पाकिस्तान ने अपने यहां टेरी मंदिर की यात्रा के लिए भारत से मनमाने तरीके से लोगों के चयन की योजना बनाई थी जो भारत को स्वीकार नहीं था। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि अब भारतीय आयोजकों ने 160 तीर्थयात्रियों का चयन किया है जो शनिवार को बाघा-अटारी सीमा के रास्ते पाकिस्तान जाएंगे। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के करक जिले में स्थित यह मंदिर संत श्री परम हंस जी महाराजा से जुड़ा है। इसकी स्थापना 1920 में हुई थी।
पाकिस्तान ने तीर्थयात्रियों के चयन की योजना बनाई थी वह दोनों देशों के बीच तीर्थयात्राओं के आयोजन की भावना के भी खिलाफ था। सूत्रों ने यह भी कहा कि पहले की तरह भारत सरकार तीर्थयात्रियों को हर तरह की सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है। दोनों देशों के बीच तीर्थयात्रा को लेकर 1974 में एक खाका बना था। इसी के तहत हर साल भारत से सिख श्रद्धालु पाकिस्तान के गुरुद्वारों की यात्रा करते हैं और पाकिस्तान से भी हर साल श्रद्धालु भारत आते हैं।पाकिस्तान से अफगानिस्तान पहुंचे 1,800 मीट्रिक टन गेहूं, 500 करोड़ मानवीय सहायता पैकेज की पहली खेप
वर्ष 1974 के धार्मिक स्थलों की यात्रा पर भारत-पाकिस्तान प्रोटोकल तंत्र के तहत, भारत से बड़ी संख्या में सिख तीर्थयात्री उस देश की यात्रा करते हैं। इसी तरह, पाकिस्तानी नागरिक भी भारत में धार्मिक स्थलों के लिए आते हैं। टेरी मंदिर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के करक जिले में संत, श्री परम हंस जी महाराज से जुड़ा हुआ है। मंदिर की स्थापना 1920 में हुई थी।
पाकिस्तान ने भारत से कुछ चुनिंदा लोगों को पाकिस्तान के टेरी मंदिर आने के लिए गैर-पारदर्शी तरीके से आमंत्रित करने की योजना बनाई थी। यह स्वीकार्य नहीं था। उन्होंने कहा,‘यह उस भावना के भी विपरीत था जिसके तहत दोनों पक्ष तीर्थयात्रा करते हैं।’ सूत्रों ने कहा, अतीत की तरह ही भारत सरकार भारतीय तीर्थयात्रियों को सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।