पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर इन्फॉर्मेशन मिनिस्टर अताउल्लाह तराड़ ने बेहद गंभीर आरोप लगाया

पाकिस्तान के इन्फॉर्मेशन मिनिस्टर अताउल्लाह तराड़ ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर बेहद गंभीर आरोप लगाया। तराड़ ने कहा- इमरान जेल से साजिश रच रहे हैं कि किसी तरह पाकिस्तान को यूरोप यूनियन से मिलने वाला GSP+ स्टेटस खत्म कराया जाए, ताकि हमारी इकोनॉमी तबाह हो जाए और शाहबाज शरीफ सरकार गिर जाए।
यूरोपीय यूनियन के 27 देश ट्रेड में विकासशील देशों यानी डेवलपिंग नेशन्स को GSP+ status (जनरलाइज्ड स्कीम ऑफ प्रेफरेंसेज प्लस) देते हैं। पाकिस्तान की खस्ताहाल इकोनॉमी के लिए यह बेहद अहम है। इस स्टेटस से जुड़ी बातें खबर में आगे जानेंगे।
तराड़ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- इमरान की पार्टी चुनाव नहीं जीत सकी तो इसके लिए हम जिम्मेदार तो नहीं हैं। अवाम ने उनको वोट नहीं दिया। अब खान जेल से साजिश रच रहे हैं ताकि पाकिस्तान की इकोनॉमी को पूरी तरह तबाह किया जा सके। वो कभी IMF को भड़काते हैं तो वर्ल्ड बैंक को। अब वो नया खेल खेल रहे हैं। उनकी साजिश का हमें पता लग चुका है। वो पाकिस्तान को यूरोपीय यूनियन से मिलने वाला GSP+ स्टेटस खत्म कराना चाहते हैं।
तराड़ ने कहा- हमें GSP+ 2014 में मिला था और ये 2027 तक जारी रहेगा। इसकी वजह से हम यूरोप को ड्यूटी फ्री एक्सपोर्ट कर पाते हैं। इसके जरिए हमें विदेशी मुद्रा मिलती है। इकोनॉमी मजबूत होती है। खुद तो जेल में भी आराम की जिंदगी गुजार रहे हैं और मुल्क को परेशानी में डालना चाहते हैं। प्रधानमंत्री खुद रोज इकोनॉमी पर नजर रख रहे हैं। दूसरी तरफ, इमरान की पार्टी ने तराड़ के दावे को खारिज कर दिया है।
तीन साल पहले इमरान खान प्रधानमंत्री थे। तब यूरोपीय यूनियन की संसद (EU Parliament) ने पाकिस्तान के खिलाफ एक अहम प्रस्ताव पास किया था। इसमें कहा गया था- पाकिस्तान में कट्टरपंथी बेहद हावी हैं। अल्पसंख्यकों के खिलाफ मनमाने ढंग से ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल होता है। लिहाजा, पाकिस्तान को दिया गया विशेष व्यापारिक दर्जा (GSP+ status) तुरंत प्रभाव से खत्म किया जाए। उस वक्त प्रस्ताव के पक्ष में 681 जबकि विरोध में सिर्फ 6 वोट पड़े थे।
यूरोपीय यूनियन में शामिल 27 देश ट्रेड में विकासशील देशों यानी डेवलपिंग नेशन्स को GSP+ status (जनरलाइज्ड स्कीम ऑफ प्रेफरेंसेज प्लस) दे सकते हैं। इसमें छोटे विकासशील देशों को शामिल किया जाता है। इसके तहत कारोबार में उन्हें दूसरे मुल्कों की तुलना में ज्यादा सहूलियत और इन्सेनटिव्स यानी फायदे मिलते हैं। पाकिस्तान 2014 से इसका फायदा उठा रहा है।
पाकिस्तान के कुल निर्यात का 45% EU को ही जाता है। अमेरिका को भी जोड़ लें तो यह 70% हो जाता है। आसान भाषा में समझें तो इस रियायत की वजह से पाकिस्तान जो सामान यूरोप के 27 देशों को एक्सपोर्ट करता है, उस पर टैक्स नहीं लगता है। तालिबान और अफगानिस्तान में पाकिस्तान की धोखेबाजी को लेकर यूरोपीय यूनियन भी पाकिस्तान से सख्त खफा है।
इमरान सरकार के दौर में पाकिस्तान में फ्रांस के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। यह प्रदर्शन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) ने किए थे। यह कट्टरपंथी संगठन सरकार से फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने की मांग कर रहा था। हिंसा में पुलिस, रेंजर्स और आम लोगों को मिलाकर कुल 22 लोग मारे गए थे। सरकार ने इस कट्टरपंथी संगठन को बैन किया और चंद दिन बाद पाबंदी वापस ले ली।
यूरोपीय संसद यह स्टेटस देने या वापस लेने के पहले विदेश मामलों की रिपोर्ट देखती है। इस पर बहस होती है और फिर वोटिंग। अगर यह स्टेटस वापस लिया जाता है तो पाकिस्तान का जो थोड़ा-बहुत एक्सपोर्ट (यूरोप को सबसे ज्यादा) है, वो भी बंद हो जाएगा।