भारत ने सोमवार को मॉरीशस को रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए दस करोड़ डॉलर ( 720 करोड़ रुपये) की कर्ज सुविधा देने के समझौते पर हस्ताक्षर किए। साथ ही दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग के लिए समझौते पर भी दस्तखत किए। ये समझौते विदेश मंत्री एस जयशंकर और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के बीच वार्ता के बाद हुए। बातचीत में प्रधानमंत्री जगन्नाथ ने कहा, मॉरीशस और भारत की इच्छा है कि हिंद महासागर सुरक्षित और सबके आने-जाने के लिए खुला रहे। इसके लिए दोनों देश मिलकर कार्य करेंगे।
दोनों देशों ने डोर्नियर विमान और ध्रुव हेलीकॉप्टर से निगरानी के जरिये हिंद महासागर में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए भी समझौता किया। विमान और हेलीकॉप्टर भारत दो साल के पट्टे पर मॉरीशस को देगा। जयशंकर ने ट्वीट कर कहा, दोनों देशों के खास रिश्तों के लिए यह ऐतिहासिक दिन है। भारत और मॉरीशस ने आर्थिक सहयोग समझौता किया है। भारत का किसी अफ्रीकी देश के साथ इस तरह का पहला समझौता है। इससे दोनों देशों के बीच का व्यापार बढ़ेगा।
जयशंकर ने कहा, हम इस समझौते के जरिये कोविड महामारी के बाद की स्थितियों से निपटेंगे। भारत ने ये समझौते क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और सभी का विकास करने की अपनी नीति के तहत किए हैं। रविवार रात मॉरीशस पहुंचने पर जयशंकर ने कोविड से बचाव की वैक्सीन की एक लाख खुराक भी वहां की सरकार को दीं। मॉरीशस ने भारत से उपहार स्वरूप मिली वैक्सीन डोज के अतिरिक्त ये वैक्सीन खुराक भारत से खरीदी हैं।
प्रधानमंत्री जगन्नाथ से मुलाकात में जयशंकर ने उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत यात्रा के लिए आमंत्रण पत्र दिया। विदेश मंत्री ने मॉरीशस के अपने समकक्ष एलेन बानू को भी भारत यात्रा के लिए आमंत्रित किया। इससे पहले दोनों विदेश मंत्रियों ने आपसी संबंधों की समीक्षा की और उनके विकास की इच्छा जताई।
जयशंकर ने मॉरीशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन से मुलाकात कर उन्हें समझौतों के बारे में बताया और खास द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की। भारत ने 2017 में मॉरीशस के साथ साथ परियोजनाओं में सहयोग का समझौता किया था। ये परियोजनाएं अब पूरी हो गई हैं। इनमें वहां के सुप्रीम कोर्ट की इमारत, एक्सप्रेस वे का निर्माण, ईएनटी हॉस्पिटल, आवास निर्माण और स्कूलों में इलेक्ट्रॉनिक टेबलेट की आपूर्ति शामिल है।
समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक मॉरीशस ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए भारत से मदद मांगी है। हिंद महासागर के मध्य स्थित मॉरीशस को फरवरी 2020 में एफएटीएफ ने ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इसके चलते उसे अंतरराष्ट्रीय सहायता प्राप्त करने में दिक्कत हो रही है। मॉरीशस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टैक्स हैवेन के रूप जाना जाता है। कर की बचत करने के उद्देश्य से बड़ी संख्या में विदेशी अपना काला धन वहां पर निवेश करते हैं। मॉरीशस में अपना पंजीकरण कराकर विदेशी भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं। कुल विदेशी निवेशकों में मॉरीशस के जरिये भारत में निवेश करने वाले विदेशियों की संख्या दूसरे नंबर पर है।