रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध इतिहास की उन कुछ लड़ाइयों में शामिल है, जो मानवता का सम्मान और लोकतंत्र को बचाने के लिए लड़ा गया था। बेंगलुरु में स्वर्णिम विजय वर्ष के आयोजन के तहत वायु सेना सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजनाथ ने कहा कि इस युद्ध का उद्देश्य अपना क्षेत्र बढ़ाना या सत्ता प्राप्त करना नहीं था।
सम्मेलन में मौजूद वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने कहा कि सैन्य युद्धों के इतिहास में यह उन कुछ लड़ाइयों में शामिल है, जिनमें सबसे तेजी से और जल्द जीत हासिल की गई। उन्होंने कहा, इस युद्ध में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यह किसी सेना द्वारा किया गया सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने युद्ध के सभी क्षेत्रों में पाकिस्तानी बलों पर हावी होकर उन्हें कम-से-कम समय में आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय बलों ने पश्चिमी और पूर्वी मोर्चे पर समन्वय के साथ लड़ाई लड़ी और वायु, जमीन और समुद्र में साहस का प्रदर्शन किया। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वायुसेना ने स्वर्णिम विजय वर्ष के तहत सम्मेलन का आयोजन किया था। इसी युद्ध के परिणामस्वरूप बांग्लादेश एक अलग देश के रूप में अस्तित्व में आया था।