तिब्बती मामलों की विशेष संयोजक बनीं भारतीय मूल की राजनयिक , दलाईलामा और चीन के बीच कराएंगी समझौता वार्ता

चीन और तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के बीच बातचीत के लिए अमेरिका ने भारतीय मूल की राजनयिक उजरा जेया को तिब्बती मामलों में अपना विशेष संयोजक नियुक्त किया है। इस नियुक्ति का मकसद तिब्बत को लेकर समझौता करना और चीन को कड़ी चेतावनी देना है।

अमेरिकी राजनयिक उजरा जेया ने नई दिल्ली में अपनी तैनाती के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ वर्ष 2018 में विदेश सेवा को छोड़ दिया था। वह नागरिक सुरक्षा, लोकतंत्र और मानवाधिकार के मामलों की उप सचिव भी हैं। जेया अमेरिकी सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों व तिब्बती मामलों और तिब्बती नीति अधिनियम, 2002 में संशोधन पर भी विचार करेंगी।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि उजरा जेया तिब्बत पर समझौते के लिए बिना किसी पूर्व शर्त के चीन सरकार और दलाईलामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच बातचीत करवाएंगी। चीन 86 वर्षीय दलाईलामा को अलगाववादी मानता है। दलाईलामा भारत में वर्ष 1959 से शरण लिए हुए हैं। दलाईलामा के प्रतिनिधि नमंग्याल चोडेप ने अमेरिकी सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए उजरा जेया को नियुक्ति के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि वह लोग उनके साथ काम करने को लेकर उत्साहित हैं। इधर, चीनी सरकार ने इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताया है। उसका कहना है कि वह उजरा को संयोजक के रूप में स्वीकार नहीं करता है। अमेरिका में चीनी राजदूत की प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने कहा कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में चीन का राष्ट्रपति बनने के बाद से शी चिनफिंग ने तिब्बत की सुरक्षा पर कड़ा नियंत्रण रखा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चार भारतीय अमेरिकियों अजय जैन भुटोरिया, सोनल शाह, कमल कलसी और स्मिता शाह को एशियाई अमेरिकियों, हवाई के मूल निवासी और प्रशांत द्वीप वासियों पर अपने सलाहकार आयोग के सदस्यों के रूप में नियुक्त करने की इच्छा जाहिर की।

व्हाइट हाउस ने कहा कि आयोग राष्ट्रपति को बताएगा कि सार्वजनिक, निजी और गैर लाभकारी क्षेत्र प्रत्येक एशियाई अमेरिकी, मूल निवासी हवाई और प्रशांत द्वीप समूह (एएमएनएचपीआइ) समुदाय के लिए समानता लाने और अवसर उत्पन्न करने के लिए मिलकर किस तरीके से काम कर सकते हैं।