों के आधार पर शायद अखिलेश यादव ये बात कह रहे हैं। वैसे भी 2017 में बड़ा दिल करके कांग्रेस को 105 सीट देने वाले अखिलेश यादव शायद अपनी उस भूल से सबक ले चुके हैं और इसीलिए वह पहले ही यह क्लियर कर दे रहे हैं कि गठबंधन में किसको कितनी सीट मिलेगी? ये यूपी में कम से कम वही तय करेंगे और अब त्याग भी नहीं होगा।
हालांकि उत्तर प्रदेश में सत्ता के गलियारों में एक चर्चा इस बात को भी लेकर है कि कांग्रेस और बसपा भी एक साथ आकर लोकसभा चुनाव लड़ सकती है। सूत्रों की मानें तो इसे लेकर बातचीत भी कुछ स्तर पर हुई है। फिलहाल बसपा सुप्रीमो मायावती का अभी तक यही कहना है कि बसपा लोकसभा का चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ेगी, किसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी। वहीं अखिलेश यादव की कोशिश शायद ये है कि INDIA गठबंधन में तवज्जो यूपी में समाजवादी पार्टी को दी जाए क्योंकि उनके यूपी में 108 विधायक हैं, वो मुख्य विपक्षी दल है और हाल ही में घोसी उपचुनाव में उसने बड़ी जीत हासिल की है।