1. लोक सभा के सदस्यों का चुनाव आम चुनावों के माध्यम से वयस्क मताधिकार के आधार पर होता है। उक्त प्रयोजनार्थ देश को 543 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटा गया है। जब निर्वाचित सदस्य का पद रिक्त होता है, या रिक्त घोषित किया जाता है या उनका चुनाव अवैध घोषित किया जाता है, तो इसे उपचुनाव द्वारा भरा जाता है।
2.लोक सभा का सदस्य होने के लिए किसी व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए तथा 25 वर्ष से कम आयु का नहीं होना चाहिए तथा अन्य ऐसी अर्हताएँ होनी चाहिए, जो संसद द्वारा निधारित की जाएं या इसके द्वारा बनाए गए कानून द्वारा निर्धारित की जाएं। (अनु.84)
3. लोक सभा का स्थगन, सत्रावसान और विघटन क्या है ?
स्थगन का अर्थ सभा की इस बैठक को समाप्त करना है जो अगली बैठक के लिए नियत समय पर पुन: समवेत होती है। स्थगन, सभा के उस संक्षिप्त अवकाश को भी व्यक्त करता है जो उसी दिन नियत समय पर पुन: समवेत होती है।
सत्रावसान का अर्थ संविधान के अनुच्छेद 85(2) (क) के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा दिए गए आदेश के द्वारा सभा के सत्र का समाप्त होना है। आमतौर पर, सत्रावसान सभा की बैठक को अनिश्चित काल तक के लिए स्थगित कर दिए जाने के बाद होता है।
सभा के विघटन का अर्थ संविधान के अनुच्छेद 85(2)(क) के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा दिए गए आदेश अथवा लोक सभा की पहली बैठक के लिए नियत तारीख से लेकर पांच वर्षों की अवधि की समाप्ति पर लोक सभा के कार्यकाल का समाप्त होना है।
4. सामान्यतया, सभा को प्रत्येक बैठक का पहला घंटा जिसमें प्रश्न पूछे जाते हैं और उनका उत्तर दिया जाता है, ‘प्रश्नकाल’ कहलाता है।प्रश्न लोक सभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम तथा अध्यक्ष के निदेश में विहित शर्तों के अध्यधीन अविलंबनीय लोक महत्व के मामलों पर सूचना प्राप्त करने के लिए सदस्य को उपलब्ध महत्वपूर्ण संसदीय तंत्र हैं। कोई भी सदस्य जिस मंत्री को संबोधित हो, उससे विशेष संज्ञान के अंतर्गत लोक महत्व के विशेष मामलों के बारे में सूचना प्राप्त करने के प्रयोजन से प्रश्न पूछ सकता है।
5. लोक सभा की वेबसाइट (http://loksabha.nic.in) पर लोक सभा के सदस्यों संबंधी एक खंड है जिससे उनके बारे में सूचना प्राप्त होगी।
6. सदस्यों से संपर्क ई-मेल के माध्यम से किया जा सकता है। लोक सभा सदस्यों के स्थायी और स्थानीय पते लोक सभा की वेबसाईट (http://loksabha.nic.in) पर उपलब्ध हैं।
7. कोई भी सदस्य राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रश्न नहीं उठा सकता है। किसी सदस्य का कोई भी कार्य, जिससे अवसर की शालीनता भंग होती है अथवा जिससे कोई बाधा उत्पन्न हो, उस सभा द्वारा दंडनीय होता है जिसका वह सदस्य है। किसी सदस्य द्वारा प्रस्तुत तथा अन्य सदस्य द्वारा अनुमोदित धन्यवाद-प्रस्ताव पर राष्ट्रपति के अभिभाषण में निर्दिष्ट विषयों पर चर्चा की जाती है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा की विस्तृति बहुत व्यापक होती है और संपूर्ण प्रशासन के कार्यकरण पर चर्चा की जा सकती है।
8. भारत के संविधान में राष्ट्रपति द्वारा संसद के किसी एक सदन के समक्ष या एक साथ समवेत दोनों सदनों के समक्ष अभिभाषण किए जाने का प्रावधान है (अनु. 86(1))। संविधान के अनुसार राष्ट्रपति लोक सभा के प्रत्येक आम चुनाव के पश्चात प्रथम सत्र के आरंभ में तथा प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में एक साथ समवेत दोनों सदनों में अभिभाषण करेंगे और संसद को इस सत्र के आह्वान के कारण बताएंगे। (87(1))।