बेहद तनावग्रस्त वैश्विक हालात के बीच जापान के पीएम फुमियो किशिदा शनिवार (19 मार्च, 2022) को दो दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। उसी दिन पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ वो भारत-जापान शिखर बैठक करेंगे। इसमें द्विपक्षीय व क्षेत्रीय मुद्दों के साथ ही हिंद-प्रशांत महासागर की स्थिति और भावी सैन्य सहयोग पर खास तौर पर चर्चा की जाएगी। यूक्रेन का मुद्धा और जापान में भारत के कुशल व प्रशिक्षित श्रमिकों के रोजगार को लेकर किये गये समझौते को लागू करना भी बातचीत का एक अहम क्षेत्र होगा। दोनो नेताओं के बीच आमने सामने यह पहली शिखर बैठक होगी और इसमें दोनो नेताओं के बीच पर्सनल केमिस्ट्री को बनाने पर भी खास ध्यान दिए जाने के संकेत हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि अंतिम शिखर बैठक वर्ष 2018 में जापान में हुई थी। वर्ष 2019 की बैठक गुवाहाटी में होनी थी लेकिन असम हिंसा की वजह से टाल दी गई थी। बाद में कोरोना महामारी की वजह से सालाना होने वाली यह बैठक नहीं हो सकी हालांकि दोनो देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच वर्चुअल बैठकें हुई हैं। यह बैठक दोनो पक्षों को आपसी रिश्तों की बुनियाद को और मजबूत करने, द्विपक्षीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति व स्थायित्व की दिशा में काम करने का अवसर प्रदान करेगा।
माना जा रहा है कि पीएम किशिदा जापान में होने वाली क्वाड (अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया, व भारत) के संगठन की शिखर बैठक में पीएम मोदी को आमंत्रित करेंगे। संभवत: यह बैठक मई, 2022 में होगी। अभी पिछले पखवाड़े उक्त चारों देशों के शीर्ष नेताओं की वर्चुअल बैठक हुई है।
यह भी सनद रहे कि यह पांच वर्षों बाद जापान के किसी पीएम की भारत यात्रा होगी। पूर्व पीएम शिंजो आबे वर्ष 2017 में शिखर बैठक में हिस्सा लिए भारत आये थे। तब उन्होंने पीएम मोदी के साथ गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में एक रोड शो में भी हिस्सा लिया था। मोदी और आबे के बीच जबरदस्त पर्सनल केमिस्ट्री थी जिसका असर दोनो देशों के द्विपक्षीय रिश्तों पर भी देखने को मिला था।
मोदी और किशिदा की बैठक के बाद हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर क्या बयान दिया जाता है, इस पर पूरी दुनिया की नजर होगी। दोनो देश इस क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये को लेकर एक समान राय रखते हैं और पूर्व में सार्वजनिक तौर पर कहते रहे हैं कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में हर देश को अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करना चाहिए।