अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ मिल कर भारत के क्वाड संगठन बनाने को लेकर रूस की तरफ से बार-बार चिंता जताए जाने के बाद मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के सामने अपना पक्ष पूरी साफगोई से रखा। दूसरी तरफ, लावरोव ने भारत को यह आश्वस्त किया है कि रूस और चीन के बीच किसी तरह का सैन्य गठबंधन नहीं हुआ है और इस बारे में सिर्फ कयास ही लगाए जा रहे हैं। दोनों देशों के बीच एस-400 सौदे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई।
दो दिन की भारत यात्रा पर आए लावरोव की विदेश मंत्री जयशंकर के साथ पीएम नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाले शिखर सम्मलेन में उठने वाले तमाम मुद्दों को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। जयशंकर से मुलाकात के कुछ ही देर बाद लावरोव पाकिस्तान के लिए रवाना हो गए।
यह पहली बार है कि रूस का कोई विदेश मंत्री भारत और पाकिस्तान की यात्रा एक साथ कर रहा है। लावरोव की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात नहीं हुई है, इसको लेकर भी कयासों का बाजार गर्म है।
बैठक के बाद संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में जयशंकर ने रूस को भारत का एक अहम साझेदार देश बताते हुए कहा, ‘दोनों तरफ सरकारों में बदलाव के बावजूद दोनों देशों के रिश्ते पहले की तरह ही मजबूत बने हुए हैं। हमने आज की बैठक में परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में सहयोग को लेकर बात की है। रसियन फॉर ईस्ट में नई संभावनाओं के बारे में हमने बात की है। दूसरे आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग को लेकर बातें हुई हैं। क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर हमने एक दूसरे का पक्ष सुना है।’
जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान में जो भी होता है उससे भारत की सुरक्षा काफी गहराई से जुड़ी हुई है। भारत ने बताया है कि अफगानिस्तान में स्थाई शांति के लिए आतंरिक और बाहरी पक्षों के हितों के बीच सामंजस्य बनाना जरूरी है। कोई भी राजनीतिक समाधान एक स्वतंत्र, संप्रभु व लोकतांत्रिक अफगानिस्तान बनाने की होनी चाहिए।
एक प्रश्न के जवाब में जयशंकर ने कहा कि हमने हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति पर अपनी बात रूस के समक्ष रखी है। लावरोव ने इस बारे में कहा कि हमारा मत यह है कि कोई भी गठबंधन ऐसा होना चाहिए जिसमें सभी को शामिल किया जाए, ऐसा नहीं होनी चाहिए जिसमें किसी को अलग रखा जाए या किसी के खिलाफ हो। भारत की तरफ से रूस-चीन के बीच होने वाले सैन्य गठबंधन को लेकर चिंता जताने के बारे में लावरोव ने कहा, ‘यह अफवाह है। हम एशियाई देशों में भी एशियन-नाटो या मिडल ईस्ट-नाटो जैसे गठबंधन के बारे में काफी अफवाह सुन रहे हैं।’
लावरोव ने कहा कि उन्होंने भारत को मिसाइल रक्षा प्रणाली एस-400 की बिक्री पर अमेरिकी दबाव या प्रतिबंधों को लेकर कोई बात नहीं की। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका किसी भी देश पर दबाव डालता है तो उसका जवाब कैसे देना है यह हम जानते हैं।
क्वाड भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान देशों का एक समूह है, जिसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों के हितों की रक्षा करना और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना है।
लावरोव भारत की यात्रा पूरी करने के बाद इस्लामाबाद पहुंचे जहां उनकी विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी, आर्मी चीफ कमर बाजवा और पीएम इमरान खान से अलग अलग मुलाकात होनी है। नौ वर्ष बाद किसी रूसी विदेश मंत्री की यह पाकिस्तान यात्रा है जिससे इसकी अहमियत समझी जा सकती है। कुरैशी स्वयं लावरोव की आगवानी के लिए एयरपोर्ट पहुंचे थे।