बिहार के चुनावी अखाड़े में कांग्रेस अब भी गठबंधन की गाड़ी में सवार होकर ही अपना सियासी सफर आगे बढ़ाती रहेगी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश नेताओं के साथ हुई वर्चुअल संवाद रैली में साफ संदेश दे दिया कि सूबे की सत्ता में वापसी के लिए गठबंधन की जमीनी हकीकत को समझना होगा। पार्टी नेताओं को सभी घटक दलों को पूरा सम्मान देने की सीख देते हुए राहुल ने उनसे पार्टी संगठन को दुरुस्त करते हुए मजबूती से चुनावी मैदान में उतरने को कहा। राहुल गांधी के साथ बिहार कांग्रेस के प्रमुख नेताओं से लेकर ब्लॉक स्तर के एक हजार से अधिक नेता इस वर्चुअल संवाद रैली में शामिल हुए।
महागठबंधन में चल रही खींचतान की सियासत के बीच राहुल के स्पष्ट रुख से साफ है कि सीट बंटवारे या सीएम चेहरे के विवाद को किनारे रखते हुए कांग्रेस नेतृत्व गठबंधन की एकता को लेकर गंभीर है। कुछ नेताओं ने प्रदेश और एआइसीसी के पदाधिकारियों के स्तर पर पार्टी के निष्ठावान कैडर की तुलना में बाहरी लोगों को तवज्जो देते हुए टिकट देने का मसला भी उठाया। प्रदेश कांग्रेस के एक कार्यकारी अध्यक्ष श्यामसुंदर सिंह धीरज ने कहा कि गठबंधन से दिक्कत नहीं है, मगर बाहर से आए लोगों को संगठन से लेकर चुनावी टिकट में तरजीह मिलती रहेगी, तब तक बिहार में स्थिति मजबूत नहीं होगी। उनका कहना था कि निष्ठावान लोगों को टिकट नहीं दिए जाने का ही नतीजा है कि मध्यप्रदेश से लेकर राजस्थान तक में ऐसे लोग विधायक बनने के बाद भी भाग रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा ने वर्चुअल संवाद के बारे में बताते हुए कहा कि राहुल गांधी के संबोधन से पार्टीजनों को ऊर्जा तो मिली है। लेकिन अपने निष्ठावान नेताओं को तवज्जो नहीं देने और 100 सीट से कम पर गठबंधन के लिए राजी होने से कांग्रेस का नुकसान होगा। झा ने कहा कि इतिहास गवाह है कि कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ने का नुकसान राजद को भी हुआ है। ऐसे में लोकसभा चुनाव की तरह सीटों के बंटवारे का अपमानजनक फॉर्मूला स्वीकार करने से कांग्रेस का अहित होगा।
पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने सूबे में कांग्रेस के कमजोर संगठन का मुद्दा उठाया। उनका साफ कहना था कि ब्लॉक, पंचायत और बूथ स्तर तक पार्टी का ढांचा लगभग नहीं के बराबर है। तारिक अनवर ने कहा कि पूरे बिहार में कांग्रेस संगठन की स्थिति भी कमोबेश इसी तरह की है। दो घंटे तक चली इस बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि बिहार ने हमेशा राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव की राह दिखाई है। कोरोना महामारी, लद्दाख में चीनी घुसपैठ, अर्थव्यवस्था और रोजगार के मुद्दों का समाधान निकालने में केंद्र सरकार नाकाम साबित हुई है। नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कोरोना, बाढ, रोजगार जैसे मुद्दे पर सुशासन के दावों की पोल खुल गई है। राहुल ने कहा कि बिहार के लोगों ने चाहे दिल्ली-पंजाब हो या देश का कोई कोना अपनी मेहनत से यहां की प्रगति में योगदान दिया मगर लॉकडाउन की त्रासदी के शिकार इन प्रवासी श्रमिकों के साथ नीतीश सरकार ने न्याय नहीं किया।