60 के दशक की सबसे मशहूर एक्ट्रेस सायरा बानो आज 79 साल की हो चुकी हैं। सायरा की मां नसीम बानो 40 के दशक की मशहूर एक्ट्रेस थी, जिन्हें हिंदी सिनेमा की पहली फीमेल सुपरस्टार कहा जाता है। जब सायरा 3 साल की हुईं तो भारत-पाकिस्तान बंटवारे में पिता छोड़कर पाकिस्तान चले गए।
बचपन से ही सायरा बानो सिर्फ 2 ही ख्वाब देखा करती थीं। पहला ख्वाब कि उन्हें मां की तरह ब्यूटी क्वीन या सुपरस्टार कहा जाए और दूसरा 22 साल बड़े दिलीप कुमार से निकाह।
खुशकिस्मती से सायरा के दोनों ही ख्वाब पूरे हुए। उन्हें हीरोइन बनाने के लिए मां नसीम बानो ने खुद करियर की कुर्बानी दे दी और एक सवाल ने दिलीप साहब को उनका हाथ थामने पर मजबूर कर दिया।
23 अगस्त 1944 को मसूरी में एक्ट्रेस नसीम बानो और प्रोड्यूसर मियां-उल-हक के घर बेटी सायरा बानो का जन्म हुआ। वैसे तो मियां-उल-हक एक आर्किटेक्ट थे, लेकिन नसीम से शादी करने के बाद उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी शुरू कर दी और फिल्में बनाने लगे। सायरा महज 3 साल की थी, जब 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे में पिता ने पाकिस्तान को चुना। मां नसीम बानो ने उनके साथ पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया और बच्चों के साथ इंग्लैंड रहने चली गईं।
इंग्लैंड में कमाई का जरिए नहीं दिखा तो मां नसीम बानो दोनों बच्चों के साथ भारत लौट आईं और फिल्मों में काम करने लगीं। बचपन से ही मां को देखते हुए सायरा भी हीरोइन बनने का ख्वाब देखती थीं, हालांकि उनकी मां इसके खिलाफ थीं। वो चाहती थीं कि सायरा एक वकील या डॉक्टर बनें। पढ़ाई में भी वो अच्छी थीं तो मां ने उन्हें पढ़ाई के लिए लंदन भेज दिया। सायरा सिर्फ स्कूल की छुट्टियों में भारत आया करती थीं।
एक दिन छुट्टी में घर आईं 12 साल की सायरा बानो अपनी मां के साथ घर पर महबूब खान के निर्देशन में बनी फिल्म आन देख रही थीं। फिल्म के हीरो थे दिलीप कुमार। फिल्म में दिलीप साहब का दमदार रोल सायरा को इतना पसंद आया कि वो तुरंत मां के सामने जिद करने लगीं कि वो दिलीप साहब से ही शादी करेंगी। 12 साल की सायरा की ये जिद सुनकर नसीम बानो हंस पड़ीं। किसी ने सोचा भी नहीं था कि उनकी कही बात सच साबित हो जाएगी
40 के दशक में दिलीप कुमार और मधुबाला स्टारर फिल्म मुगल-ए-आजम की शूटिंग शुरू हुई थी। फिल्म का सेट इतना आलीशान था कि दूर-दूर से लोग सेट देखने पहुंचते थे। एक दिन सायरा भी अपनी मां के साथ मुगल-ए-आजम के सेट पर पहुंची थीं। हालांकि उनकी सेट पर उनके फेवरेट हीरो दिलीप कुमार से मुलाकात नहीं हो सकी।
जब भी सायरा छुट्टियों में घर आती थीं तो कोई न कोई प्रोड्यूसर उनके घर फिल्म का ऑफर लेकर जरूर आया होता था, लेकिन मां हमेशा इनकार कर देती थीं। जब 16 साल की उम्र में सायरा छुट्टियां मनाने भारत आईं तो उन्हें फिल्म जंगली का ऑफर मिला, जिसमें शम्मी कपूर लीड रोल में होने वाले थे। नसीम बानो तब भी नहीं चाहती थीं कि सायरा फिल्मों में आएं, लेकिन जब सायरा ने जिद की तो वो भी मान गईं। फिल्म की आधी शूटिंग उन्होंने पहली छुट्टी में की और फिर लंदन लौट गईं। जब दूसरे साल स्कूल की छुट्टी हुई तो उन्होंने बची हुई फिल्म पूरी की। उनकी मां नसीम बानो जानती थीं कि अगर वो फिल्मों में आती रहीं, तो लोग उनकी सायरा की तुलना उनसे करते रहेंगे, इसलिए उन्होंने खुद 1957 से हिंदी फिल्मों में काम करना छोड़ दिया।
वैसे तो सायरा बचपन से ही डांस और अभिनय में माहिर थीं, लेकिन मां के कहने पर उन्होंने प्रोफेशन कथक और भरतनाट्यम की ट्रेनिंग ली। एक साल में फिल्म शूट हुई और 1961 में रिलीज हुई।
सायरा बानो के लिए बिना किसी एक्टिंग ट्रेनिंग के पहली फिल्म में अभिनय करना थोड़ा मुश्किल रहा। फिल्म जंगली की शूटिंग के दौरान शम्मी कपूर और शूटिंग को देखने वालों की भीड़ लगा करती थी। भीड़ देखकर सायरा घबरा जाया करती थीं। एक दिन सैकड़ों लोग भीड़ देखने के लिए इकट्ठा हो गए। जैसे ही डायरेक्टर सुबोध ने एक्शन कहा तो वो नर्वस होकर ठीक से डायलॉग नहीं बोल पाईं। एक-दो बार में जब सायरा ने सही शॉट नहीं दिया तो शम्मी कपूर ने समय बर्बाद होने पर उन पर चिल्लाते हुए कहा था- अगर इतनी घबराहट हो रही है तो तुम्हारे लिए बुर्का मंगवा देते हैं, उसे पहनकर तुम एक्टिंग कर लेना।
सरेआम डांट पड़ने से सायरा रोने लगीं, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने एक टेक में ही परफेक्ट शॉट दे दिया। साथ ही उन्होंने शम्मी कपूर से ये भी कहा कि मैं जब तक अच्छी तरह एक्टिंग न सीख जाऊं, आपके साथ फिल्म नहीं करूंगी।
जब फिल्म जंगली की कामयाबी के बाद दोनों की जोड़ी हिट हुई तो सायरा को शम्मी के साथ कई फिल्में ऑफर हुईं, लेकिन उन्होंने हर बार ठुकरा दी।
फिल्म जंगली की शूटिंग पूरी करने के बाद एक दिन सायरा अपनी मां के साथ अकबर अली रोड गईं। वो जिस दुकानदार के पास गईं वो जानता था कि नसीम बानो एक हीरोइन हैं और वो दुकानदार दिलीप कुमार का बड़ा फैन था। बातों-ही-बातों में नसीम बानो ने बता दिया कि सायरा कि फिल्म अगले ही महीने रिलीज होने वाली है। ये सुनते ही दुकानदार ने दुःख जताते हुए कहा कि अगले महीने तो दिलीप साहब की फिल्म गंगा जमुना भी रिलीज होने वाली है और उनकी फिल्म के सामने तो आपकी फिल्म नहीं टिकेगी। ये सुनते ही सायरा उदास हो गईं और रोने लगीं। उन्होंने मां से कहा कि अब तो कोई भी मेरी फिल्म देखने नहीं आएगा।
दोनों ही फिल्में एक हफ्ते के अंतराल में रिलीज हुईं। दिलीप कुमार उस समय स्टार थे और सायरा उस समय न्यूकमर थीं, इसके बावजूद दोनों फिल्मों में कांटे की टक्कर हुई थी। खुशकिस्मती से दोनों ही फिल्में सुपरहिट साबित हुई थीं।
फिल्म जंगली से सायरा को देशभर में पहचान मिल गई। फिल्म के साथ इसके गानें चाहे कोई मुझे जंगली कहे….., मैं कश्मीर की कली हूं… और अई अयैया सुकू सुकू जबरदस्त हिट रहे थे। आगे उन्होंने ब्लफ मास्टर, झुक गया आसमान और आई मिलन की बेला, पूरब पश्चिम जैसी कई हिट फिल्में देकर अपना नाम टॉप एक्ट्रेसेस के बीच लिखवाया।
जब सायरा हिंदी सिनेमा का जाना-माना नाम बन गईं तो उनकी कई फिल्मों में दिलीप कुमार को हीरो चुना जाने लगा, लेकिन दिलीप कुमार हर बार सायरा के साथ की फिल्में ठुकराते रहे। ऐसा इसलिए कि दिलीप कुमार के सायरा के परिवार से गहरे रिश्ते थे। उनके घरवालों ने दिलीप साहब से कह रखा था कि सायरा को अपनी फिल्मों में मत लो, जिससे उसका एक्टिंग का भूत उतर जाए। यही कारण रहा कि दिलीप कुमार ने अपनी कई फिल्मों से सायरा को निकलवा दिया। उन फिल्मों में सुपरहिट फिल्म राम और श्याम (1967) भी शामिल है। साथ फिल्में न करने की एक वजह ये भी रही कि दिलीप कुमार को सायरा बेहद छोटी लगती थीं।
साल 1963 की फिल्म आई मिलन की बेला में सायरा बानो और उस जमाने के मशहूर एक्टर राजेंद्र कुमार साथ नजर आए थे। शूटिंग के समय ज्यादा समय साथ बिताते हुए दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। सायरा उस समय महज 19 साल की थीं और राजेंद्र कुमार 34 साल के शादीशुदा, बाल-बच्चों वाले थे।
सायरा सब जानने के बावजूद राजेंद्र कुमार से शादी करना चाहती थीं, लेकिन जैसे ही मां नसीम बानो को इसकी खबर लगी तो उन्होंने दोनों के रिश्ते पर आपत्ति जताई। मां की बातों का असर सायरा पर नहीं पड़ा और उन्होंने राजेंद्र कुमार से अपना रिश्ता जारी रखा।
नसीम बानो जानती थीं कि सायरा बचपन से ही दिलीप कुमार को बहुत मानती हैं, ऐसे में अगर वो उन्हें समझाएं तो वो मना नहीं करेंगी। इसी उम्मीद के साथ नसीम बानो, दिलीप साहब के पास पहुंचीं और उनसे मिन्नतें करने लगीं कि वो सायरा को समझाएं। पहले तो दिलीप साहब ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, लेकिन नसीम बानो की मिन्नतों से वो भी मान गए।
उस समय तक न दोनों कभी मिले थे, न ही कोई बातचीत हुई थी। और बढ़ती उम्र के साथ ही सायरा भी अपनी बचपन की जिद भूल चुकी थीं। एक दिन मौका पाते ही दिलीप कुमार, सायरा बानो को समझाने पहुंच गए। दिलीप साहब ने उन्हें समझाया कि अगर वो पहले से शादीशुदा राजेंद्र कुमार से शादी करती हैं, तो वो महज एक दूसरी महिला बनकर रह जाएंगी। दिलीप कुमार अपनी बात पूरी करते उससे पहले ही सायरा बानो ने उनसे पूछ लिया, तो क्या आप मुझसे शादी करेंगे?
ये सुनते ही दिलीप साहब कुछ मिनटों के लिए खामोश हो गए और फिर उस जगह से निकल आए। कुछ समय बाद ही दिलीप कुमार ने भी सायरा का साथ देने का फैसला कर लिया। दोनों की पहले दोस्ती हुई और फिर प्यार। दिलीप से सहारा मिलने पर सायरा ने राजेंद्र कुमार का साथ छोड़ दिया
सायरा बानो एक लंबे समय तक चेन्नई में रही थीं। ऐसे में मुंबई में शूटिंग करते हुए दिलीप कुमार रोज सायरा बानो से मिलने फ्लाइट लेकर चेन्नई आते थे और कुछ घंटों की मुलाकात के बाद लौट जाया करते थे। सायरा को अपने साथ बाहर ले जाने के लिए वो उनकी मां से इजाजत भी लेते थे। कुछ सालों तक रिलेशनशिप में रहने के बाद दोनों ने 11 अक्टूबर 1966 को शादी कर ली। शादी के समय सायरा बानो महज 22 साल की थीं और दिलीप साहब 44 के।
सायरा बानो रोजाना दिलीप कुमार की नजर उतारा करती थीं। दिलीप साहब की मां और दादी भी उनकी नजर उतारती थीं। दरअसल एक बाबा ने उनकी दादी और मां से कहा था कि 15 साल की उम्र तक इस बच्चे को बुरी नजर से बचाकर रखना, इसलिए उन्हें नजर से बचाने के लिए वो लोग उनके माथे पर राख लगाते थे।
जब सायरा उनकी जिंदगी में आईं तो वो रोजाना उनके नाम पर सदका करने लगीं और रोजाना किसी गरीब को या तो खाना खिलाती थीं या तो उसे राशन देती थीं। सायरा बानो का मानना था कि दिलीप साहब बचपन से ही बेहद खूबसूरत हैं और उन्हें नजर जल्दी लगती है।
दिलीप कुमार ने अपनी ऑटोबायोग्राफी दिलीप कुमार-द सब्सटेंट एंड द शैडो में बताया है कि साल 1976 में सायरा मां बनने वाली थीं, लेकिन 8वें महीने में ब्लडप्रेशर बढ़ने के कारण उनके बच्चे की जान नहीं बच पाई। इस बच्चे को खोकर वो इतने टूट गए कि उन्होंने कभी बच्चे ना करने का फैसला कर लिया। दोनों ने इसे ऊपरवाले की मर्जी समझकर अपना लिया।
सायरा बानो से शादी करने के 15 साल बाद दिलीप कुमार ने 1981 को हैदराबाद की सोशल वर्कर असमा रहमान से दूसरी शादी कर ली थी। दिलीप कुमार ने उन्हें दूसरी पत्नी का दर्जा दिया था, हालांकि इससे भी सायरा बानो और उनके रिश्ते पर बुरा असर नहीं पड़ा। सायरा ने उनकी दूसरी पत्नी को भी अपना लिया और कोई शिकायत नहीं की। करीब 2 सालों बाद दिलीप कुमार को गलती का एहसास हुआ और वो 1983 में असमा रहमान से तलाक लेकर दोबारा सायरा के साथ रहने लगे।