नई दिल्ली। राज्यसभा में सोमवार को कर्नाटक सियासी संकट, सोनभद्र नरसंहार और दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर जोरदार हंगामा दिखा। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा होने लगा। इससे शून्यकाल, प्रश्नकाल दोनों गतिरोध की वजह से नहीं हो सका। सदन की कार्यवाही को भी 2 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा, लेकिन कार्यवाही फिर से शुरू होते ही हंगामा भी शुरू हो गया। वह इतना बढ़ गया कि आसन पर बैठे उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह की ओर कागज उछाले गए।
सदन की कार्यवाही जब लंच के बाद शुरू हुई, तो मानव अधिकार संरक्षण बिल को चर्चा के लिए राज्यसभा में रखा गया। इस पर टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि उनकी पार्टी की ओर से दिए गए संशोधन प्रस्ताव को नहीं शामिल किया गया है। साथ ही उन्होंने कर्नाटक और दलित उत्पीड़न का मुद्दा सदन में उठाने की इजाजत मांगी। आसन पर बैठे उपसभापति ने कहा कि इस पर सभापति की ओर से व्यवस्था दी जा चुकी है और मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है, ऐसे में फिर से व्यवस्था नहीं दी जा सकती।
उपसभापति ने सदन में मानव अधिकार बिल पर चर्चा शुरू करने का आदेश दिया, लेकिन तभी कांग्रेस और टीएमसी समेत विपक्षी दलों के सांसद वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। किसी सांसद ने वेल में से आसन की ओर कागज तक उछाल दिए, जो उपसभापति के ऊपर जाकर गिरे। भाजपा के भूपेंद्र यादव ने सदन में कहा कि विपक्षी नेता मानवाधिकारों के संरक्षण के खिलाफ है और इसी वजह से वह इस अहम बिल पर चर्चा नहीं होने दे रहे हैं।
राज्यसभा में कुछ सांसदों ने उपसभापति से सदन को ऑर्डर में लाने की मांग की, जिस पर वह भड़क गए। उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आप लोग मुझ से नियमों के पालन की उम्मीद करते हैं, लेकिन वेल में खड़े होकर पेपर फाड़ना और मेरे ऊपर फेंकना, क्या चेयर का सम्मान है। यह तरीका ठीक नहीं है। इसके बाद भारी हंगामे की बीच भाजपा के प्रभात झा मानव अधिकार बिल पर अपनी बात सदन में कहते रहे।
इस बीच डीएमके के तिरुची शिवा ने कहा कि यह काफी अहम बिल है और इस पर शांति से सदन में चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हंगामे की बीच सांसद अपनी बात कह नहीं पा रहे हैं और न ही दूसरों की बात सुन पा रहे हैं। उपसभापति से एक बार फिर से सांसदों ने संशोधन प्रस्ताव रखने की अपील की, लेकिन हंगामा जारी रहा। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।