आगामी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों को अब अपने हलफनामे में पिछले पांच सालों का आयकर रिटर्न का ब्योरा देना अनिवार्य हो गया है। इसके साथ ही उम्मीदवारों को अपनी विदेश में संपत्ति की जानकारी देनी भी जरूरी हो गई है।
लोकसभा चुनाव में खड़े होने जा रहे उम्मीदवारों को अपने जीवनसाथी, परिवार के सदस्यों और उस पर निर्भर रहने वाले अन्य लोगों के बारे में भी इसी तरह की सारी जानकारी देनी होगी। चुनाव आयोग के इस प्रस्ताव को कानून मंत्रालय की मंजूरी मिल गई है। ये नियम आने वाले सभी चुनावों में लागू होंगे। कानून मंत्रालय ने फॉर्म 26 में इन सभी जानकारियों को अधिसूचित किया है।
चुनाव आयोग के मुताबिक भविष्य में चुनाव लड़ने वाले किसी भी उम्मीदवार को नामांकन के साथ फॉर्म 26 के रूप में एक हलफनामा दाखिल करना होगा।
नामांकन में उम्मीदवार को खुद की संपत्ति, देनदारी, शैक्षणिक योग्यता और आपराधिक मामलों की जानकारी देने के साथ-साथ विदेशी संपत्ति, विदेशी बैंकों और किसी अन्य निकाय या संस्थान में सभी जमा या निवेश का विवरण और विदेशों में परिसम्पत्तियों और देनदारी का विवरण भी देना अनिवार्य किया गया है।
इससे पहले चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति को फॉर्म 26 में अपनी, जीवनसाथी और उस पर निर्भर रहने वाले सदस्यों की केवल पिछले आयकर रिटर्न की जानकारी देनी अनिवार्य होती थी। वहीं हलफनामें में विदेशी संपत्ति के बारे में भी नहीं पूछा जाता था।
वहीं आयोग द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, उम्मीदवारों को अब अपने पैन की भी जानकारी देना अनिवार्य किया गया है। पहले ऐसा देखा जाता था कि बहुत उम्मीदवार उस कॉलम को खाली छोड़ देते थे। ये सभी बदलाव चुनाव आचार सहिंता, 1961 में किए गए हैं। 13 फरवरी को चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को पत्र लिखा था, जिसमें फॉर्म 26 में संशोधन की मांग की थी ताकि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को हलफनामे को सत्यापित करने में आसानी हो।
चुनाव आयोग द्वारा बनाई गई व्यवस्था के मुताबिक सीबीडीटी चुनाव में खड़े सभी उम्मीदवारों के हलफनामें की जांच नहीं करता है। वो केवल चुनाव आयोग द्वारा उसे भेजे गए मामलों को देखता है। सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग और सीबीडीटी एक फॉर्मेट में काम रहा है,जिसमें फॉर्म 26 के एक सार्वजनिक दस्तावेज होने के कारण किसी उम्मीदवार की आय, विशेष रूप से एक लोकसभा सांसद की पिछले पांच वर्षों की आय का विवरण लोगों को आसानी से उपलब्ध हो सकेगा।
वहीं आयोग ऐसा व्यवस्था कायम करने की कोशिश में है जिसमें हलफनामें में दी गई जानकारी गलत होने पर उम्मीदवारो को 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया जाए। ये सिफारिश मई 2018 को की गई थी। फिलहाल गलत हलफनामे पर चुनाव आयोग छह महीने की सजा और फाइन दोनों लगा सकता है।
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