भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में लगे पाकिस्तान और तुर्की को भारत ने आड़े हाथों लेते हुए जमकर फटकार लगाई। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के विशेष सत्र में भारत ने दोनों देशों को दूसरे पर अंगुली उठाने से पहले अपना घर दुरुस्त करने की नसीहत दी। यूएनएचआरसी के 46वें विशेष सत्र में जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारत ने पाकिस्तानी प्रतिनिधि के बयान पर कड़ा प्रतिरोध किया। भारत ने कहा कि उसे इस बात पर अचरज नहीं है कि पाक ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र के इस मंच का दुरुपयोग किया।
जेनेवा में स्थायी मिशन की द्वितीय सचिव सीमा पुजानी ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों का दुरुपयोग करना कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि संपूर्ण जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अखंड भाग है। इन इलाकों के विकास और सुशासन के लिए भारत सरकार जो कदम उठा रही है वह उसका आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जिसका मानवाधिकार के मामले में बहुत खराब रिकार्ड है उसे भारत पर अंगुली उठाने से पहले अपना घर ठीक करना चाहिए।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, ईसाई समुदायों के साथ संस्थागत भेदभाव, हिंसा और दमन की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इन समुदायों के पूजास्थलों पर आए दिन हमले होते रहते हैं। इन समुदाय की महिलाओं पर तरह-तरह के जुल्म होते हैं। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल इन समुदायों की एक हजार लड़कियों को अगवा कर जबरन धर्म परिवर्तित कर निकाह करा दिया जाता है। भारत ने इसके साथ बलूचिस्तान में राजनीतिक दमन का भी मुद्दा उठाया। अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारे उमर सईद शेख को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट से रिहा करने का जिक्र करते भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि इस दरियादिली से साफ है वहां के सत्ता प्रतिष्ठान और आतंकियों में किस तरह की सांठगांठ है।
इस मौके पर भारत ने तुर्की को भी जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि वह आर्गनाइजेशन आफ इस्लामिक कांफ्रेंस के बयान को तोड़मरोड़ कर पेश कर रहा है। तुर्की के बयान को तथ्यात्मक रूप से गलत बताते हुए भारत ने कहा कि दूसरे देश के आंतरिक मामले में दखल देने से पहले वह अपने आप में सुधार लाए।
यूएनएचआरसी की दोबारा सदस्यता लेगा अमेरिका
अमेरिकी विदेश मंत्री एंथोनी ब्लिंकेन ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन चाहते हैं कि अमेरिका फिर से यूएनएचआरसी का सदस्य बने। उल्लेखनीय है ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका ने तीन साल पहले इस वैश्विक संस्था की सदस्यता त्याग दी थी। ब्लिंकेन ने कहा कि राष्ट्रपति ऐसी विदेश नीति के पक्षधर हैं जो लोकतांत्रिक और मानवाधिकार संबंधी मूल्यों को मजबूत करती हो।