भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों के बीच गुरुवार को फिर बैठक हुई लेकिन पिछली चार बैठकों की तरह इस बार भी दोनों पक्ष किसी नतीजे पर पहुंचते नहीं दिख रहे हैं। डब्ल्यूएमसीसी (Working Mechanism for Consultation and Coordination, WMCC) की बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान कोई भी उम्मीद जगाता नहीं दिखा। चीन के विदेश मंत्रालय का देश शाम को जारी किया गया बयान भी यही संकेत दे रहा है। दोनों ही देशों की ओर से जारी बयान में आपसी सहमति बनने और शीघ्रता से सैनिकों की वापसी की बात कही गई है।
जानकारों की मानें तो चीन के रवैए में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। भारत ने फिर साफ किया है कि चीनी सैनिकों की पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से पूर्ण वापसी से ही शांति बहाली संभव होगी। इस बात के भी संकेत है कि इस मसले पर बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के साथ भी चीनी विदेश मंत्रालय एवं अन्य अधिकारियों की बातचीत जारी है। गुरुवार की बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि संयुक्त सचिव (पूर्व एशिया) और चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा एवं सामुद्रिक विभाग के महानिदेशक के नेतृत्व में बातचीत हुई।
यह बातचीत सीमा विवाद सुलझाने के लिए पहले से गठित वर्किग मैकेनिज्म फॉर कंसलटेशन एंड कोआर्डिनेशन (डब्लूएमसीसी) के तहत हुई। विदेश मंत्रालय की मानें तो दोनों ही पक्षों के बीच सीमा विवाद पर खुल कर और गहराई से चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने कहा है कि विदेश मंत्रियों और विशेष प्रतिनिधियों के बीच हुई बातचीत और बनी सहमति के आधार पर ही आगे कोई नतीजा निकाला जाना चाहिए। दोनों पक्ष इस बात के लिए भी तैयार हैं कि पूर्व में बनी सहमति के आधार पर ही सैनिकों की पूरी तरह से वापसी शीघ्रता से होनी चाहिए।
यही नहीं दोनों देशों के अधिकारियों ने दोहराया है कि समूचे द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए सीमा पर अमन एवं शांति जरूरी है। आगे भी सैन्य एवं कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी रहने की सहमति बनी है। डब्लूएमसीसी के तहत भी आगे विमर्श जारी रखा जाएगा। चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से भी सीमा पर हालात की सकारात्मक समीक्षा करने की बात कही गई है। मई 2020 के पहले हफ्ते में चीनी सैनिकों के अतिक्रमण के बाद यह डब्लूएमसीसी की चौथी बैठक थी। यही नहीं हर बैठक के बाद कुछ इसी तरह के बयान आए हैं।
अब तक पांच बार कमांडर स्तरीय वार्ता का भी कोई खास नतीजा नहीं निकला है। 15 जून 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद के गलवन घाटी के कुछ हिस्सों से चीनी सैनिकों ने कुछ ढांचा और सामान पीछे किया था लेकिन उसके बाद मामला जस का तस है। सूत्र बताते हैं कि चीनी सैनिकों की संख्या भी काफी बढ़ चुकी है। यही नहीं भारतीय एजेंसियों ने भी चीनी वायुसेना की तैयारियों को कैद किया है। चीन की चालबाजियों को देखते हुए भारत ने भी अपनी तरफ से तैयारियों में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है।